Punjab

PUNJAB के पंचायत चुनाव में जमकर हुआ बवाल, बूथ कैप्चरिंग और हुई गोलीबारी

पंजाब में 13,237 ग्राम पंचायतों में से 9,705 में मंगलवार को पंचायत चुनाव संपन्न हो गए। चुनाव के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं ने चुनावी माहौल को कलंकित कर दिया, जिसमें तीन जिलों में फायरिंग हुई, परिणामस्वरूप पांच लोग गोली लगने से घायल हो गए। इसके अलावा, अन्य हिंसक घटनाओं में 11 लोग जख्मी हुए। हालांकि, राज्य चुनाव आयोग ने अब तक फाइनल मतदान आंकड़ा जारी नहीं किया है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, प्रदेश में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है।

तरनतारन में गोलीबारी

तरनतारन जिले के ग्राम पंचायत भगत सैण (सोहल) में मतदान के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के समर्थकों के दो गुट आपस में भिड़ गए। यहाँ गोली चलने से एक युवक घायल हो गया, जबकि लाठियों के हमले में दो अन्य लोग जख्मी हो गए। हंगामे के कारण मतदान 40 मिनट तक रुका रहा।

पटियाला की खुड्डा पंचायत

पटियाला जिले के सनौर में खुड्डा ग्राम पंचायत के मतदान केंद्र पर करीब 25 लोगों ने फायरिंग की, जिसमें एक व्यक्ति जख्मी हो गया। इस हंगामे के दौरान मतपेटी भी ले जाई गई, जो बाद में एक खेत में मिली।

मोगा के बाघापुराना कस्बे में कोटला मेहर सिंह वाला गांव में भी गोलीबारी हुई, जिसमें एक युवक घायल हो गया। इसके अलावा, कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी तहसील में फर्जी मतदान के विवाद को लेकर दो गुटों के बीच भिड़ंत हुई, जिसमें चार लोग घायल हुए।

बूथ कैप्चरिंग की कोशिशें

गांव नूरपुर में कुछ लोगों ने बूथ कैप्चरिंग की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया। वहीं, गांव लोके खुर्द में बूथ कैप्चरिंग में विफल होने पर आरोपितों ने नीली स्याही मतपेटी में गिरा दी, जिससे बैलेट पेपर खराब हो गए।

मतदान के दौरान पथराव की घटनाएँ

अमृतसर के राजासांसी में बलगण सिद्धू गांव में मतदान के दौरान दो गुट भिड़ गए। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पत्थर बरसाए, जिससे पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा। इसी प्रकार, मोगा के धर्मकोट के गांव मसीतां के मतदान केंद्र पर विधायक दविंदर सिंह लाडी के पहुंचने पर भी पथराव की घटना हुई, जिसमें पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी।

मतगणना में धक्केशाही का आरोप

गांव मेहरो में, एक महिला प्रत्याशी के पति ने मतगणना के दौरान धक्केशाही का आरोप लगाते हुए खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि उन्हें मतगणना केंद्र से बाहर निकाल दिया गया था।

इस चुनाव में हुई हिंसा और अव्यवस्थाओं ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा और पारदर्शिता पर प्रश्न उठाए हैं। क्या इस प्रकार की घटनाएँ लोकतंत्र की नींव को कमजोर नहीं करतीं? क्या चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है?

स्थानीय प्रशासन की भूमिका

स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हो जाती है। क्या चुनावों के दौरान ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अधिक सख्त नियम और सुरक्षा उपाय नहीं होने चाहिए? चुनावी अधिकारियों को इस प्रकार की परिस्थितियों से निपटने के लिए बेहतर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

समाज का दृष्टिकोण

समाज में इस प्रकार की घटनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। मतदान प्रक्रिया को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाना हर नागरिक का अधिकार है। समाज के सभी वर्गों को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button