PUNJAB में इस शख्स ने 15 वर्षों से नहीं जलाई धान की पराली, सरकार कर रही तारीफ
पंजाब, 14 अक्टूबर 2024: इन दिनों पंजाब में धान की पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रतिदिन नई रिपोर्टें आ रही हैं, जिनमें किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने की घटनाएँ शामिल हैं। धान की पराली जलाने से उठने वाला धुआँ न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुँचा रहा है। इसके अलावा, पराली जलाने से खेत की मिट्टी की गुणवत्ता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
सरकारी प्रयास
पंजाब सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। सरकार ने गांव-गांव जाकर जागरूकता कैंप लगाए हैं, जिसमें किसानों को पराली को न जलाने के फायदे बताए जा रहे हैं।
किसानों की जागरूकता: एक सकारात्मक बदलाव
उदाहरण: जगमोहन सिंह
पंजाब के मोगा जिला के गांव जे सिंह वाला के किसान जगमोहन सिंह ने 60 एकड़ में खेती करते हुए पिछले 15 वर्षों से धान की पराली नहीं जलाई। उनका मानना है कि पर्यावरण स्वच्छता के महत्व को समझते हुए उन्होंने यह कदम उठाया।
जगमोहन सिंह ने बताया, “15 साल पहले मैंने पराली जलाना पूरी तरह से बंद कर दिया। इसके बाद, मैं कंबाइन से धान की कटाई के बाद खड़ी पराली में पलवार लगाकर आलू की बिजाई करता हूँ।”
फसल की गुणवत्ता में सुधार
जगमोहन के अनुसार, पराली को जलाने के बजाय खेत में मिलाने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। “अगली बिजाई के लिए खाद की मात्रा कम देनी पड़ती है और फसल भी अच्छी होती है। जमीन की मिट्टी नरम रहती है, जिससे जल धारण क्षमता 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ जाती है,” उन्होंने कहा।
आर्थिक लाभ: आलू की फसल
जगमोहन सिंह ने यह भी बताया कि वे पराली को जमीन में मिलाकर गेहूं की फसल के मुकाबले आलू की फसल से अधिक कमाई कर रहे हैं। “आलू की फसल से मुझे गेहूं के एक सीजन की तुलना में तीन गुना अधिक फसल मिलती है।”
अपील: पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी
जगमोहन ने सभी किसानों से अपील की है कि वे पराली को न जलाएं। “यदि हम सभी एकजुट होकर पराली के धुएं से पंजाब को मुक्त करने का प्रयास करें, तो हमारा पर्यावरण साफ रहेगा,” उन्होंने कहा।
पराली जलाने के मामलों की बढ़ती संख्या
13 अक्टूबर 2024 तक, पंजाब में पराली जलाने के 872 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। रविवार को एक दिन में 162 नए मामले सामने आए। पिछले साल, इसी दिन पराली जलाने के केवल 120 मामले और 2023 में 154 मामले रिपोर्ट हुए थे।
मॉनीटरिंग और कार्यवाही
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के चेयरमैन आदर्श पाल विग ने कहा, “हमारे अधिकारी लगातार फील्ड में पराली जलाने के मामलों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। इस प्रक्रिया को और तेज किया जाएगा।”
किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है, और पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा रही
किसानों को यह समझाना आवश्यक है कि पराली जलाने के बजाय उसे उचित तरीके से प्रबंधन करने से उनके फसल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। इसके लिए सरकारी योजनाओं और संसाधनों का सही उपयोग करने की आवश्यकता है।
पंजाब की सरकार को चाहिए कि वह ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा दे, जिससे किसान पराली जलाने के बजाय उसके उचित उपयोग के लिए प्रेरित हों। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि किसानों की आय में भी सुधार होगा।