UTTARAKHAND : मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की महत्वपूर्ण बैठक, भूस्खलन और मलबे के निस्तारण के लिए समयसीमा तय
देहरादून: उत्तराखंड की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने बीआरओ, एनएचआईडीसीएल और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में मानसून के दौरान भूस्खलन और राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण से उत्पन्न मलबे के सुव्यवस्थित निस्तारण पर जोर दिया गया। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे डम्पिंग स्थलों के लिए भूमि चिन्हित कर एक सप्ताह के भीतर प्रस्ताव शासन को भेजें।
डम्पिंग स्थलों का चयन
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि डम्पिंग स्थलों का चयन करते समय प्राथमिकता राष्ट्रीय राजमार्गों पर राजस्व भूमि को दी जाएगी। यदि राजस्व भूमि उपलब्ध नहीं है, तो वन भूमि का चयन किया जाएगा। श्रीमती रतूड़ी ने इस दिशा में सभी जिलाधिकारियों से त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया।
डम्पिंग नियमों का पालन
मुख्य सचिव ने डम्पिंग से संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए कि वे निर्धारित डम्पिंग जोन में मलबे के निस्तारण के नियमों का सख्ती से पालन करें। उन्होंने चेतावनी दी कि नियमों का उल्लंघन करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डम्पिंग से संबंधित सभी गतिविधियाँ स्वच्छता और नियमों के अनुरूप हों।
संतृप्त डम्पिंग जोन की स्थिति
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि जिन डम्पिंग जोनों की क्षमता पूरी हो चुकी है, उनके विस्तार की संभावनाओं का अध्ययन किया जाएगा। मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि संतृप्त डम्पिंग जोनों को कम्प्रेस करने की संभावनाओं पर भी विचार किया जाए। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मलबे का निस्तारण प्रभावी रूप से किया जा सके।
कार्य योजना और ग्रीन पैच
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि चिन्हित डम्पिंग स्थलों पर मलबे के जमा होने के बाद उसके उपयोग के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। उन्होंने इन स्थलों पर ग्रीन पैच विकसित करने का सुझाव दिया, जिसमें बांस के पौधारोपण के साथ-साथ तेजी से विकसित होने वाले वृक्षों का रोपण किया जाएगा। यह वृक्ष भविष्य में क्रैश बैरियर्स के रूप में उपयोगी सिद्ध होंगे।
समन्वय और निरीक्षण
मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग, बीआरओ और एनएचआईडीसीएल को निर्देश दिया कि वे डम्पिंग जोन की आवश्यकता के संबंध में जिलाधिकारियों के साथ समन्वय करें और संयुक्त निरीक्षण करें। इसके साथ ही, एजेंसियों को अगले पांच वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए चिन्हित भूमि के प्रस्ताव भेजने के निर्देश भी दिए गए।
भूमि की आवश्यकता
डम्पिंग से संबंधित कार्यदायी संस्थाओं ने उत्तराखंड में अगले पांच वर्षों की आवश्यकताओं के मद्देनजर कुल 81.99 हेक्टेयर भूमि की मांग की है। इसमें वर्तमान में 55.69 हेक्टेयर भूमि शामिल है, जबकि अगले पांच वर्षों में 26.30 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी।
बैठक में उपस्थित अधिकारी
इस बैठक में सचिव श्री पंकज कुमार पाण्डेय सहित लोक निर्माण विभाग, बीआरओ, एनएचआईडीसीएल और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, टिहरी भी मौजूद थे। सभी अधिकारियों ने मिलकर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया।