Uttarakhand

Haridwar: गंगनहर 11 अक्टूबर से 20 दिनों के लिए बंद श्रद्धालुओं के लिए गंगा जल की कोई कमी नहीं

हर साल दशहरा पर्व के दौरान उत्तर प्रदेश के गंगनहर को मरम्मतीकरण के लिए बंद किया जाता है। इस बार, गंगनहर 11 अक्टूबर की मध्य रात्रि से बंद होकर 31 अक्टूबर की मध्य रात्रि तक बंद रहेगा। यह लगभग 20 दिनों तक जारी रहेगा। इस अवधि के दौरान, हरकी पैड़ी पर गंगाजल की उपलब्धता अक्सर एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन जाती है, खासकर उन श्रद्धालुओं के लिए जो देश-विदेश से यहां गंगा स्नान के लिए आते हैं।

यूपी सिंचाई विभाग का दावा

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने आश्वासन दिया है कि इस बार श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैड़ी पर गंगाजल की कमी नहीं होगी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गंगनहर बंद होने के बावजूद, अविरल गंगा से गंगाजल सीधे हरकी पैड़ी पर लाने के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं। बंध बनाकर, गंगा की धारा को मोड़कर हरकी पैड़ी तक पानी पहुंचाने की प्रक्रिया तैयार की गई है।

योजना का कार्यान्वयन

इस योजना के तहत, सर्वानंद घाट से आने वाली अविरल गंगा के भगीरथी बिंदु और कांगड़ा पुल पर बंध बनाए जाएंगे। ये बंध अविरल गंगा की धारा को मोड़कर हरकी पैड़ी की दिशा में पानी लाने में सहायक होंगे। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह पहली बार होगा जब गंगनहर बंदी के दौरान श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी पर स्नान करने के लिए गंगा जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।

व्यापारी समुदाय की चिंताएं

धर्मनगरी हरिद्वार के व्यापारी गंगनहर बंदी का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि त्योहारी सीजन में गंगनहर का बंद होना व्यापार के लिए हानिकारक है। हरकी पैड़ी पर गंगाजल की कमी के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आती है, जिससे उनके व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। व्यापारियों की मांग है कि गंगनहर बंदी के समय में बदलाव किया जाए ताकि त्योहारी मौसम में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ सके।

गंगाजल की उपलब्धता: पहली बार प्रभावी प्रबंधन

इस बार गंगनहर बंदी के दौरान श्रद्धालुओं को गंगा जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जो उपाय किए जा रहे हैं, वे अनूठे हैं। यदि इन योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो यह एक महत्वपूर्ण प्रगति होगी। हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं के लिए पानी की कोई कमी नहीं होगी, और उन्हें गंगा स्नान करने में सक्षम बनाया जाएगा।

अविरल गंगा की धारा का महत्व

गंगा नदी की अविरल धारा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह स्थानीय पारिस्थितिकी और जल संसाधनों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे न केवल जल स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है, बल्कि यह क्षेत्र में कृषि और अन्य उद्योगों के लिए भी आवश्यक जल आपूर्ति का स्रोत है। इस बार, गंगा की अविरल धारा को हरकी पैड़ी तक लाने की योजना को लागू करने से गंगा के प्रति श्रद्धालुओं का विश्वास और बढ़ेगा।

श्रद्धालुओं का अनुभव: गंगा स्नान की तैयारी

गंगनहर बंदी के दौरान श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान के लिए गंगाजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह योजना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं, तो उनकी प्राथमिकता होती है गंगा में स्नान करना और धार्मिक अनुष्ठान करना। इस बार, यदि गंगाजल की कमी नहीं होती है, तो यह उनके अनुभव को और भी समृद्ध करेगा।

धार्मिक पर्यटन का महत्व

हरिद्वार में गंगाजल की उपलब्धता से न केवल श्रद्धालुओं को लाभ होगा, बल्कि इससे स्थानीय व्यापार और पर्यटन उद्योग को भी मजबूती मिलेगी। यह शहर धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र है, और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सीधे स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।

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