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The story of Ratan Tata, जब पालतू कुत्ता हुआ बीमार तो नहीं पहुंचे अवॉर्ड लेने

देश के सबसे मशहूर उद्योगपति और टाटा ग्रुप के मानद चेयरमैन रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 की देर रात हुआ। उनकी उम्र 86 वर्ष थी। खराब स्वास्थ्य के कारण उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। रतन टाटा ने भारतीय उद्योग जगत में एक अद्वितीय पहचान बनाई और अपने कार्यकाल के दौरान टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया।

टाटा ग्रुप अध्यक्ष

रतन टाटा ने 1990 में टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का पद ग्रहण किया और 2012 तक इस पद पर बने रहे। उनके कार्यकाल में टाटा ग्रुप ने कई नए आयाम स्थापित किए। उन्होंने न केवल व्यवसाय में सफलताएँ हासिल कीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखा। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व ने टाटा ग्रुप को भारत के सबसे बड़े और सबसे सम्मानित उद्योग समूहों में से एक बना दिया।

प्रेरणादायक व्यक्तित्व

रतन टाटा सिर्फ एक सफल उद्योगपति नहीं थे, बल्कि एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व के धनी भी थे। उनका जीवन उन मूल्यों और सिद्धांतों का प्रतीक है, जो उन्हें हर किसी के लिए आदर्श बनाते हैं। उनके व्यक्तित्व की एक झलक एक दिलचस्प किस्से से मिलती है, जिसमें वह अपने पालतू कुत्ते के लिए एक महत्वपूर्ण पुरस्कार लेने नहीं गए।

प्रिंस चार्ल्स द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

रतन टाटा की ख्याति केवल भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में फैली हुई थी। उद्योग जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें अनेक पुरस्कार मिले। 2018 में, ब्रिटेन के तत्कालीन प्रिंस चार्ल्स ने रतन टाटा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देने के लिए बकिंघम पैलेस में आमंत्रित किया। इस विशेष समारोह के लिए एक भव्य कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था, जिसके लिए रतन टाटा ने लंदन आने की स्वीकृति दी थी।

बीमार कुत्ते की वजह से समारोह से वंचित

हालांकि, एक अप्रत्याशित घटना ने उन्हें इस समारोह में शामिल होने से रोक दिया। भारतीय बिजनेसमैन, कॉलमनिस्ट और अभिनेता सुहेल सेठ ने इस किस्से का उल्लेख करते हुए बताया कि रतन टाटा ने उन्हें फोन किया और बताया कि उनके पालतू कुत्ते, टैंगो या टीटो, में से कोई एक बहुत बीमार है। इस कारण वह पुरस्कार समारोह में नहीं जा सके।

सुहेल सेठ ने कहा, “रतन टाटा ने मुझसे कहा कि वह पुरस्कार लेने नहीं आ सकते। मैंने उन्हें समझाया कि प्रिंस चार्ल्स ने यह समारोह उनके लिए रखा है, लेकिन रतन टाटा ने अपने कुत्ते की स्वास्थ्य स्थिति को प्राथमिकता दी।”

प्रिंस चार्ल्स का प्रशंसा

जब प्रिंस चार्ल्स को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने रतन टाटा की प्रशंसा की। सुहेल सेठ ने कहा कि प्रिंस चार्ल्स ने कहा, “इंसान ऐसा ही होना चाहिए। रतन टाटा कमाल के इंसान हैं। उनकी इसी आदत की वजह से आज टाटा समूह इस मुकाम पर है।”

एक प्रेरणा का स्रोत

रतन टाटा का निधन न केवल भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ा नुकसान है, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्तित्व की विदाई है, जिसने न केवल व्यवसाय में बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक प्रभाव डाला। उनके सिद्धांत, मूल्य और कार्यों ने उन्हें प्रेरणा का स्रोत बना दिया।

सामाजिक जिम्मेदारी

रतन टाटा ने हमेशा समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा। उन्होंने टाटा ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को चलाया। उनका मानना था कि एक उद्योगपति का कर्तव्य केवल लाभ कमाना नहीं है, बल्कि समाज की भलाई में भी योगदान देना है।

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