Uttarakhand

UTTARAKHAND : समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नियमावली 18 अक्तूबर को सीएम को सौंपी जाएगी

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नियमावली को 18 अक्तूबर को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा जाएगा। इस दिन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक भी बुलाई गई है। यह बैठक यूसीसी के क्रियान्वयन को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा का मंच बनेगी।

यूसीसी नियमावली

समान नागरिक संहिता का उद्देश्य विभिन्न धार्मिक कानूनों को एक समान कानून में समाहित करना है, जिससे सभी नागरिकों को एक समान अधिकार और कर्तव्य प्राप्त हो सकें। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में परिभाषित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य को नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करना चाहिए।

समिति की भूमिका

यूसीसी के ड्राफ्ट और नियमावली को तैयार करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया था। इस समिति की अध्यक्षता शत्रुघ्न सिंह कर रहे हैं। समिति ने नियमावली के निर्माण में कई पहलुओं पर चर्चा की और अंतिम रूप से इसे प्रकाशन के लिए भेजा।

समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि बैठक का एजेंडा अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। यह महत्वपूर्ण है कि बैठक में यूसीसी के कार्यान्वयन, इसके लाभ, और जनता की अपेक्षाओं पर चर्चा की जाए।

नियमावली का महत्व

नियमावली का कार्य पूरा होने के बाद, इसे मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। यह नियमावली केवल कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह समाज में समानता और न्याय को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म का निर्माण

नियमावली के साथ ही, यूसीसी से संबंधित वेबसाइट और मोबाइल एप का विकास भी लगभग पूरा हो चुका है। यह प्लेटफॉर्म नागरिकों को यूसीसी की जानकारी, नियमों और प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करने में मदद करेगा।

सूचना का वितरण

वेबसाइट और एप के माध्यम से नागरिकों को यूसीसी के लाभ, नियम और आवश्यक प्रक्रियाओं की जानकारी सरल और सुलभ तरीके से उपलब्ध होगी। यह पहल नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने में सहायक होगी।

यूसीसी को लेकर समाज में विभिन्न मत हैं। कुछ इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं, जबकि कुछ इसका विरोध करते हैं। समुदाय की विभिन्न धाराएं इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से देखती हैं।

विशेषज्ञों की राय

कई सामाजिक और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यूसीसी का कार्यान्वयन भारतीय समाज में सुधार लाने के लिए आवश्यक है। वे इसे सामाजिक समरसता और एकता के लिए एक सकारात्मक कदम मानते हैं।

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