Israel-Iran War: इजरायल-ईरान तनाव मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा बढ़ा,मिसाइल हमलों से उभरा नया संकट
इजरायल और ईरान के बीच तनाव हाल के दिनों में काफी बढ़ गया है। ईरान ने इजरायल के खिलाफ 200 से अधिक मिसाइलें दागी हैं, जिसके जवाब में इजरायल ने भी कड़े कदम उठाने की बात कही है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट किया है कि ईरान को इसके लिए “भारी कीमत” चुकानी पड़ेगी। इस स्थिति ने पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता को बढ़ा दिया है, और स्थिति हर पल बदल रही है।
इस संकट में एक नया मोड़ तब आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की कि अमेरिकी सेना इजरायल को ईरानी मिसाइलों से बचाने के लिए सक्रिय होगी। यह निर्णय मिडिल ईस्ट में अमेरिका की भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। अमेरिका का सक्रिय होना इस क्षेत्र में एक बड़े युद्ध का रूप ले सकता है, जिससे वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
तनाव का बढ़ता हुआ स्तर
ईरान द्वारा किए गए मिसाइल हमले न केवल इजरायल की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं, बल्कि इसने पूरे क्षेत्र में एक नये युद्ध के बादल ला दिए हैं। इजरायल की सेना ने अपने रक्षा तंत्र को मजबूती देने का काम शुरू कर दिया है। इजरायली रक्षा मंत्री ने कहा कि “हमारा जवाब अवश्य आएगा, और यह तय है कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।”
इजरायल ने ईरान के मिसाइल प्रक्षेपण स्थलों पर हवाई हमले करने की योजना बनाई है। हालांकि, यह कदम बड़े पैमाने पर युद्ध की आशंका को बढ़ा सकता है। नेतन्याहू ने अपने बयान में कहा कि “हम ईरान के खिलाफ किसी भी तरह के हमले से नहीं चूकेंगे।” यह बयान इजरायल की सेना के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि वे किसी भी स्थिति में जवाब देने के लिए तैयार हैं।
क्षेत्रीय स्थिति और संभावित परिणाम
इस बीच, लेबनान में भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। हिज़्बुल्लाह जैसे ईरान समर्थित संगठनों ने इजरायल के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि ईरान का प्रभाव केवल अपने देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में फैल गया है। अगर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध छिड़ता है, तो लेबनान, सीरिया और अन्य पड़ोसी देशों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
इस संघर्ष पर वैश्विक स्तर पर भी प्रतिक्रिया आ रही है। कई देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। अगर अमेरिका, इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष बढ़ता है, तो यह वैश्विक आर्थिक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है।
अमेरिकी सेना की भूमिका
राष्ट्रपति बाइडेन के निर्णय के पीछे मुख्य कारण यह है कि अमेरिका इजरायल को सुरक्षा प्रदान करना चाहता है। अमेरिका की सेना पहले से ही क्षेत्र में सक्रिय है, और इस बार उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। यह कदम ना केवल इजरायल की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अमेरिका के लिए भी एक रणनीतिक निर्णय है, जिससे उनकी स्थिति को मजबूती मिलेगी।
अमेरिका ने इजरायल को विभिन्न प्रकार की सैन्य सहायता प्रदान की है, जिसमें अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली और सैन्य उपकरण शामिल हैं। इससे इजरायल को ईरानी मिसाइलों का सामना करने में मदद मिलेगी। अमेरिका की सहायता से इजरायल ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को और अधिक सक्षम बनाया है, जिससे वे संभावित मिसाइल हमलों को रोकने में सक्षम होंगे।