Uttarakhand

UTTARAKHAND : प्रदेश की उन्नति के लिए CM धामी ने किया नन्ही कन्याओं का पूजन

शारदीय नवरात्र का उत्सव पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस बार नवमी तिथि पर माता दुर्गा के अंतिम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की गई। नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा का महत्व है, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है। महा अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन की परंपरा निभाई जाती है, जिसके तहत देवी के स्वरूप में कन्याओं का पूजन कर माता का आभार व्यक्त किया जाता है।

मुख्यमंत्री की आराधना

इस विशेष दिन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने शासकीय आवास पर अष्ट सिद्धियों की दात्री मां सिद्धिदात्री की आराधना की। उन्होंने लोक कल्याण के लिए प्रार्थना की और सम्पूर्ण विधि-विधान से देवी स्वरूपा कन्याओं का पूजन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, “आदिशक्ति मां भगवती सभी प्रदेशवासियों का कल्याण करें और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें।” उनका यह आशीर्वाद भक्तों के लिए प्रेरणादायक रहा।

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को प्रारंभ हुई थी और इसका समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12:07 बजे हुआ। उदया तिथि के आधार पर अष्टमी तिथि का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। इस तिथि पर कन्या पूजन करने वाले भक्तों ने अपने व्रत को अष्टमी तिथि के समापन से पहले संपन्न किया, ताकि वे माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

कन्या पूजन की परंपरा

नवरात्र के दौरान कन्या पूजन की परंपरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि व्रत रखने के बाद यदि भक्त कन्या पूजन करते हैं, तो माता रानी प्रसन्न होती हैं और भक्त को सुख-समृद्धि एवं धन-संपदा का आशीर्वाद देती हैं। कन्या पूजन से न केवल माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है, बल्कि यह कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति को भी मजबूत करने में सहायक होता है।

कन्या पूजन के दौरान भक्त कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हैं और उन्हें श्रद्धा और सम्मान के साथ पूजा करते हैं। इस दौरान कन्याओं को स्वादिष्ट भोजन, वस्त्र, और उपहार दिए जाते हैं। यह सामाजिक समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

कन्या पूजन के माध्यम से भक्तों में सामाजिक सद्भावना और भाईचारे की भावना को भी बढ़ावा मिलता है। नवरात्रि के इस अनुष्ठान से न केवल व्यक्तिगत सुख-समृद्धि की कामना की जाती है, बल्कि यह समाज के कल्याण का भी प्रतीक है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button