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ऐसा कौन सा देश है, जहां पेट्रोल से ज्यादा बिजली से चलने वाली गाड़ियां चल रही हैं?

दुनिया भर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) की बढ़ती मांग को देखते हुए नॉर्वे ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। यह देश अब पहला ऐसा देश बन गया है, जहां इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री इस वर्ष पेट्रोल से अधिक हो गई है। यह उपलब्धि न केवल नॉर्वे के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि भविष्य में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का चलन बढ़ता जा रहा है।

नॉर्वे की इलेक्ट्रिक गाड़ी नीतियाँ

नॉर्वे सरकार ने पिछले कई वर्षों से इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ लागू की हैं। इसमें टैक्स में छूट, मुफ्त पार्किंग, और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए विशेष लेन जैसी सुविधाएँ शामिल हैं। इन नीतियों के कारण नॉर्वे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। नॉर्वे में हर तीन में से एक नई कार अब इलेक्ट्रिक है।

बिक्री के आंकड़े

हाल के आंकड़ों के अनुसार, नॉर्वे में इस वर्ष इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री ने पहली बार पेट्रोल गाड़ियों की बिक्री को पार कर लिया है। वर्ष 2023 के पहले छह महीनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री ने 54.3 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल की, जबकि पेट्रोल गाड़ियों की हिस्सेदारी 37.8 प्रतिशत रही। यह आंकड़ा न केवल नॉर्वे के लिए बल्कि वैश्विक इलेक्ट्रिक गाड़ी उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है।

नॉर्वे का वैश्विक प्रभाव

नॉर्वे की इस उपलब्धि का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ेगा। कई देश इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नॉर्वे की नीतियों को अपनाने की योजना बना रहे हैं। नॉर्वे के उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि जब सरकारें ठोस नीतियाँ अपनाती हैं, तो वे प्रभावी परिणाम प्राप्त कर सकती हैं।

चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि, नॉर्वे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती बिक्री के साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, चार्जिंग स्टेशन की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए नई चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की योजना बनाई है।

विश्व स्तर पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की स्थिति

दुनिया भर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ रही है। यूएस, चीन और भारत जैसे देशों में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। भारत में सरकार ने 2030 तक सभी नई गाड़ियों की बिक्री का 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बनाने का लक्ष्य रखा है।

पर्यावरणीय प्रभाव

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बढ़ते उपयोग का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ कम प्रदूषण उत्पन्न करती हैं। नॉर्वे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती संख्या ने वायु गुणवत्ता में सुधार किया है और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है।

नॉर्वे के उपभोक्ताओं के बीच इलेक्ट्रिक गाड़ियों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित हुई है। उपभोक्ताओं ने महसूस किया है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं, बल्कि ये चलाने में भी सस्ती और सुविधाजनक हैं। इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रेंज भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है, जिससे यात्रा करना और भी आसान हो गया है।

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