Punjab

PUNJAB सरकार पराली जलाने को लेकर चिंतित 8500 अधिकारी तैनात

पंजाब सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया. जिसमें 23 जिलों में 8500 अधिकारियों को फील्ड में उतारा गया। इन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वे किसानों को जागरूक करें और पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखें। लेकिन हकीकत यह है कि इस योजना का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की नाराजगी

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने हाल ही में पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर नाराजगी जाहिर की थी। आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि अधिकारी अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इसके अतिरिक्त, नोडल अधिकारियों की जिम्मेदारी भी स्पष्ट करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कड़ी नजर

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी इस समस्या को गंभीरता से लिया है। ट्रिब्यूनल ने पंचायत और कोऑपरेटिव सोसाइटीज के सदस्यों के साथ-साथ उन सरकारी कर्मचारियों की सूची मांगी है जो पिछले वर्ष पराली जलाने में लिप्त रहे। हालांकि, इस साल सिर्फ दो नंबरदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जबकि अन्य नोडल अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

अधिकारियों की जवाबदेही का सवाल

राज्य सरकार ने हर जिले में 350 नोडल अधिकारियों की तैनाती की है, जो प्रतिदिन 300 से 400 स्पॉट्स पर जाकर स्थिति की निगरानी करने का दावा करते हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि इन अधिकारियों की मॉनिटरिंग में कमी है। इसके अलावा, जागरूकता फैलाने में उनकी असफलता ने समस्या को और बढ़ा दिया है।

कृषि मंत्री का बयान

पंजाब के कृषि मंत्री, गुरमीत सिंह खुड्डियां, ने दावा किया है कि सरकार पिछले वर्षों की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में सफल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि 1.30 लाख मशीनें पराली प्रबंधन के लिए किसानों को उपलब्ध कराई गई हैं। हालांकि, किसान इस संबंध में जागरूक नहीं हैं, जिससे मंत्री के दावों की सत्यता पर सवाल उठता है।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और मशीनों की जानकारी छोटे किसानों तक नहीं पहुंच रही है। हरदयाल सिंह, जो पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के बोर्ड सदस्य हैं, का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसानों को सही जानकारी नहीं मिल रही है।

वहीं, खाद्य और कृषि नीति विश्लेषक देविंदर शर्मा का मानना है कि किसानों के खिलाफ एफआईआर और हर्जाना लगाने के बजाय, अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब तक किसानों को उचित इंसेंटिव नहीं दिए जाते, तब तक यह समस्या हल नहीं हो सकती।”

समाधान के लिए आगे का रास्ता

पंजाब में पराली जलाने की समस्या केवल प्रशासनिक उपायों से नहीं सुलझाई जा सकती। इसके लिए व्यापक जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता है, जो किसानों को पराली के निस्तारण के लिए तकनीकी जानकारी और मशीनरी की उपलब्धता के बारे में जागरूक करें।

सरकार को चाहिए कि वह किसानों के लिए इंसेंटिव प्रदान करे, ताकि वे पराली को जलाने के बजाय उसका सही प्रबंधन कर सकें। इसके लिए उचित योजना बनाई जानी चाहिए, जो किसानों को इस प्रक्रिया में शामिल करने के लिए प्रेरित करे।

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