UTTARAKHAND : माणा पास के देवताल को मिल सकता है भारत की उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रथम लेक का दर्जा
उत्तराखंड के माणा पास में स्थित देवताल झील को भारत की उच्च हिमालयी क्षेत्र में सबसे ऊंची प्राकृतिक झील का दर्जा मिल सकता है। स्की माउंटेनिंग एसोसिएशन के हालिया सर्वेक्षण में इस झील की ऊंचाई 17,926 फीट मापी गई है, जो अब तक की जानकारी के अनुसार, भारत की सबसे ऊंची प्राकृतिक झील मानी जाने वाली सिक्किम की गुरुडोंगमार झील से भी ऊंची है। यदि यह दावा सही साबित होता है, तो देवताल को एक ऐतिहासिक दर्जा मिल सकता है।
देवताल की ऊंचाई का तकनीकी आकलन
स्की माउंटेनिंग एसोसिएशन ने हाल ही में माणा पास से देवताल तक एक साइकिल और बाइक यात्रा आयोजित की थी, जिसमें विशेषज्ञों की टीम ने GPS कोऑर्डिनेट तकनीकी का इस्तेमाल कर झील की सटीक ऊंचाई का आकलन किया। यात्रा के दौरान, 140 से अधिक बाइकर्स और साइकिलिस्टों ने माणा से लगभग 54 किलोमीटर दूर चीन सीमा के पास स्थित देवताल तक का सफर किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय भट्ट के नेतृत्व में यह यात्रा संपन्न हुई, और उन्होंने बताया कि पहले से लगाए गए सांकेतिक बोर्ड में देवताल की ऊंचाई 17,800 फीट बताई गई थी। लेकिन GPS तकनीकी से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, झील की वास्तविक ऊंचाई 17,926 फीट पाई गई है।
सरकार और प्रशासन को भेजी गई रिपोर्ट
इस नए आंकड़े को ध्यान में रखते हुए, स्की माउंटेनिंग एसोसिएशन ने इस रिपोर्ट को जिला प्रशासन और राज्य सरकार को भेजा है। एसोसिएशन का दावा है कि देवताल झील भारत की उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित सबसे ऊंची प्राकृतिक झील हो सकती है। यदि प्रशासन इस दावे को सही मानता है, तो देवताल को एक ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दर्जा मिल सकता है।
माणा पास और देवताल: धार्मिक और पर्यटन दृष्टिकोण
देवताल झील न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल भी है। स्थानीय भाषा में देवताल का मतलब “देवताओं का तालाब” होता है, और मान्यता है कि यहां देवता स्नान के लिए आते हैं। माणा और आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीण प्रतिवर्ष इस स्थान पर पूजा अर्चना के लिए आते हैं। झील के किनारे एक हनुमान मंदिर भी है, जहां पहले हनुमान जी की पूजा की जाती है, उसके बाद ही झील में स्नान या अन्य धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं।
सरस्वती नदी का उद्गम भी शास्त्रों में देवताल से माना गया है, जिससे इस स्थान का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। इस क्षेत्र में मौजूद प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक मान्यताएं इसे एक विशेष पर्यटन स्थल बना देती हैं।
देवताल के आस-पास और भी धार्मिक स्थल
देवताल झील के आसपास कुछ और महत्वपूर्ण धार्मिक और प्राकृतिक स्थल भी स्थित हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध है “परी ताल”, जो देवताल से लगभग एक किलोमीटर पहले स्थित है। मान्यता है कि इस झील में परियां स्नान करती हैं, इसलिए इसे “परी झील” कहा जाता है। यह झील शीतकाल में बर्फ से ढक जाती है, और गर्मी के मौसम में इस झील का पानी साफ और शांत रहता है।
इसके अलावा, माणा पास के नीचे स्थित “राक्षस ताल” भी एक और धार्मिक स्थल है। मान्यता है कि इस तालाब में राक्षस स्नान करते थे, और यह तालाब शापित माना जाता है। राक्षस ताल के किनारे पूजा अर्चना की जाती है, खासकर उन लोगों द्वारा जो भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पाना चाहते हैं। यह तालाब 150 मीटर के आकार में है और स्थानीय लोग इसमें स्नान करने से परहेज करते हैं।
पर्यटन और तीर्थाटन के लिए अवसर
माणा पास और देवताल क्षेत्र का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि पर्यटन के नजरिए से भी बहुत बड़ा है। स्थानीय लोग और पर्यटन विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि देवताल को भारत की सबसे ऊंची प्राकृतिक झील के रूप में मान्यता मिलती है, तो यह क्षेत्र पर्यटन के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन सकता है।
कभी पर्यटकों से अज्ञात रहने वाला यह क्षेत्र अब धीरे-धीरे अधिक ध्यान आकर्षित कर रहा है। माणा से आगे जाने के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह क्षेत्र भारत-चीन सीमा के करीब स्थित है। इनर लाइन परमिट को जिला प्रशासन द्वारा जारी किया जाता है और इसके लिए एक निर्धारित जांच प्रक्रिया होती है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य के संभावित बदलाव
भारत में वर्तमान समय में सबसे ऊंची झील के रूप में सिक्किम की गुरुडोंगमार झील मानी जाती है, जो समुद्रतल से लगभग 17,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। हालांकि, देवताल की ऊंचाई 17,926 फीट के आंकड़े के साथ यदि यह दावा सही साबित होता है, तो देवताल को देश की सबसे ऊंची झील का दर्जा मिल सकता है।
उत्तराखंड सरकार द्वारा इस दावे का सर्वेक्षण और पुष्टि करने के बाद देवताल झील को एक नया ऐतिहासिक स्थान मिल सकता है। इसके साथ ही, यह क्षेत्र न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक प्रमुख स्थल बन सकता है।