UTTARAKHAND : पिथौरागढ़ में सेना भर्ती के लिए बसों की कमी, परिवहन विभाग की चूक से बढ़ी समस्याएं
उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले में आयोजित होने वाली सेना भर्ती के कारण दो दिन तक हंगामा मचा रहा। इस दौरान, प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को पिथौरागढ़ पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई थी, लेकिन परिवहन विभाग की लापरवाही और पत्रों के नौ दिनों तक दफ्तरों के चक्कर काटने के कारण स्थिति बिगड़ गई। पिथौरागढ़ के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) विनोद गोस्वामी द्वारा 11 नवंबर को भेजे गए पत्र को समय पर कार्रवाई के लिए नहीं भेजा गया, जिससे कई दिन तक समस्या बनी रही। आखिरकार, मंगलवार को काठगोदाम के मंडलीय कार्यालय में पत्र पहुंचा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
पिथौरागढ़ में सेना भर्ती के लिए बढ़ी बसों की जरूरत
पिथौरागढ़ में 12 नवंबर से 27 नवंबर तक सेना भर्ती आयोजित होनी थी, जिसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य के अभ्यर्थियों ने भाग लिया। पिथौरागढ़ में सेना भर्ती के दौरान अभ्यर्थियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन ने परिवहन निगम से अतिरिक्त बसों की मांग की थी। जिला मजिस्ट्रेट विनोद गोस्वामी ने 11 नवंबर को इस बाबत परिवहन निगम को पत्र लिखा और 12 नवंबर से 27 नवंबर तक पिथौरागढ़ के लिए अतिरिक्त बसों की व्यवस्था करने का आग्रह किया था।
पत्र में यह भी बताया गया था कि टनकपुर और हल्द्वानी से पिथौरागढ़ तक अतिरिक्त बसें चलाई जाएं क्योंकि पिथौरागढ़ में सामान्य दिनों में उपलब्ध बसों की संख्या इतनी नहीं थी, जो इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को सुविधा प्रदान कर सके।
पत्र में देरी से हुई समस्या
पिथौरागढ़ के डीएम द्वारा भेजा गया पत्र परिवहन विभाग के पास समय पर नहीं पहुंचा। पत्र में लिखी गई बातों के अनुसार, महाप्रबंधक (प्रशासन) अनिल कर्बियाल को मेल से पूरी जानकारी दी गई थी और फोन कॉल भी की गई थी। इसके बावजूद, महाप्रबंधक कर्बियाल ने पत्र को कार्यवाही के लिए महाप्रबंधक (संचालन) पवन मेहरा को भेज दिया, जिन्होंने मंगलवार को अन्य डिपो को बसों की व्यवस्था करने के लिए पत्र लिखा।
लेकिन डीएम पिथौरागढ़ का पत्र मंगलवार को काठगोदाम स्थित मंडलीय कार्यालय में दोपहर बाद पहुंचा। इस देरी से स्थिति और भी बिगड़ी और हंगामे की स्थिति उत्पन्न हुई। जिम्मेदार अधिकारी यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि पत्र कहां रुका रहा, लेकिन इस चूक ने कानून-व्यवस्था को खतरे में डाल दिया।
परिवहन विभाग की प्रतिक्रिया
काठगोदाम और टनकपुर मंडल की मंडलीय प्रबंधक पूजा जोशी ने स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें पहले से कोई सूचना नहीं मिली थी और 11 नवंबर को डीएम पिथौरागढ़ का पत्र उन्हें मंगलवार को ही प्राप्त हुआ। अगर पत्र पहले मिलता, तो विभाग अपनी ओर से बेहतर प्रयास करता।
वहीं, पिथौरागढ़ के डीएम विनोद गोस्वामी ने कहा कि उनकी ओर से सेना भर्ती के लिए पूरी तैयारी की गई थी, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से युवाओं के आने के कारण पिथौरागढ़ में स्थिति बिगड़ गई। उन्होंने बताया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान दानापुर में भर्ती रद्द होने के कारण पिथौरागढ़ में अभ्यर्थियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई, जिससे अधिक बसों की जरूरत महसूस हुई।
प्रशासन और परिवहन विभाग के बीच तालमेल की कमी
इस घटना ने यह भी साफ किया कि स्थानीय प्रशासन और परिवहन विभाग के बीच तालमेल की कमी थी। डीएम पिथौरागढ़ ने पत्र लिखकर बसों की व्यवस्था करने की मांग की, लेकिन प्रशासनिक प्रक्रिया की देरी के कारण समय पर कदम नहीं उठाए जा सके। इस स्थिति ने नागरिकों के लिए असुविधा पैदा की, और इस कारण सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित हुई।
पिथौरागढ़ में सेना भर्ती के दौरान बड़ी संख्या में अभ्यर्थी जमा हुए थे, जो कि मुख्यालय के आस-पास के विभिन्न क्षेत्रों से बसों के माध्यम से पिथौरागढ़ पहुंचे थे। इन बसों की उपलब्धता सुनिश्चित करना स्थानीय प्रशासन और परिवहन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था।
हंगामा और अफरातफरी की स्थिति
जैसे ही अभ्यर्थियों को पिथौरागढ़ पहुंचने में समस्या आने लगी, हंगामा बढ़ने लगा। पिथौरागढ़ और आसपास के क्षेत्रों से आने वाले अभ्यर्थियों को बसों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। इसके कारण स्थिति में अफरातफरी का माहौल बन गया और अभ्यर्थियों के बीच नाराजगी बढ़ने लगी।
इस परेशानी को देखते हुए, अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कदम उठाए। हालांकि, यह कदम तब उठाए गए जब हंगामा पहले ही चरम पर पहुंच चुका था। बसों की संख्या बढ़ाने और यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए गए, लेकिन यह स्थिति पहले से बेहतर हो सकती थी यदि पहले से ही परिवहन विभाग ने इसकी तैयारी की होती।