18 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। यह अवधि विशेष रूप से पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दौरान, लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और तर्पण करते हैं। लेकिन, पितृ पक्ष के इस पवित्र समय में कुछ कार्यों से बचना चाहिए। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान कौन-कौन सी गतिविधियों से दूर रहना चाहिए और क्यों।
पितृ पक्ष क्या है?
पितृ पक्ष भारतीय पंचांग का एक विशेष समयावधि है, जो प्रत्येक वर्ष अश्वयुज मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। यह अवधि कुल 15 दिनों तक चलती है और इसे विशेष रूप से अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का समय माना जाता है। इस दौरान, हिन्दू धर्म में विशेष अनुष्ठान, तर्पण और श्राद्ध के माध्यम से पितरों की आत्मा को शांति पहुंचाई जाती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की जाती है।
पितृ पक्ष में न करने योग्य कार्य
1. नकारात्मक कार्यों से बचें
इस पवित्र समय के दौरान नकारात्मक कार्य जैसे झगड़े, विवाद, और नफरत की भावना से बचना चाहिए। यह समय पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने और परिवार में शांति बनाए रखने का होता है। ऐसे कार्य पितृ पक्ष की पवित्रता को प्रभावित कर सकते हैं और परिवार के सदस्यों के बीच विवाद उत्पन्न कर सकते हैं।
2. अनावश्यक यात्रा से बचें
पितृ पक्ष के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचना चाहिए। यह समय पितरों के अनुष्ठान और पूजन का है, और यात्रा करने से उन धार्मिक क्रियाओं में व्यवधान आ सकता है। विशेष रूप से लंबी और कठिन यात्राओं से बचना चाहिए, ताकि समय और ऊर्जा का सही उपयोग पितरों की पूजा में हो सके।
3. नए व्यवसाय या निवेश से बचें
इस अवधि में नए व्यवसाय या वित्तीय निवेश करने से भी बचना चाहिए। पितृ पक्ष का समय आशीर्वाद प्राप्त करने और पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का होता है। नए व्यवसाय या निवेश करने से पहले पितरों की संतुष्टि और आशीर्वाद प्राप्त करना महत्वपूर्ण होता है, और ऐसा निर्णय पितृ पक्ष के दौरान बेहतर नहीं होता।
4. खराब आहार और स्वास्थ्य संबंधी लापरवाहियां
खराब आहार और स्वास्थ्य संबंधी लापरवाहियों से भी दूर रहना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान, पितरों की आत्मा की शांति के लिए उचित और सात्विक आहार लेना चाहिए। अत्यधिक मसालेदार, तला हुआ और अस्वास्थ्यकर भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
5. अशुद्धता और अनहेल्दी पर्यावरण
अशुद्धता और अनहेल्दी पर्यावरण से भी दूर रहना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान, घर और पूजा स्थल को स्वच्छ रखना महत्वपूर्ण होता है। अशुद्धता और गंदगी से बचना चाहिए, ताकि पितरों की पूजा और तर्पण सही तरीके से और प्रभावी रूप से किया जा सके।
6. लापरवाही और असावधानी
लापरवाही और असावधानी से भी बचना चाहिए। पितृ पक्ष के अनुष्ठान और क्रियाएं सावधानीपूर्वक और विधिपूर्वक की जानी चाहिए। किसी भी अनुष्ठान या पूजा में असावधानी पितरों के प्रति सम्मान की कमी को दर्शा सकती है और इससे परिवार के सदस्यों में भी असंतोष उत्पन्न हो सकता है।
पितृ पक्ष के दौरान क्या करें?
1. पितरों की पूजा और तर्पण
पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए पूजा और तर्पण अनिवार्य हैं। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जैसे कि श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान। इन धार्मिक क्रियाओं से पितरों को संतोष मिलता है और परिवार में शांति बनी रहती है।
2. सामाजिक कार्य और दान
सामाजिक कार्य और दान करना भी पितृ पक्ष के दौरान महत्वपूर्ण होता है। गरीबों और जरूरतमंदों को खाना और वस्त्र दान करना पितरों की आत्मा की शांति के लिए शुभ माना जाता है। इससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
3. पारिवारिक एकता बनाए रखें
पारिवारिक एकता और सहयोग को बनाए रखना भी आवश्यक है। पितृ पक्ष के दौरान परिवार के सभी सदस्य मिलकर अनुष्ठान और पूजा में भाग लें, ताकि पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट की जा सके और परिवार में प्रेम और शांति बनी रहे।
पितृ पक्ष का समय पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का होता है। इस दौरान कुछ विशेष कार्यों से बचना चाहिए और पितरों की पूजा और तर्पण में पूरी श्रद्धा से लगना चाहिए। इस प्रकार, आप अपने पितरों को संतोष प्रदान कर सकते हैं और अपने परिवार में सुख-शांति की कामना कर सकते हैं।