Rishikesh में महर्षि महेश योगी का आश्रम चौरासी कुटिया को पर्यटन के लिए विकसित करने का निर्णय
ऋषिकेश के प्रसिद्ध महर्षि महेश योगी के आश्रम, चौरासी कुटिया, को पर्यटन के आकर्षण केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई जा रही है। इस परियोजना के अंतर्गत, पर्यटन विभाग ने डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने के लिए कंसलटेंट की सेवाएं ली हैं। डीपीआर के निर्माण के बाद, वन विभाग की अनुमति से पर्यटन विकास के कार्य किए जाएंगे। यह योजना आश्रम की वर्तमान स्थिति को देखते हुए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
चौरासी कुटिया का ऐतिहासिक महत्व
महर्षि महेश योगी ने वर्ष 1961 में 7.5 हेक्टेयर भूमि पर चौरासी कुटिया का निर्माण किया था, जिसे ध्यान और योग के लिए एक विशेष स्थान के रूप में विकसित किया गया। इस आश्रम को 140 गुंबदनुमा और 84 ध्यान योग कुटिया के साथ डिजाइन किया गया था। यह आश्रम विशेष रूप से ध्यान और योग के अभ्यास के लिए प्रसिद्ध था और इसके अनुयायी इसे एक आध्यात्मिक केंद्र मानते थे।
बीटल्स ग्रुप का योगदान
चौरासी कुटिया की प्रसिद्धि को और बढ़ावा मिला जब 1968 में इंग्लैंड के प्रसिद्ध बैंड बीटल्स के चार सदस्य—जॉन लेनन, पॉल मेकार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार—यहां ध्यान और योग का अभ्यास करने आए। बीटल्स के इस दौरे ने चौरासी कुटिया को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई और इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना दिया।
वर्तमान स्थिति और चुनौती
हालांकि चौरासी कुटिया का इतिहास समृद्ध है, वर्तमान में इसकी स्थिति चिंताजनक है। वर्ष 2000 में वन विभाग ने इस आश्रम का अधिग्रहण कर लिया था, लेकिन देखरेख की कमी के कारण चौरासी कुटिया अब खंडहर में बदल चुका है। गुंबदनुमा कुटिया की छत जर्जर हो चुकी है और चारों ओर घास और झाड़ियां उग आई हैं। इस ऐतिहासिक स्थल की मौजूदा स्थिति इसकी पूर्व महिमा को दर्शाने में असमर्थ है।
पर्यटन विकास की योजना
चौरासी कुटिया के पुनरुद्धार और उसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना पर्यटन विभाग द्वारा बनाई जा रही है। डीपीआर में इस स्थल के संरक्षण और पुनर्विकास के लिए प्रस्तावित उपायों को शामिल किया जाएगा। इसमें पुराने कुटिया की मरम्मत, नए पर्यटन सुविधाओं का निर्माण, और स्थल पर स्थित ऐतिहासिक महत्व के तत्वों को संरक्षित करने के कदम शामिल हैं।
परियोजना की सफलता के लिए वन विभाग की स्वीकृति आवश्यक होगी। यदि वन विभाग द्वारा अनुमति मिलती है, तो इस ऐतिहासिक स्थल को एक बार फिर से पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण स्थल में तब्दील किया जा सकता है।
संभावित लाभ और चुनौतियां
यदि चौरासी कुटिया का विकास सफल होता है, तो यह न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि ऋषिकेश के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देगा। इस परियोजना से स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ हो सकता है और रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो सकते हैं।
हालांकि, इस विकास योजना को लागू करने में कई चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं, जैसे कि स्थायी विकास के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता, ऐतिहासिक संरचनाओं का संरक्षण, और पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी।