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UP : झांसी मेडिकल कॉलेज में आग से 10 नवजात शिशुओं की मौत, फायर सेफ्टी की लापरवाही आई सामने

झांसी (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में शुक्रवार रात को लगी भीषण आग में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। आग में झुलसने और दम घुटने से हुई इस त्रासदी ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कुल 55 नवजातों में से 45 को किसी तरह सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन 10 नवजात बचाव कार्य में असमर्थ रहने के कारण अपनी जान गंवा बैठे।

आग की घटना के बाद से इस अस्पताल की फायर सेफ्टी व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि एसएनसीयू वार्ड में लगे फायर सिलिंडर एक्सपायर हो चुके थे, जिससे आग पर काबू पाने में नाकामी रही। साथ ही, सेफ्टी अलार्म भी काम नहीं कर पाया, जिससे आग के फैलने के बाद देर से बचाव कार्य शुरू हो पाया।

झांसी मेडिकल कॉलेज में आग की घटना: 10 नवजातों की मौत

महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में शुक्रवार रात एक भयंकर आग लग गई। आग की लपटें देखते ही वार्ड में अफरातफरी मच गई। नवजातों को बचाने के लिए डॉक्टर, नर्स और परिजन आपस में टकराते हुए वार्ड में घुसने की कोशिश कर रहे थे। कई परिजनों ने आग की लपटों की परवाह किए बिना अंदर जाकर अपने बच्चों को निकालने की कोशिश की। दमकलकर्मी भी मौके पर पहुंचे और आग बुझाने के प्रयास किए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

वार्ड में मौजूद नवजातों की पहचान उनके हाथ में लगी स्लिप या पांव पर बंधी रिबन से होती थी, लेकिन अफरातफरी के कारण कई नवजातों की पहचान चिह्न गायब हो गए थे। इस वजह से कई परिजनों को अपने बच्चों का पता नहीं चल पाया। कुछ परिजन तो बच्चों को खोजते-खोजते बुरी तरह से परेशान हो गए, जबकि कई नवजातों को उनकी पहचान के बिना अस्पताल से बाहर ले जाया गया।

फायर सिलिंडर एक्सपायर, सिस्टम की लापरवाही

आग बुझाने में विफलता के पीछे एक प्रमुख कारण यह सामने आया है कि एसएनसीयू में लगे फायर सिलिंडर एक्सपायर हो चुके थे। जांच में यह पाया गया कि कुछ सिलिंडरों की एक्सपायरी डेट 2020 की थी, जबकि एक सिलिंडर पर तो 2019 की फिलिंग डेट थी। इससे साफ जाहिर है कि इन सिलिंडरों को लंबे समय से सही तरीके से मेंटेन नहीं किया गया था और वे आग बुझाने में नाकाम रहे।

इसके अलावा, अस्पताल में आग से बचाव के लिए लगाए गए फायर इंस्टीग्यूशर भी पुराने और अनुपयोगी थे। इन उपकरणों के एक्सपायर होने की गवाही उनके निर्माण की तारीख और एक्सपायरी डेट से मिलती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अस्पताल की फायर सेफ्टी व्यवस्था बेहद कमजोर थी।

सेफ्टी अलार्म की नाकामी

आग लगने के बाद अस्पताल के सेफ्टी अलार्म का काम नहीं करना भी एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। पहले यह जानकारी दी गई थी कि नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में आग से बचाव के लिए सेफ्टी अलार्म लगाए गए थे, लेकिन आग लगने के बाद ये अलार्म नहीं बजें। यदि अलार्म समय पर बजता, तो बचाव कार्य जल्दी शुरू हो सकता था और शायद 10 नवजातों की जान बचाई जा सकती थी।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग के फैलने के बाद चारों ओर धुआं भर गया और चीख-पुकार मच गई। अगर अलार्म सही समय पर बजा होता तो कर्मचारियों और परिजनों को जल्दी आग के बारे में पता चलता और वे बचाव कार्य में तेजी से जुट सकते थे।

परिजनों की बदहवासी: बच्चों के खोने का दर्द

एसएनसीयू में आग लगने के बाद जब नवजातों को बाहर निकाला गया तो कई परिजनों की हालत बेहद खराब थी। कुछ परिजन अपने बच्चों को पहचानने में असमर्थ रहे, क्योंकि अधिकांश नवजातों के हाथ में पहचान की स्लिप या पांव में रिबन नहीं था। यह स्थिति और भी भयावह हो गई जब कई नवजातों के लापता होने की खबर सामने आई।

महोबा की संजना और जालौन के संतराम जैसे कई परिजन अपने बच्चों के लिए अस्पताल में इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। संजना और संतराम के बच्चे आग में लापता हो गए थे, और वे अस्पताल के कर्मचारियों और अधिकारियों से गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई हल नहीं मिला। रानी सेन नामक एक महिला ने भी बताया कि उनका तीन दिन का बच्चा आग लगने के बाद लापता हो गया है, और उसे खोजने के लिए वे हर किसी से मदद मांग रहे थे, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने दुख जताया

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि फरवरी 2024 में मेडिकल कॉलेज की फायर सेफ्टी व्यवस्था की जांच की गई थी और जून में इसका ट्रायल भी किया गया था। लेकिन, इसके बावजूद एसएनसीयू में आग लगने की घटना हुई, जिससे 10 नवजातों की मौत हो गई। उपमुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने और जांच प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा करने का आश्वासन दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस घटना पर दुख जताया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मेडिकल कॉलेज की फायर सेफ्टी व्यवस्था को तत्काल मजबूत किया जाए और इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।

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