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10 वर्षों में टैक्सपेयर्स की संख्या दोगुनी, 1 करोड़ रुपये से ज्यादा इनकम वालों की संख्या में 5 गुना उछाल

भारत में पिछले एक दशक में करोड़पतियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है। आयकर विभाग के डेटा के अनुसार, एसेसमेंट ईयर 2013-14 में केवल 44,078 व्यक्तियों की सालाना टैक्सेबल इनकम 1 करोड़ रुपये से अधिक थी, जबकि एसेसमेंट ईयर 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 2.3 लाख हो गई है। यह वृद्धि 5 गुना है, जो आर्थिक विकास और आय वितरण में बदलाव को दर्शाती है।

10 वर्षों में टैक्सपेयर्स की संख्या दोगुनी

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एसेसमेंट ईयर 2023-24 में कुल इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स की संख्या 7.54 करोड़ रही, जबकि 2013-14 में यह संख्या केवल 3.3 करोड़ थी। इस अवधि में टैक्स रिटर्न भरने वाले टैक्सपेयर्स की संख्या में दोगुने से ज्यादा का उछाल आया है। यह वृद्धि दर्शाती है कि देश में आयकर नियमों का पालन बढ़ा है और अधिक लोग टैक्स रिटर्न भरने में रुचि दिखा रहे हैं।

वेतनभोगियों का दबदबा

1-5 करोड़ रुपये वार्षिक आय सेगमेंट में आने वाले टैक्सपेयर्स में से 53 प्रतिशत वेतनभोगी हैं। हालांकि, 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक की आय वाले सेगमेंट में वेतनभोगियों की संख्या बहुत कम है। इसका मतलब यह है कि अधिकतर करोड़पति वेतनभोगी वर्ग से आते हैं, जो कि आमदनी का एक स्थिर स्रोत है।

500 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले टैक्सपेयर्स की संख्या

आयकर विभाग के डेटा के अनुसार, 23 ऐसे टैक्सपेयर्स हैं जिनकी सालाना टैक्सेबल इनकम 500 करोड़ रुपये से अधिक है। इसी प्रकार, 100 से 500 करोड़ रुपये आय वाले सेगमेंट में 263 टैक्सपेयर्स में से केवल 19 सैलरीड हैं। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि उच्च आय वर्ग में अधिकांश लोग व्यवसायी या उद्यमी हैं, जबकि वेतनभोगियों की संख्या बेहद कम है।

25 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले टैक्सपेयर्स की कमी

हालांकि, 25 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले टैक्सपेयर्स की संख्या में मामूली कमी आई है। एसेसमेंट ईयर 2022-23 में यह संख्या 1798 थी, जो एसेसमेंट ईयर 2023-24 में वही रही। वहीं, 10 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स की संख्या 1656 से घटकर 1577 हो गई है। यह संकेत करता है कि उच्च आय वर्ग में वृद्धि के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में गिरावट भी देखने को मिल रही है।

निम्न आय वर्ग की स्थिति

एसेसमेंट ईयर 2023-24 में 4.5 से 9.5 लाख रुपये वार्षिक आय कैटगरी में आने वाले इंडिविजुअल्स की संख्या कुल टैक्सपेयर्स का 52 प्रतिशत थी, जबकि 2013-14 में यह संख्या 54.6 प्रतिशत थी। इसका मतलब यह है कि निम्न आय वर्ग में टैक्सपेयर्स की संख्या में थोड़ी कमी आई है, जो आर्थिक बदलावों को दर्शाता है।

समग्र आर्थिक परिप्रेक्ष्य

यह डेटा स्पष्ट करता है कि भारत में आर्थिक विकास हुआ है, लेकिन यह भी दिखाता है कि आय असमानता बढ़ी है। करोड़पतियों की संख्या में वृद्धि इस बात का संकेत है कि देश में आर्थिक विकास के लाभ सभी वर्गों तक नहीं पहुँच रहे हैं।

सरकारी नीतियों का प्रभाव

सरकार की विभिन्न नीतियों, जैसे कर सुधार और रोजगार सृजन योजनाओं, ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि सरकार निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए भी विशेष ध्यान दे, ताकि सभी को आर्थिक विकास का लाभ मिल सके।

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