UTTARAKHAND : पौड़ी डाक विभाग में फर्जी दस्तावेजों का मामला चार डाक सेवकों की नियुक्ति निरस्त
पौड़ी: पौड़ी जिले के डाक विभाग में हाल ही में नियुक्त चार डाक सेवकों की नियुक्ति निरस्त कर दी गई है। विभागीय जांच में दो डाक सेवकों के शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। यह मामला तब सामने आया जब डाक विभाग ने नए कर्मचारियों के दस्तावेजों की गहन जांच शुरू की थी।
मामला: फर्जी दस्तावेज और गुप्त भागने की कोशिश
डाक विभाग ने बताया कि 165 ग्रामीण डाक सेवकों की नियुक्ति प्रक्रिया के बाद, 77 नवनियुक्त डाक सेवक पौड़ी मुख्यालय में आमद कराई। इनमें से दो डाक सेवक, जो मध्य प्रदेश के निवासी बताए जा रहे हैं, विभागीय जांच का नाम सुनकर अचानक भाग खड़े हुए। जब उनसे शैक्षणिक दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां पेश करने को कहा गया, तो उन्होंने दस्तावेजों की फोटो कॉपी कराने की बात कही, लेकिन फिर कभी वापस नहीं लौटे।
शैक्षणिक दस्तावेजों की गंभीरता
जांच के दौरान, अनिल कुमार नामक एक डाक सेवक का मामला विशेष रूप से ध्यान खींचता है। अनिल ने वर्ष 2014 में यूपी बोर्ड से 10वीं परीक्षा 97 फीसदी अंकों के साथ पास किया था। लेकिन, जांच में पाया गया कि जिस रोल नंबर पर अनिल का अंकपत्र है, वह वास्तव में किसी अन्य छात्र का है, जो बोर्ड परीक्षा में फेल हुआ।
इससे स्पष्ट होता है कि अनिल ने जानबूझकर फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए। हालांकि, दोनों का नाम एक जैसा है, लेकिन माता-पिता के नाम और जन्मतिथि अलग हैं। यह दर्शाता है कि दस्तावेजों में धोखाधड़ी की गई है।
ग्रामीण डाक सेवकों के पद पर नियुक्ति प्रक्रिया
डाक विभाग की इस कार्रवाई से यह भी संकेत मिलता है कि विभागीय जांच और प्रक्रिया कितनी सख्त होनी चाहिए। पौड़ी के डाक विभाग ने इस मामले में पारदर्शिता बरतने का प्रयास किया है। अधिकारियों ने बताया कि जब उन्हें शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच में अनियमितताएं मिलीं, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की।
विभाग की प्रतिक्रिया
डाक विभाग ने सभी चारों नवनियुक्त डाक सेवकों की नियुक्ति को रद्द करने के साथ ही संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। विभाग ने सभी नवनियुक्त डाक सेवकों के दस्तावेजों की जांच की प्रक्रिया को और सख्त करने का निर्णय लिया है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को रोका जा सके।
नवनियुक्त डाक सेवकों की स्थिति
नवनियुक्त डाक सेवकों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है, क्योंकि उनकी भर्ती प्रक्रिया में इतनी बड़ी अनियमितताएं सामने आई हैं। विभागीय जांच में शामिल होने वाले अन्य कर्मचारियों को भी अब इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनके दस्तावेज सही और प्रमाणित हों।