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Sachin Tendulkar का अंतरराष्ट्रीय करियर 14 नवंबर 2013 को वानखेड़े स्टेडियम में हुआ था ऐतिहासिक समापन

भारतीय क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा और क्रिकेट की दुनिया का एक अनमोल रत्न, सचिन तेंदुलकर ने आज से ठीक सात साल पहले 14 नवंबर 2013 को वानखेड़े स्टेडियम में अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच खेला। यह दिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया, जब मास्टर ब्लास्टर ने अपने महान क्रिकेट करियर को समर्पित कर दिया था।

16 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत करने वाले तेंदुलकर ने 24 वर्षों तक भारतीय क्रिकेट को अपनी सेवाएं दी और इस दौरान उन्होंने 34,000 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय रन बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया। 14 नवंबर 2013 को, जब वह वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने करियर के अंतिम टेस्ट मैच में मैदान पर उतरे, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि उनके करोड़ों प्रशंसकों के लिए भी एक भावुक पल था।

14 नवंबर 2013: सचिन का अंतिम टेस्ट मैच

वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी टेस्ट मुकाबला

14 नवंबर 2013 को सचिन तेंदुलकर के करियर का अंतिम टेस्ट मैच मुंबई के प्रतिष्ठित वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया, जहां वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत ने पहले टेस्ट में पारी और 51 रन से बड़ी जीत दर्ज की थी। अब सीरीज का दूसरा मैच और सचिन के करियर का अंतिम अध्याय शुरू हो रहा था। सचिन के आखिरी मैच में उनके फैंस की भावनाएं जबरदस्त थीं और पूरी दुनिया की निगाहें इस ऐतिहासिक मैच पर टिकी थीं।

वेस्टइंडीज की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 182 रन बनाकर अपनी पहली पारी समाप्त की। इसके बाद, भारत की बारी थी और सचिन तेंदुलकर को मौका मिला, अपने टेस्ट करियर के 200वें मैच में बल्लेबाजी करने का। वह जब बैटिंग करने आए, तब भारत ने दो महत्वपूर्ण विकेट खो दिए थे। शिखर धवन और मुरली विजय एक ही ओवर में आउट हो गए थे।

सचिन तेंदुलकर को गॉर्ड ऑफ हॉनर

सचिन तेंदुलकर के करियर का यह विशेष दिन था, और उनकी उपस्थिति ने वानखेड़े स्टेडियम के माहौल को एक अलग ही ऊंचाई पर पहुंचा दिया था। जब तेंदुलकर अपने 200वें टेस्ट मैच के लिए बैटिंग करने मैदान में उतरे, तो वेस्टइंडीज के सभी 11 खिलाड़ियों ने उन्हें गॉर्ड ऑफ हॉनर दिया। यह एक अविस्मरणीय दृश्य था, जब वेस्टइंडीज के सभी खिलाड़ी सचिन को सम्मानित करने के लिए खड़े हुए थे।

वहीं, स्टेडियम में मौजूद हर एक प्रशंसक ने ‘सचिन-सचिन’ के नारे लगाए, और हर किसी के मन में यह सवाल था कि क्या सचिन तेंदुलकर अपने करियर के अंतिम टेस्ट मैच में एक शतक के साथ विदाई लेंगे।

शानदार बैटिंग और दुर्भाग्यपूर्ण अंत

सचिन तेंदुलकर ने इस मैच में अपनी बल्लेबाजी से सभी का दिल जीत लिया। उन्होंने 74 रन बनाए और विराट कोहली के साथ मिलकर 144 रन की शानदार साझेदारी की। सचिन का प्रदर्शन शानदार था, लेकिन दुर्भाग्यवश पारी के 48वें ओवर में वह 74 रन बनाकर आउट हो गए। जब वह पवेलियन लौट रहे थे, तो वानखेड़े स्टेडियम में खड़े दर्शकों ने उन्हें अपने सम्मान में खड़ा होकर सलाम किया। यह पल सचिन के फैंस के लिए न सिर्फ गर्व का था, बल्कि एक भावुक विदाई का भी था।

सचिन ने इस मैच में केवल बैटिंग ही नहीं, बल्कि गेंदबाजी का भी योगदान दिया। उन्होंने अपने अंतिम टेस्ट मैच में दो ओवर गेंदबाजी की और 8 रन दिए, लेकिन वह कोई विकेट नहीं ले पाए। इसके बावजूद, उनका योगदान भारत के जीत में महत्वपूर्ण था, और उनके आखिरी मैच को लेकर लोगों में एक अद्भुत भावनात्मक जुड़ाव था।

तेंदुलकर के 24 वर्षों के करियर की शानदार यात्रा

सचिन तेंदुलकर का अंतरराष्ट्रीय करियर 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ हुआ था। तब सचिन की उम्र महज 16 साल थी, और अपने पहले ही मैच में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी की झलक दी थी। यह शुरुआत ऐसी थी, जिसने उन्हें क्रिकेट जगत में एक शानदार भविष्य का पूर्वानुमान दिया। सचिन ने अपने करियर में कुल 34,000 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय रन बनाए हैं, जिसमें 100 अंतरराष्ट्रीय शतक और 200 टेस्ट मैचों का रिकॉर्ड शामिल है।

तेंदुलकर के करियर में कई ऐतिहासिक पल आए, जैसे 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी यादगार पारी, 2003 वर्ल्ड कप में भारत का शानदार प्रदर्शन, और 2011 वर्ल्ड कप में भारत की जीत, जिसमें सचिन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

200 टेस्ट मैचों का रिकॉर्ड

सचिन तेंदुलकर एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 200 मैच खेले। उनका यह रिकॉर्ड आज भी बरकरार है और यह इस बात का प्रतीक है कि उनका करियर कितना स्थिर और शानदार रहा। उनका लंबा और सफल करियर एक उदाहरण बन चुका है कि किस तरह से एक खिलाड़ी निरंतरता, समर्पण और मेहनत के साथ खेल सकता है।

तेंदुलकर के योगदान का मूल्यांकन

सचिन तेंदुलकर के योगदान को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है। उन्होंने न केवल भारतीय क्रिकेट को ही पहचान दी, बल्कि पूरे क्रिकेट जगत में भारत को सम्मानित स्थान दिलवाया। वह सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत थे। उनकी मेहनत, संघर्ष और सफलता ने न केवल क्रिकेट के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को बदल दिया, बल्कि उन्होंने लाखों युवा खिलाड़ियों को यह विश्वास दिलाया कि सपने सच हो सकते हैं अगर उन्हें पूरा करने के लिए सही दिशा में मेहनत की जाए।

सदी के महानतम क्रिकेटर

दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों के लिए, सचिन तेंदुलकर हमेशा एक महान क्रिकेटर, आदर्श और प्रेरणा स्रोत रहेंगे। उनके खेल की शैली, उनका खेल के प्रति प्यार, और उनका समर्पण क्रिकेट के इतिहास में सदैव याद किया जाएगा। उनका करियर खत्म हो चुका है, लेकिन उनका प्रभाव और उनका योगदान आज भी भारतीय क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महसूस किया जा रहा है।

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