Uttarakhand

UTTARAKHAND : गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट पर्व पर शीतकाल के लिए बंद

चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गंगोत्री धाम के कपाट शनिवार को अन्नकूट पर्व पर दोपहर 12:14 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे, जिन्होंने ‘हर-हर गंगे’ और ‘जय मां गंगे’ के जयकारों के साथ धाम की पवित्रता को और बढ़ा दिया। कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की दर्शनार्थ उत्सव मूर्ति को शीतकालीन पड़ाव मुखबा स्थित गंगा मंदिर में लाया जाएगा।

गंगोत्री धाम में दिवाली का माहौल

गंगोत्री धाम में कपाट बंद होने की प्रक्रिया से पहले शुक्रवार को दीपोत्सव का आयोजन किया गया था, जिसमें श्रद्धालुओं ने मां भगवती गंगा की पूजा-अर्चना की। श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि कपाट बंद होने की तैयारियों के तहत विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए गए। उन्होंने कहा, “यह पर्व केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि हमारे लिए एक सांस्कृतिक पर्व है। हमने इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया।”

यमुनोत्री धाम की तैयारी

वहीं, यमुनोत्री धाम के कपाट रविवार को भैयादूज पर्व पर दोपहर 12:05 बजे बंद किए जाएंगे। इस अवसर पर मां यमुना की उत्सव मूर्ति को खरसाली गांव के लिए रवाना किया जाएगा, जहां श्रद्धालु शीतकाल के दौरान मां यमुना के दर्शन और पूजा अर्चना कर सकेंगे। यमुनोत्री धाम की कपाट बंदी की तैयारियां भी जोरों पर हैं, जिसमें विशेष पूजा-पाठ का आयोजन किया जा रहा है।

यात्राकाल के दौरान गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि देखने को मिली है। शुक्रवार शाम तक, दोनों धामों में कुल 15,21,752 तीर्थयात्री पहुंचे हैं। इसमें यमुनोत्री धाम में 7.10 लाख और गंगोत्री धाम में 8.11 लाख श्रद्धालु शामिल हैं।

फूलों से सजे शीतकालीन पड़ाव

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के साथ शीतकालीन पड़ावों को फूलों से सजाया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को एक धार्मिक और भव्य वातावरण का अनुभव हो रहा है। इस बार शीतकालीन प्रवास के दौरान विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि श्रद्धालु मां गंगा और मां यमुना के प्रति अपनी भक्ति को अर्पित कर सकें।

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम का बंद होना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। हर साल, लाखों श्रद्धालु इन धामों की यात्रा करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। कपाट बंद होने के साथ ही, ये धाम एक नए अध्याय की शुरुआत करते हैं, जहां श्रद्धालु अपने-अपने शीतकालीन पड़ावों पर मां की आराधना कर सकते हैं।

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में कपाट बंद होने के बाद, श्रद्धालु अगली यात्रा के लिए तत्पर रहते हैं। शीतकालीन पर्वों का मौसम इन धामों में विशेष उत्सव का माहौल लाता है। श्रद्धालु उन धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए आते हैं जो विशेष रूप से इस समय के दौरान आयोजित किए जाते हैं।

प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की तैनाती की गई है, ताकि किसी भी आपात स्थिति का सामना किया जा सके। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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