Uttarakhand

केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख का ऐलान

देहरादून: केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तारीख का औपचारिक ऐलान कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने आज एक प्रेस वार्ता में बताया कि मतदान 20 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 23 नवंबर को की जाएगी। यह उपचुनाव दिवंगत विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद आयोजित किया जा रहा है, जिससे विधानसभा की सीट रिक्त हो गई थी।

नामांकन की समय सीमा

चुनाव आयोग ने बताया कि नामांकन की प्रक्रिया 29 अक्टूबर से शुरू होगी, जो 4 नवंबर तक चलेगी। इस दौरान उम्मीदवार अपने नामांकन पत्र जमा कर सकते हैं। वहीं, 4 नवंबर के बाद नाम वापस लेने की अंतिम तारीख होगी। इस उपचुनाव में लगभग 92,000 मतदाता मतदान करेंगे।

मतदान केंद्र और पोलिंग स्टेशन

उपचुनाव के लिए कुल 173 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इनमें से 166 मतदान केंद्रों पर पोलिंग पार्टियां एक दिन पहले रवाना होंगी, जबकि 7 मतदान केंद्रों पर पार्टियां दो दिन पहले भेजी जाएंगी। निर्वाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 27 सेक्टर और 2 जोन बनाए गए हैं।

बर्फबारी के लिए तैयारियां

अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि दिसंबर में केदारनाथ क्षेत्र में बर्फबारी की संभावना को ध्यान में रखते हुए मतदान दलों के लिए सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आवश्यक उपकरण और संसाधन प्रदान किए जाएंगे, ताकि मतदान में किसी प्रकार की बाधा न आए।

भाजपा की रणनीति

भाजपा ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र को जीतने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है। पार्टी ने मंडल से लेकर बूथ स्तर तक एक-एक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौंपी है। सभी जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों को दूरदराज के गांवों में जाकर मतदाताओं से संपर्क करने के निर्देश दिए गए हैं। भाजपा का प्रयास है कि वे इस उपचुनाव में किसी भी स्तर पर कमी न रखें। पार्टी के मंत्रियों और विधायकों ने भी मतदाताओं से संपर्क करने के लिए गांवों का दौरा शुरू कर दिया है।

कांग्रेस की पहल

कांग्रेस भी इस उपचुनाव को लेकर गंभीर है। पार्टी ने आपदा से प्रभावित लोगों की समस्याओं को अपने चुनावी मुद्दों में शामिल किया है। इसके अलावा, कांग्रेस ने केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा का आयोजन कर, पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है। कांग्रेस का लक्ष्य है कि वे प्रभावित समुदायों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करें और मतदाताओं के साथ संवाद स्थापित करें।

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