बदरी-केदार यात्रा: इस साल की स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में धीमी यात्रा से घट गई BKTC की आय
बदरी-केदार यात्रा इस साल अब तक अपेक्षाकृत कम रही है। पंजीकरण की स्थिति और बरसात के कारण यात्रा में आई रुकावटों का प्रभाव न केवल यात्रा रूट पर पड़ा है, बल्कि इससे धाम की व्यावसायिक गतिविधियों और बदरी केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है।
आय में गिरावट
पिछले साल, बीकेटीसी को 83 करोड़ रुपये की आय हुई थी, जबकि इस साल अब तक केवल 54 करोड़ रुपये की आय हुई है। इस कमी का मुख्य कारण यात्रियों की संख्या में आई गिरावट है। बदरीनाथ धाम में इस साल करीब 12 लाख तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 18 लाख से अधिक श्रद्धालु आए थे। यदि इसी रफ्तार से यात्रा चलती रही, तो आने वाले चार सप्ताह में 18 लाख का आंकड़ा पार करना मुश्किल होगा। 17 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे, जिसके बाद यात्रा में कमी आना तय है।
पंजीकरण की समस्या
बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय थपलियाल ने बताया कि इस साल पंजीकरण की प्रक्रिया में आई समस्याएं यात्रियों की संख्या पर स्पष्ट रूप से असर डाल रही हैं। शुरू में ऑनलाइन पंजीकरण का स्लॉट जून माह तक पूरा बताया गया था, जिससे कई श्रद्धालु धामों में नहीं पहुंच पाए। इसके अलावा, ऑफलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया भी देर से शुरू हुई, जिसका नकारात्मक प्रभाव यात्रा पर पड़ा।
यात्रियों की संख्या में सुधार
हालांकि, यात्रा के सीजन के अंतिम चरण की ओर बढ़ते हुए यात्रियों की संख्या में थोड़ा सुधार हो रहा है। इन दिनों बदरीनाथ धाम में रोजाना 8,000 से 9,000 श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हाल ही में मंगलवार को 9,099 श्रद्धालु पहुंचे थे, जिससे कुल तीर्थयात्रियों की संख्या 11,85,721 तक पहुंच गई है। इस स्थिति को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में यह संख्या और भी बढ़ सकती है।
व्यवसाय पर प्रभाव
धाम की यात्रा में कमी का प्रभाव स्थानीय व्यवसाय पर भी पड़ा है। होटल, रेस्टोरेंट और अन्य सेवाओं में काम करने वाले लोगों को भी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायों में लगे लोगों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल का यात्रा सीजन काफी सुस्त रहा है।
भविष्य की संभावनाएँ
यात्रा के सीजन के समाप्त होने में कुछ सप्ताह शेष हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन और बीकेटीसी दोनों ही आने वाले दिनों में तीर्थयात्रियों की संख्या को बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। इसके लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सुगम बनाने, प्रचार-प्रसार करने और श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई जा रही हैं।