Uttarakhand: उल्लू के शिकार को लेकर अलर्ट,दिवाली पर बढ़ सकता है उल्लू का शिकार
वन विभाग ने उल्लू के शिकार की आशंका को लेकर सभी जिलों में अलर्ट जारी किया है। दिवाली के दौरान अंधविश्वास के कारण उल्लू के शिकार की घटनाएँ बढ़ने की संभावनाएँ हैं। इस संदर्भ में, सभी डीएफओ (जिला वन अधिकारी) और टाइगर रिजर्व एवं अभयारण्यों के निदेशकों को संवेदनशील स्थानों पर गश्त बढ़ाने और स्थानीय लोगों के साथ अधिक संपर्क में रहने का निर्देश दिया गया है।
उल्लू की बलि अंधविश्वास का प्रभाव
दिवाली का त्योहार, जो आमतौर पर खुशियों और रोशनी का प्रतीक होता है, कुछ लोगों के लिए उल्लू की बलि का कारण बन जाता है। अंधविश्वास के चलते, दिवाली के समय तांत्रिक पूजा में उल्लू की बलि देने की प्रथा है। इस विश्वास के अनुसार, कुछ लोग उल्लू को तांत्रिक बलिदान के लिए आवश्यक मानते हैं। ऐसे में, उल्लू के शिकारी सक्रिय हो जाते हैं और उन्हें पकड़ने के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहते हैं।
प्रमुख वन संरक्षक का अलर्ट
प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) रंजन मिश्रा ने इस संदर्भ में एक अलर्ट जारी किया है। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उल्लू के मिलने वाले स्थानों पर विशेष ध्यान दें और गश्त बढ़ाएं। इसके अलावा, मुखबिरों और स्थानीय लोगों के सहयोग से जानकारी जुटाने के लिए भी कहा गया है, जिससे कि किसी भी संभावित शिकारी गतिविधियों का पता समय पर लगाया जा सके।
स्थानीय सहयोग का महत्व
यूसी तिवारी, तराई केंद्रीय वन प्रभाग के डीएफओ, ने कहा कि संवेदनशील स्थानों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि इस समय उल्लू के शिकार की घटनाएँ अधिक होने की आशंका है। स्थानीय समुदाय का सहयोग इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है। लोग यदि किसी अराजक गतिविधि या शिकारी की हलचल को देखेंगे, तो उन्हें तत्काल वन विभाग को सूचित करना चाहिए।
उल्लू के महत्व और संरक्षण की आवश्यकता
उल्लू, जो कि पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, कई प्रकार के कीटों और कृन्तकों का शिकार करके उनकी संख्या को नियंत्रित करता है। उल्लू की कई प्रजातियाँ संरक्षण की श्रेणी में आती हैं, और इनके शिकार से पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
उल्लू के शिकार को रोकने के लिए, वन विभाग को न केवल अलर्ट रहना होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को इस विषय में जागरूक करने की आवश्यकता भी है। शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाकर, लोग अंधविश्वास को समाप्त कर सकते हैं और उल्लू की सुरक्षा में योगदान कर सकते हैं।
वन विभाग की योजनाएँ
वन विभाग ने इस बार कुछ विशेष योजनाएँ बनाई हैं। विभाग ने स्थानीय समुदाय के बीच जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई है, जिनमें उल्लू और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के महत्व को समझाया जाएगा। इसके अलावा, वन्यजीवों के संरक्षण में स्थानीय लोगों की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।