Srinagar Garhwal : कीर्तिनगर में धर्मांतरण के आरोप में हिंदू संगठनों का हंगामा और तोड़फोड़
कीर्तिनगर में हाल ही में एक नाबालिग के धर्मांतरण के आरोप ने पूरे इलाके में तनाव की स्थिति उत्पन्न कर दी है। इस मामले में विशेष समुदाय के एक युवक पर आरोप लगाया गया है कि उसने नाबालिग लड़की का धर्मांतरण कराया है और लव जिहाद का मामला भी उठाया गया है। इस घटना के बाद से हिंदू संगठनों ने उस युवक से संबंधित विशेष समुदाय की दुकान पर तोड़फोड़ की और कीर्तिनगर कोतवाली में भी हंगामा किया।
मामले की शुरुआत तब हुई जब नाबालिग लड़की ने सोशल मीडिया पर अपना नाम बदल लिया। इसके बाद लड़की के परिजनों ने कीर्तिनगर कोतवाली में तहरीर दी, जिसमें आरोप लगाया गया कि विशेष समुदाय का युवक उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर ले गया। युवक फिलहाल फरार है, जिससे क्षेत्र में और अधिक तनाव बढ़ गया है।
सोमवार देर रात नाबालिग लड़की के घर से गायब होने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश भड़क गया। इस आक्रोश का नजारा आज कीर्तिनगर बाजार और कोतवाली में देखने को मिला। लोग सड़कों पर उतरे और अपनी मांगें रखने लगे।
पुलिस की भूमिका और स्थानीय लोगों की चिंताएँ
कीर्तिनगर पुलिस ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया है। पुलिस ने परिजनों और स्थानीय लोगों को विश्वास दिलाया है कि वे लड़की को शाम तक ढूंढकर वापस लाने का प्रयास करेंगे। हालांकि, स्थानीय लोगों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि लड़की को सुरक्षित वापस नहीं लाया जाता है और आरोपियों पर उचित कार्रवाई नहीं होती है, तो वे उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
तनाव की स्थिति का प्रभाव
इस घटना ने न केवल कीर्तिनगर बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी तनाव की स्थिति उत्पन्न कर दी है। हिंदू संगठनों का मानना है कि इस प्रकार के धर्मांतरण और लव जिहाद की घटनाएं समाज को तोड़ने का प्रयास हैं। ऐसे में वे न्याय की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करे।
सामाजिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे मुद्दे भारत में लंबे समय से चर्चा का विषय रहे हैं। इन मुद्दों पर राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के बीच विवाद भी होते रहे हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि यह केवल व्यक्तिगत मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक अस्मिता और राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें अपने समाज और संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए। इस प्रकार की घटनाएं न केवल उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करती हैं, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी प्रभावित करती हैं। वे प्रशासन से यह मांग कर रहे हैं कि वह उनके संरक्षण में गंभीरता से कदम उठाए।