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राष्ट्रपति भवन में नामकरण

भारतीय राष्ट्रपति भवन के एक महत्वपूर्ण निर्णय ने राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रतिष्ठा प्राप्त किया है। ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’, जो लंबे समय से राजनैतिक और सांस्कृतिक समारोहों के आयोजन के लिए प्रशिद्ध रहे हैं, अब ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ के नाम से जाने जाएंगे।

यह नामकरण भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत के महत्व को उजागर करता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस निर्णय की स्वीकृति दी है, जिसमें समाज के मूल्यों और भारतीयता को ध्यान में रखते हुए नामकरण का प्रस्ताव लागू किया गया।

राष्ट्रपति भवन के इन हॉल और मंडपों का नामकरण उन्हें औचित्य और समर्थन प्रदान करता है, जबकि ‘अशोक मंडप’ का नाम अशोक वृक्ष के महत्वपूर्ण पर्यायक रूप में भी उभरता है। इस नामकरण से यह संकेत मिलता है कि भारतीय समाज और संस्कृति के मूल्यों को मजबूती से प्रतिस्थापित किया जा रहा है।

इसके अलावा, राष्ट्रपति भवन के इस प्रमुख नामकरण से अंग्रेजीकरण की छाप को भी दूर किया गया है, जो अब पूरी तरह से भारतीय संस्कृति के अनुरूप है। यह निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा सांस्कृतिक परिवर्तन है जो देश के ऐतिहासिक स्थलों को मान्यता और महत्व देता है।

इस नामकरण से राष्ट्रपति भवन एक नया अध्याय खोल रहा है, जो देश की राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठा को और भी मजबूत बनाएगा। इससे संकेत मिलता है कि भारतीय संस्कृति और विरासत के सम्मान में व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।

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