Punjab

पंजाब सरकार करेगी आम आदमी क्लिनिक के नाम में बदलाव, केंद्र सरकार को भी मिलेगा श्रेय

पंजाब सरकार राज्य में संचालित आम आदमी क्लिनिक के नाम में बड़े बदलाव करने जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने यह जानकारी दी और बताया कि इन बदलावों में केंद्र सरकार को भी श्रेय दिया जाएगा। मंत्री ने यह घोषणा पंजाब विजन 2047 पर एक कार्यक्रम को संबोधित करने से पहले की। इसके साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार से जारी फंड को लेकर भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, जिसके तहत राज्य में आम आदमी क्लिनिक के नेटवर्क का और विस्तार होगा।

स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा: आम आदमी क्लिनिक के नाम में होगा बदलाव

डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि पंजाब में वर्तमान में 842 आम आदमी क्लिनिक कार्यरत हैं, और इनमें से आधे से ज्यादा क्लिनिक के नाम में बदलाव किया जाएगा। इस बदलाव के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि इन क्लिनिकों की पहचान और कार्यक्षमता को बेहतर तरीके से प्रदर्शित किया जा सके। इसके साथ ही, केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए अतिरिक्त फंड जारी करने का वादा किया है, जिससे पंजाब सरकार इन क्लिनिकों के बेहतर संचालन और उनके विस्तार में सक्षम होगी।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार के साथ लगातार बातचीत चल रही है, और इस चर्चा के परिणामस्वरूप केंद्र ने पंजाब को आम आदमी क्लिनिक के तहत फंड जारी करने पर सहमति जताई है। यह कदम पंजाब के स्वास्थ्य ढांचे को और सुदृढ़ करने में मदद करेगा। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बदलाव से राज्य के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में पहले से चल रहे आम आदमी क्लिनिकों की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सभी मौजूदा क्लिनिक अपनी जगह पर बनाए रखे जाएंगे और उनकी सेवाएं पहले की तरह जारी रहेंगी।

आम आदमी क्लिनिक योजना का महत्व

पंजाब में आम आदमी क्लिनिक योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा को जनता के करीब लाना और हर नागरिक को सस्ती, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इन क्लिनिकों में सामान्य रोगों का उपचार, दवाएं, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं नि:शुल्क दी जाती हैं। यह योजना राज्य सरकार के स्वास्थ्य सुधारों का एक अहम हिस्सा बन चुकी है, और पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी काफी सराहना भी हुई है।

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता हमेशा से ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना रही है, और यही कारण है कि आम आदमी क्लिनिक की संख्या और गुणवत्ता में लगातार सुधार किया जा रहा है। पंजाब सरकार का लक्ष्य इन क्लिनिकों को और ज्यादा प्रभावी बनाना है ताकि हर नागरिक को आसानी से चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।

केंद्र सरकार का सहयोग: फंड की मंजूरी

केंद्र सरकार का सहयोग इस योजना को और अधिक सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि पंजाब सरकार ने केंद्र से अतिरिक्त फंड जारी करने की अपील की थी, जिसे अब मंजूरी मिल चुकी है। इन फंडों का उपयोग राज्य में आम आदमी क्लिनिकों के विस्तार, उनकी कार्यप्रणाली को सुदृढ़ करने, और नई स्वास्थ्य सेवाओं को जोड़ने के लिए किया जाएगा।

पंजाब के स्वास्थ्य ढांचे को और सुदृढ़ करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग जरूरी है, और इस कदम से न केवल क्लिनिकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि उनकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा। मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि इस बदलाव से आम आदमी क्लिनिकों के संचालन में कोई रुकावट नहीं आएगी और लोग पहले की तरह इन सेवाओं का लाभ लेते रहेंगे।

पंजाब की स्वास्थ्य नीति और भविष्य की योजनाएं

पंजाब सरकार ने अपनी स्वास्थ्य नीति में कई अहम सुधार किए हैं और अब 2047 तक राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र को और बेहतर बनाने की योजना बनाई है। इस संदर्भ में, पंजाब विजन 2047 के अंतर्गत स्वास्थ्य के क्षेत्र में और कई पहल की योजना बनाई जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना और हर नागरिक को चिकित्सा सुविधा तक पहुंच सुनिश्चित करना है।

जीएसटी पर वित्त मंत्री का बयान: पंजाब के लिए बदलाव की जरूरत

वहीं, पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) के प्रभाव पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद टैक्स संरचना में सुधार हुआ है, लेकिन इससे पंजाब के राजस्व में कमी आई है। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी उपभोक्ता आधारित टैक्स है, जो अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को फायदा पहुँचाता है, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, और अन्य राज्य।

चीन ने यह कहा कि पंजाब कृषि आधारित राज्य है, और इसके लिए मौजूदा जीएसटी संरचना अनुकूल नहीं है। पंजाब के कृषि उत्पादों पर जीएसटी का असर राज्य के किसानों और कृषि व्यापारियों पर पड़ा है, जिससे राज्य को आर्थिक नुकसान हुआ है। वित्त मंत्री के अनुसार, जीएसटी लागू होने से पंजाब को हर साल करीब 5,000 से 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। पहले परचेज टैक्स के रूप में राज्य को यह राजस्व मिलता था, लेकिन अब जीएसटी लागू होने से वह राजस्व खत्म हो गया है।

जीएसटी संरचना में सुधार की मांग

वित्त मंत्री ने कहा कि पंजाब को जीएसटी से होने वाले नुकसान के कारण, राज्य सरकार केंद्र से जीएसटी संरचना में बदलाव की अपील करेगी। उन्होंने बताया कि जीएसटी का वर्तमान स्वरूप पंजाब जैसे कृषि आधारित राज्यों के लिए अनुकूल नहीं है। जीएसटी के तहत राज्य सरकार के पास कृषि क्षेत्र से होने वाली आय पर नियंत्रण नहीं है, और यह संरचना पंजाब के लिए राजस्व में भारी गिरावट का कारण बनी है।

वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा केंद्र सरकार के सामने उठाया जाएगा ताकि पंजाब के राजस्व में सुधार हो सके और राज्य के आर्थिक विकास को गति मिल सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार पंजाब के पक्ष को समझेगी और जीएसटी संरचना में आवश्यक बदलाव करेगी।

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