Uttarakhand

Kedarnath By Election : भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर, मतदाता उत्साहित

उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में मतदान आज सुबह आठ बजे से शुरू हो गया। मतदान शाम छह बजे तक जारी रहेगा, जिसमें प्रदेश के राजनीतिक भविष्य का फैसला होने जा रहा है। यह उपचुनाव महज एक विधानसभा सीट की नहीं, बल्कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा और भविष्य से जुड़ा हुआ है। मतदाताओं में उत्साह की कोई कमी नहीं दिखी, और मतदान के शुरुआती घंटों में ही पोलिंग बूथों पर अच्छी खासी संख्या में मतदाता पहुंचे।

मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी, मतदान केंद्रों पर उमड़ी भीड़

सुबह 9 बजे तक 4.30 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था, जबकि 11 बजे तक यह आंकड़ा बढ़कर 17.6 प्रतिशत हो गया। मतदाता पोलिंग बूथों तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। खासतौर पर बुजुर्ग मतदाता, जिनके लिए पोलिंग बूथों तक पहुंचना कठिन था, उन्हें छात्रों द्वारा सहारा दिया जा रहा है। इसके अलावा, मतदान प्रक्रिया के दौरान महिला मतदाताओं का भी अच्छा प्रतिशत देखा गया, जो इस सीट की विशेष पहचान है।

कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत और भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने भी अपने मत का प्रयोग किया है, और दोनों दलों के समर्थकों में इस उपचुनाव को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।

मतदान केंद्रों पर तैयारियां पूरी

केदारनाथ उपचुनाव में कुल 90,875 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें 44,919 पुरुष और 45,956 महिला मतदाता शामिल हैं। मतदान के लिए 173 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, और सभी पोलिंग पार्टियां अपनी-अपनी गंतव्यों तक पहुंच चुकी हैं। प्रदेशभर से सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचा जा सके।

भाजपा और कांग्रेस के लिए अहम चुनाव

केदारनाथ उपचुनाव सिर्फ एक विस सीट नहीं है, बल्कि यह प्रदेश की सत्ताधारी भाजपा की विचारधारा और कांग्रेस के लिए अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को फिर से पाने की कोशिश का प्रतीक बन चुका है। भाजपा के लिए यह उपचुनाव अपनी विचारधारा को साबित करने का एक बड़ा अवसर है। वहीं, कांग्रेस इस उपचुनाव के माध्यम से अपनी खोई हुई स्थिति को पुनः स्थापित करने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस के लिए यह चुनाव 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा संदेश देने का मौका बन चुका है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी पांच सीटों पर हार के बाद कांग्रेस के हौसले काफी पस्त हो गए थे, लेकिन बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत ने उसे एक नई उम्मीद दी है। कांग्रेस ने इस उम्मीद को और मजबूत करने के लिए केदारनाथ में अपने प्रचार अभियान को पूरी ताकत से चलाया। पार्टी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की अगुवाई में प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी।

भाजपा और कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी

भाजपा ने इस उपचुनाव में अपनी महिला प्रत्याशी आशा नौटियाल को मैदान में उतारा है, जो दो बार केदारनाथ से विधायक रह चुकी हैं। भाजपा की रणनीति महिला प्रत्याशी पर दांव खेलने की रही है, क्योंकि यह सीट महिला मतदाता बहुल है। भाजपा को उम्मीद है कि आशा नौटियाल की जीत के साथ महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक फिर से दोहराया जाएगा।

वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से मनोज रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव 2027 के चुनाव के लिए उम्मीदों को जगाने वाला साबित हो सकता है। कांग्रेस ने इस चुनाव में अपना पूरा जोर लगा दिया है, और पार्टी नेताओं का मानना है कि केदारनाथ में जीत के साथ उनका संदेश चुनावी राजनीति में मजबूत होगा।

भाजपा की ताकत और चुनौतियां

भाजपा के लिए इस उपचुनाव में कई ताकतवर पक्ष हैं। सबसे पहले, भाजपा के पास राज्य और केंद्र दोनों में सत्ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ से जुड़ा होना भी भाजपा के पक्ष में एक बड़ा कारक माना जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगाई है। इसके अलावा, भाजपा की सरकार द्वारा केदारनाथ क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों का भी पार्टी को फायदा मिल सकता है।

भाजपा की रणनीति महिला उम्मीदवार पर भरोसा जताने की है, क्योंकि यह सीट महिला मतदाताओं के लिहाज से महत्वपूर्ण है। पार्टी का मानना है कि आशा नौटियाल की छवि और उनकी कार्यशैली के कारण महिला वोटों का समर्थन उन्हें मिलेगा, जो पार्टी के पक्ष में जा सकता है।

कांग्रेस का संघर्ष

कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव न केवल जीतने का सवाल है, बल्कि पार्टी के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। लोकसभा चुनावों में बुरी हार के बाद कांग्रेस के मनोबल को ठेस पहुंची थी, लेकिन बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव में मिली जीत ने पार्टी के हौसले को बढ़ाया। कांग्रेस का कहना है कि केदारनाथ उपचुनाव में जीत के बाद पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए फिर से उम्मीदों से भरे होंगे।

कांग्रेस ने प्रचार में कोई कमी नहीं छोड़ी और पार्टी के नेता, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत कई प्रमुख नेताओं ने पूरी ताकत से प्रचार अभियान चलाया। कांग्रेस की रणनीति पार्टी के लिए एक बड़ा संदेश देने की है, और पार्टी को उम्मीद है कि वह इस उपचुनाव को जीतकर प्रदेश में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को फिर से हासिल कर सकती है।

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