केजरीवाल का RSS प्रमुख मोहन भागवत को खुला पत्र: 5 सवालों के जरिए उठाए गंभीर मुद्दे
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखकर पांच महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। केजरीवाल ने इस पत्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
खत में केजरीवाल की चिंताएँ
केजरीवाल ने अपने पत्र में देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “BJP इस देश को जिस दिशा में ले जा रही है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए बिल्कुल उचित नहीं है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो इस देश का लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि “पार्टी तो आती-जाती रहेंगी, लेकिन भारत देश हमेशा बना रहेगा।”
केजरीवाल के 5 सवाल: भाजपा और RSS पर सीधी चोट
पहला सवाल: लोकतंत्र के खिलाफ कार्रवाई
केजरीवाल ने अपने पहले सवाल में BJP पर हमला बोलते हुए कहा कि “BJP के नेतृत्व में तरह-तरह के लालच देकर, ED और CBI की धमकी देकर, दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ा जा रहा है।” उन्होंने पूछा, “क्या इस तरह से एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक चुनी हुई सरकार को गिराना सही है? क्या यह RSS को मंजूर है?” यह सवाल उठाकर केजरीवाल ने यह संकेत दिया कि लोकतांत्रिक मूल्यों को चोट पहुँचाई जा रही है।
दूसरा सवाल: भ्रष्ट नेताओं का स्वागत
अपने दूसरे सवाल में केजरीवाल ने आरोप लगाया कि “प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह मंच से कुछ नेताओं को भ्रष्टाचारी कहते हैं, लेकिन बाद में उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर लेते हैं।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 28 जून 2023 को प्रधानमंत्री ने एक नेता पर 70,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया, और कुछ दिनों बाद उस नेता को भाजपा में शामिल कर लिया गया। इसके साथ ही, केजरीवाल ने यह सवाल उठाया, “क्या RSS ने ऐसे BJP की कल्पना की थी?”
तीसरा सवाल: RSS की जिम्मेदारी
केजरीवाल ने यह भी कहा कि “भाजपा RSS के कोख में पैदा हुई है,” और इस प्रकार RSS की जिम्मेदारी बनती है कि यदि भाजपा गलत दिशा में बढ़ती है, तो उसे सही रास्ते पर लाए।
चौथा सवाल: जेपी नड्डा का बयान
चौथे सवाल में केजरीवाल ने BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हमें RSS की जरूरत नहीं है।” केजरीवाल ने कहा, “क्या बेटा अब इतना बड़ा हो चुका है कि वो अब अपनी मां को आंखें दिखाने लगेगा?” यह सवाल RSS कार्यकर्ताओं के प्रति नड्डा के बयान के प्रभाव को उजागर करता है।
पांचवाँ सवाल: कानून का समानता
आखिरी सवाल में केजरीवाल ने मोदी सरकार द्वारा बनाए गए 75 वर्ष की आयु पर रिटायरमेंट कानून का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “आप सब ने मिलकर एक कानून बनाया कि 75 साल बाद नेता रिटायर हो जाएंगे। इसी कानून के तहत आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को रिटायर कर दिया गया। लेकिन अब अमित शाह का कहना है कि यह कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लागू नहीं होगा। क्या यह कानून सभी के लिए समान नहीं होना चाहिए?”
राजनीतिक संदर्भ: भाजपा और RSS की भूमिका
केजरीवाल का पत्र एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदर्भ में लिखा गया है। भाजपा और RSS के बीच के संबंधों की जड़ें गहरी हैं, और इस पत्र में उठाए गए सवाल ऐसे हैं जो न केवल राजनीतिक रणनीतियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि आम जनता की सोच को भी प्रभावित करते हैं।
लोकतंत्र की रक्षा की आवश्यकता
इस पत्र के माध्यम से केजरीवाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की चिंता है। यह सवाल उठाना कि क्या राजनीतिक दलों को अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, एक महत्वपूर्ण बिंदु है। इससे यह संदेश जाता है कि राजनीतिक दलों को अपने कार्यों में पारदर्शिता रखनी चाहिए।