CM DHAMI BIRTHDAY : कैसा रहा है पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक सफर,उत्तराखंड को कैसे दी नई दिशा
उत्तराखंड, जो अब भारत का पहला राज्य बन चुका है, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड और नकल विरोधी कानून जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लागू किए गए हैं, ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया है। इस साल के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सभी पांच सीटों पर जीत ने भी पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व को प्रमाणित किया है।
धामी का प्रभावी नेतृत्व और उनका राजनीतिक कौशल, विशेष रूप से पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड में राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद, उन्हें भाजपा का सबसे भरोसेमंद चेहरा बना दिया है। उनकी साफ छवि और मृदुभाषी स्वभाव ने उन्हें न केवल अपने पार्टी के भीतर, बल्कि विपक्ष के नेताओं के बीच भी लोकप्रिय बना दिया है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
पुष्कर सिंह धामी का जन्म 16 सितंबर 1975 को उत्तराखंड के सीमांत पिथौरागढ़ के टुंडी गांव में हुआ था। एक सैनिक परिवार से होने के कारण धामी में राष्ट्रीयता, सेवाभाव और देशभक्ति की भावना गहराई से समाई हुई है। उनके बचपन के दिनों में स्काउट गाइड, एनसीसी, और एनएसएस से जुड़े रहना उनकी सामाजिक सेवा की भावना को दर्शाता है।
छात्र जीवन में ही धामी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़कर सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लिया। लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उन्होंने छात्रों को एकजुट करके निरंतर संघर्ष किया और 1990 से 1999 तक ABVP के जिला और राज्य स्तर के कार्यकर्ताओं के रूप में अपनी भूमिका निभाई। लखनऊ में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक और संचालक के रूप में उनकी प्रमुख भूमिका रही।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
धामी की राजनीति में एंट्री उत्तराखंड के गठन के बाद हुई। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में काम किया और अपनी योग्यता साबित की। 2002 से 2008 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में धामी ने पूरे राज्य का दौरा किया। बेरोजगार युवाओं के साथ मिलकर विशाल रैलियां और सम्मेलन आयोजित किए, जिनके परिणामस्वरूप स्थानीय युवाओं को राज्य के उद्योगों में 70 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया।
11 जनवरी 2005 को आयोजित विधानसभा घेराव की ऐतिहासिक रैली को आज भी उत्तराखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है। शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में 2010 से 2012 तक किए गए कार्यों ने भी धामी की राजनीतिक छवि को और मजबूत किया।
विधायक के रूप में सफलता
2012 में पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा सीट से विधानसभा चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक यात्रा को एक नया मोड़ दिया। उन्होंने जनता की आवाज बनकर कार्य किया और 2017 में दूसरी बार विधायक चुने गए।
मुख्यमंत्री बनने की यात्रा
साल 2021 उत्तराखंड की राजनीति के लिए उथल-पुथल भरा रहा। तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नए मुख्यमंत्री के चयन की चर्चा शुरू हुई। भाजपा आलाकमान ने पुष्कर सिंह धामी पर भरोसा जताया और उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया। 3 जुलाई 2021 को उन्होंने उत्तराखंड के दसवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
पुष्कर सिंह धामी ने चुनावी मिथकों को तोड़ते हुए भाजपा को उत्तराखंड में दोबारा सत्ता में लाने में सफलता प्राप्त की। हालांकि, उन्हें खुद चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व का उन पर विश्वास बना रहा। चंपावत विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर धामी ने अपनी राजनीतिक दूरदर्शिता और काबिलियत को साबित किया।
धामी की नेतृत्व शैली और भविष्य की दिशा
पुष्कर सिंह धामी की नेतृत्व शैली को उनकी राजनीति में पारदर्शिता, संघर्षशीलता और समर्पण के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उनका नेतृत्व उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण बदलाव और सुधारों का वाहक रहा है, जिससे राज्य की विकास यात्रा को नई दिशा मिली है।
आने वाले समय में, धामी की भूमिका और उनकी नेतृत्व क्षमता राज्य की राजनीति को और अधिक प्रभावित करेगी। उनके द्वारा किए गए निर्णय और योजनाएं न केवल उत्तराखंड की राजनीति को बल्कि पूरे देश की राजनीति को प्रभावित कर सकती हैं।
पुष्कर सिंह धामी की यात्रा एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे समर्पण, संघर्ष और कुशल नेतृत्व किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति को अवसर में बदल सकता है। उनकी राजनीति और नेतृत्व की दिशा राज्य के विकास और सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।