Uttarakhand

UTTARAKHAND : मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभागीय योजनाओं के प्रस्तावों पर जताया एतराज

उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभागीय योजनाओं के प्रस्ताव सीधे कैबिनेट बैठक में भेजने पर एतराज जताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जमीनी परीक्षण और आकलन के बिना ऐसे प्रस्तावों को प्रस्तुत करना योजनाओं के वास्तविक उद्देश्य को पूरा करने में बाधा उत्पन्न करता है।

मुख्य सचिव ने सभी विभागीय सचिवों को एक पत्र के माध्यम से निर्देश दिए हैं कि वे योजनाओं के प्रस्ताव जमीनी परीक्षण और समुचित आकलन के बाद ही कैबिनेट में प्रस्तुत करें। रतूड़ी ने कहा, “यदि हम योजनाओं का सही आकलन नहीं करेंगे, तो उनके कार्यान्वयन में अनेक कठिनाइयां आएंगी।”

पत्र का मुख्य बिंदु

इस पत्र में राधा रतूड़ी ने अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिवों, और सभी विभागीय सचिवों को निर्देश दिया है कि वे अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों का परीक्षण और तुलना करें, ताकि प्रभावी और यथार्थवादी प्रस्ताव तैयार किए जा सकें।

“वर्तमान योजनाओं का गहराई से अध्ययन किया जाना चाहिए, ताकि समान योजनाओं को मर्ज किया जा सके। इस प्रक्रिया के अभाव में विभिन्न विभागों के वित्तीय प्रस्तावों में विसंगतियां उत्पन्न होने की संभावना रहती है,” उन्होंने कहा।

योजनाओं की स्वीकृति में प्रक्रियाओं का सरलीकरण

मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिया कि योजनाओं की स्वीकृति में प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए। उन्होंने कहा, “अनावश्यक विलंब से बचने के लिए प्रक्रियाओं को प्रभावी तरीके से संचालित किया जाना चाहिए।” इस निर्देश का उद्देश्य योजनाओं के समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है, जिससे विकास कार्यों में तेजी लाई जा सके।

विभागीय योजनाओं का महत्व

उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में विभागीय योजनाएं न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देती हैं, बल्कि सामाजिक कल्याण और स्थानीय लोगों की जीवन स्तर में सुधार के लिए भी आवश्यक हैं। इसलिए, इन योजनाओं का उचित आकलन और जमीनी स्तर पर परीक्षण आवश्यक है।

वास्तविकता का सामना

हालांकि, कई बार विभागीय प्रस्तावों में वास्तविकता से जुड़े आंकड़ों की कमी होती है, जिसके कारण योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन बाधित होता है। राधा रतूड़ी का यह निर्देश ऐसे समय पर आया है जब राज्य सरकार विभिन्न विकास योजनाओं पर तेजी से काम कर रही है।

संभावित चुनौतियाँ

इस निर्णय के बावजूद, कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। जैसे, विभागीय सचिवों के लिए जमीनी परीक्षण करना समय-साध्य हो सकता है। इसके अलावा, विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी भी एक समस्या बन सकती है, जिससे योजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावित हो सकता है।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

इस पहल का स्वागत करते हुए कई विभागीय सचिवों ने कहा है कि जमीनी परीक्षण और सही आंकड़ों का उपयोग करने से योजनाओं की सफलता की संभावना बढ़ेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यदि हम वास्तविकता को समझते हैं और उसके अनुसार योजना बनाते हैं, तो निश्चित रूप से हम बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।”

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