Uttarakhand

UTTARAKHAND :प्रदेश में पंचायतों का कार्यकाल समाप्त चुनाव नहीं होंगे, क्या होगी अगली रणनीति?

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल अगले महीने 27 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है। लेकिन इस बार चुनाव नहीं होंगे, और पंचायतों का कार्यकाल भी नहीं बढ़ाया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव को लेकर शासन से 20 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी थी, जिसे पंचायत निदेशालय ने समय पर शासन को भेज दिया है।

परिसीमन का कार्य और बदलाव

प्रदेश में पंचायतों के चुनाव की तैयारी के तहत विभाग की ओर से हरिद्वार को छोड़कर सभी जिलों में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का परिसीमन किया गया है। यह परिसीमन ग्राम पंचायतों की संख्या को 7,796 से बढ़ाकर 7,823 और ग्राम पंचायत वार्ड की संख्या को 59,219 से बढ़ाकर 59,357 तक ले गया है।

जिला पंचायत की सीटें भी 385 से बढ़कर 389 हो गई हैं। हालांकि, क्षेत्र पंचायतों की संख्या में कमी आई है, जो 3,162 से घटकर 3,157 हो गई है। शहरी विकास विभाग द्वारा कुछ निकायों का विस्तार और कुछ ग्राम पंचायतों को नगर पालिका क्षेत्र से बाहर करने की प्रक्रिया भी जारी है।

परिसीमन से प्रभावित जिले

चमोली, चंपावत, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जैसे जिलों में नए सिरे से परिसीमन की आवश्यकता महसूस की जा रही है, जिससे इन जिलों में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत सीटों में परिवर्तन संभव है। पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक मनोज तिवारी के अनुसार, परिसीमन के परिणामस्वरूप कुछ गांव शहरी निकायों में शामिल हो गए हैं, जबकि कुछ निकायों से बाहर हुए हैं।

मतदाता सूची का पुनरीक्षण

मतदाता सूची का पुनरीक्षण अगले साल जनवरी तक किया जाएगा, जिसके बाद नई मतदाता सूची तैयार होगी। इस स्थिति में, चुनाव का आयोजन अगले साल फरवरी-मार्च के बाद ही संभव होगा।

पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने का मुद्दा

पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की कोई व्यवस्था एक्ट में नहीं है। एक दिन के लिए भी त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता। लेकिन यदि सरकार चाहे, तो पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकतम छह महीने के लिए प्रशासक बना सकती है।

एक्ट के अनुसार, व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है। जिला पंचायतों में जिला मजिस्ट्रेट के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष को प्रशासक बनाया जा सकता है। वहीं, ब्लॉक में एसडीएम के साथ क्षेत्र प्रमुख और ग्राम पंचायतों में एडीओ पंचायत के साथ ग्राम प्रधान को प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है।

पंचायत प्रतिनिधियों की मांगें

पंचायत प्रतिनिधियों ने मांग की है कि पंचायतों का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ाया जाए और 12 जिलों में इस साल के बजाय हरिद्वार जिले के साथ 2027 में एक साथ चुनाव कराए जाएं। उनका कहना है कि ऐसा करने से राज्य में ‘एक राज्य, एक पंचायत चुनाव’ के सिद्धांत को लागू किया जा सकेगा।

पंचायत प्रतिनिधियों का यह भी कहना है कि राज्य में पहले भी अधिसूचना जारी कर पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया गया था, और देश के अन्य राज्यों ने भी कार्यकाल बढ़ाने के लिए अध्यादेश जारी किए हैं।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

इस स्थिति ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना दिया है। यदि पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया नहीं जाता है, तो सरकार को एक स्थायी समाधान खोजने की आवश्यकता होगी। इस बीच, पंचायत प्रतिनिधियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्थिति का समाधान निकालना होगा, ताकि पंचायतों के कार्यों में बाधा न आए।

राज्य सरकार को न केवल पंचायतों के कार्यकाल को लेकर स्पष्ट नीति बनानी होगी, बल्कि चुनावी प्रक्रिया को भी सुचारू बनाने की दिशा में कदम उठाने होंगे। इससे न केवल पंचायत प्रतिनिधियों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि आम जनता में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा।

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