Almora Bus Accident: बस हादसे में माता-पिता को खोने वाली मासूम शिवानी की देखभाल की जिम्मेदारी धामी सरकार ने उठाई
अल्मोड़ा, 2024: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मार्चुला में हुए दर्दनाक बस हादसे में अपने माता-पिता को खोने वाली मासूम शिवानी की देखभाल की जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार ने उठाई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि उनकी सरकार ने इस कठिन घड़ी में शिवानी की देखभाल और शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का संकल्प लिया है। सीएम धामी ने कहा, “यह हादसा हम सभी के लिए बहुत गहरा आघात लेकर आया है। इस कठिन समय में शिवानी बिटिया को जीवन में आगे बढ़ने के लिए हरसंभव मदद दी जाएगी, ताकि वह अपने माता-पिता के सपनों को साकार कर सके।”
शिवानी की पीड़ा और अस्पताल में हर दिल को छूने वाली घटना
मार्चुला में हुए हादसे के बाद अस्पताल में भर्ती चार साल की शिवानी की पीड़ा और उसके मासूम सवालों ने सभी को भावुक कर दिया। बच्ची अपनी मां को बार-बार पुकार रही थी और हॉस्पिटल कर्मी किसी तरह से उसे दिलासा दे रहे थे। बच्ची का “मम्मी-मम्मी” पुकारना अस्पताल में मौजूद सभी लोगों को सिहरन से भर दे रहा था। कोई भी उस मासूम को यह बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि उसकी मां और पिता अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। यह दर्दनाक दृश्य न सिर्फ अस्पताल के कर्मियों, बल्कि अन्य सभी लोगों के दिलों को चीर गया।
शिवानी के माता-पिता, मनोज रावत और चारू रावत, रामनगर में रहते थे। मनोज रावत उद्यान विभाग में ट्रेनिंग सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थे, जबकि उनकी पत्नी चारू रावत गृहिणी थीं। रावत दंपति के साथ ही उनकी प्यारी बेटी शिवानी भी दिवाली के मौके पर अपने नाना-नानी के पास गई थी। उन्हें यह कभी नहीं सोचा था कि त्योहार के बाद वे वापस अपने घर नहीं लौटेंगे।
अस्पताल में नाना-नानी का दुख और संघर्ष
हादसे के बाद शिवानी के नाना हरिकृष्ण नेगी और नानी सुशीला देवी अस्पताल पहुंच गए, जहां वे अपनी नवासी की देखभाल करने में जुटे हुए हैं। नाना-नानी का चेहरा गहरे दुःख से भरा हुआ था, लेकिन फिर भी वे अपनी छोटी सी पोती की ताजिंदगी का सहारा बनने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। नानी बार-बार आंचल से अपने आंसू पोछते हुए अपनी पोती के पास बैठी थीं। अस्पताल में उनकी यह स्थिति किसी के भी दिल को छीलने वाली थी।
घटना के कुछ घंटे बाद ही शिवानी को गंभीर स्थिति में रामनगर अस्पताल से एयरलिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया। उसकी हालत चिंताजनक थी, लेकिन अस्पताल स्टाफ और परिजनों का प्रयास जारी था कि बच्ची की जिंदगी को बचाया जा सके।
हादसे के बाद का दर्दनाक सच
वहीं, शिवानी के नाना ने बताया कि परिवार दिवाली के मौके पर गांव में आया था और त्योहार के बाद रामनगर लौटने वाला था। उन्होंने बताया कि उनके दामाद का पहले ही निधन हो चुका था, और अब गांव में उनकी पत्नी मालती देवी हैं। नाना के अनुसार, “कभी नहीं सोचा था कि यह दिवाली हमारे लिए इतनी दर्दनाक हो सकती है। इस हादसे ने हमारी पूरी दुनिया पलट दी। मेरी बेटी और दामाद अब कभी वापस नहीं लौटेंगे, और शिवानी को अकेला छोड़ने का दर्द हमें कभी खत्म नहीं होगा।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कड़ा संकल्प
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद एक बयान में कहा, “अल्मोड़ा के मार्चुला में हुए बस हादसे ने हम सभी को गहरे आघात पहुंचाया है। इस दु:खद घड़ी में मेरी सरकार ने यह फैसला किया है कि हम शिवानी की देखभाल और उसकी शिक्षा की जिम्मेदारी उठाएंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे किसी भी प्रकार की कमी महसूस न हो और वह जीवन में आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से समर्थ हो सके।”
उन्होंने कहा, “यह केवल शब्दों का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसे समय में पीड़ित परिवारों के साथ खड़े रहें और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करें। हमारी सरकार उनका हर कदम पर साथ देगी।”
मुख्यमंत्री के निर्देश पर परिवार को हरसंभव मदद
मुख्यमंत्री ने इस हादसे में घायल अन्य लोगों की भी पूरी मदद का आश्वासन दिया है और बताया कि राज्य सरकार दुर्घटनाग्रस्त परिवारों के पुनर्वास के लिए भी प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस दुर्घटना के प्रभावितों को त्वरित सहायता प्रदान करें और उनकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करें।
उन्होंने कहा, “मैं इस मुश्किल घड़ी में परिवार के साथ हूं और हमारी सरकार उनकी हर परेशानी को दूर करने में मदद करेगी। हम इस दुख को साझा करते हैं और इसे सहन करने के लिए हम हर जरूरी कदम उठाएंगे।”
सरकार का वादा: भविष्य में बेहतर सुरक्षा व्यवस्था
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी वादा किया कि राज्य सरकार इस हादसे की गहराई से जांच करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाएगी। “हमारा उद्देश्य है कि उत्तराखंड में सड़क परिवहन की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए और ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जाए। हम जल्द ही सभी बसों की जांच और सुरक्षा मानकों को कड़ा करेंगे।”
परिवार के लिए सहयोग और सहायता
इस हादसे में अपने माता-पिता को खोने वाली शिवानी के नाना-नानी ने बताया कि उनकी बेटी और दामाद के निधन से परिवार को अपूरणीय क्षति हुई है। वे केवल अपनी पोती की देखभाल के लिए हर पल तत्पर हैं। साथ ही, सरकार द्वारा उनके पोती के लिए सहायता और शिक्षा की जिम्मेदारी लेने के बाद उन्हें कुछ राहत मिली है, लेकिन वे जानते हैं कि इस दुखद घड़ी में उनका संघर्ष अब भी जारी रहेगा।