UTTARAKHAND में शीतकालीन पर्यटन को लेकर राज्य सरकार ने तैयारियां तेज कीं
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के प्रसिद्ध चारों धामों के शीतकालीन गद्दीस्थलों को पर्यटकों के लिए खोलने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। जैसे ही चारधाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए, राज्य सरकार ने शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है। यह कदम राज्य के पर्यटन क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने के साथ ही पर्यटकों के लिए नए अनुभव भी प्रदान करेगा।
इस योजना के अंतर्गत न केवल चारों धामों के शीतकालीन गद्दीस्थल जैसे ऊखीमठ, ज्योतिर्मठ, मुखबा और खरसाली के दर्शन होंगे, बल्कि इस दौरान उत्तराखंड के अन्य पर्यटन स्थलों पर भी शीतकालीन उत्सव और गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। इन आयोजनों में स्कीइंग, शरदोत्सव, और विशेष धार्मिक यात्राएं शामिल होंगी, जो राज्य के पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी।
शीतकालीन पर्यटन की तैयारी में सरकार
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस बात की जानकारी दी कि शीतकाल में तीर्थाटन और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार की योजना बनाई जा रही है। प्रमुख एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशनों और शहरों में राज्य के प्रमुख स्थलों की जानकारी दी जाएगी, ताकि देशभर के लोग शीतकालीन यात्रा की ओर आकर्षित हों।
“हम चाहते हैं कि शीतकाल में राज्य में आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके लिए शीतकालीन पर्यटन के लिए सभी संबंधित विभागों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं,” सतपाल महाराज ने कहा।
इस अभियान में राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा के शीतकालीन गद्दीस्थलों के लिए विशेष योजना बनाई है। हर गद्दीस्थल पर यात्रियों की संख्या को नियंत्रित करते हुए उनकी धारण क्षमता के अनुसार पर्यटकों को भेजा जाएगा। इसके अलावा, स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शरदोत्सव में लोककलाकारों की प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की जाएंगी।
शीतकालीन गद्दीस्थल और प्रमुख स्थल
1. ऊखीमठ और ज्योतिर्मठ:
बदरीनाथ और केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद होते हैं, लेकिन इन स्थानों के शीतकालीन गद्दीस्थल जैसे ऊखीमठ और ज्योतिर्मठ तीर्थयात्रियों के लिए खुले रहते हैं। यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। राज्य सरकार इस दौरान श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्थाओं की योजना बना रही है।
2. मुखबा और खरसाली:
गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के शीतकालीन गद्दीस्थल, जैसे मुखबा और खरसाली भी भक्तों के लिए तैयार होंगे। इन स्थानों पर जाने के लिए यात्रा मार्ग की सुरक्षा और संरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
3. टिम्मरसैंण महादेव:
उत्तराखंड में चमोली जिले स्थित टिम्मरसैंण महादेव भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां हर साल बर्फबारी के दौरान बाबा बर्फानी का अद्भुत शिवलिंग बनता है। यह स्थल अमरनाथ के गुफा शिवलिंग के समान ही प्रसिद्ध है। इस वर्ष फरवरी-मार्च के दौरान टिम्मरसैंण महादेव की यात्रा को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं। प्रशासन को इस यात्रा के दौरान पर्यटकों की संख्या के हिसाब से रहने, खाने-पीने और सुरक्षा के उपायों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं।
औली में स्कीइंग का रोमांच
उत्तराखंड का औली हिम क्रीड़ा के लिए प्रसिद्ध है, और शीतकाल में यहां स्कीइंग का रोमांच पर्यटकों को लुभाता है। राज्य सरकार ने औली में बर्फबारी की स्थिति में स्कीइंग प्रतियोगिताओं का आयोजन करने की योजना बनाई है। इसके लिए पर्यटन विभाग को पहले से तैयारियों के आदेश दिए गए हैं। इस दौरान पर्यटकों के लिए स्कीइंग की ट्रेनिंग और अन्य साहसिक गतिविधियाँ भी आयोजित की जाएंगी।
औली में स्कीइंग के साथ-साथ वहां के खूबसूरत दृश्य और शांत वातावरण भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। पर्यटकों के अनुभव को और बढ़ाने के लिए वहां की पर्यटन सुविधाओं को भी बढ़ाया जा रहा है।
शरदोत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रम
उत्तराखंड में शरदोत्सव को खासतौर पर गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में मनाया जाता है। शरदोत्सव के दौरान राज्य के विभिन्न लोककलाकार अपने कार्यक्रमों के माध्यम से राज्य की संस्कृति को प्रदर्शित करेंगे। इस दौरान, स्थानीय उत्पादों और हस्तशिल्पों के स्टाल भी लगाए जाएंगे, जिनमें पर्यटक राज्य की पारंपरिक कला और संस्कृति से जुड़ी वस्तुएं खरीद सकते हैं।
इस आयोजन के दौरान, स्थानीय खाद्य पदार्थों और कला प्रदर्शन का भी समावेश किया जाएगा, ताकि पर्यटकों को राज्य की विविधता का अनुभव हो सके। यह आयोजन पर्यटन के क्षेत्र में न केवल राज्य के लिए लाभकारी होगा, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ावा देगा।
राज्य की आर्थिकी में पर्यटन का योगदान
उत्तराखंड की आर्थिकी में पर्यटन का अहम योगदान है। इस वर्ष के चारधाम यात्रा में 46.28 लाख लोग राज्य पहुंचे थे और बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में दर्शन किए थे। इसके अलावा, राज्य के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भी पर्यटकों की भारी संख्या देखी गई।
जब चारों धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद होते हैं, तो राज्य सरकार ने शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं का खाका तैयार किया है। इससे राज्य के पर्यटन उद्योग को एक नई दिशा मिलेगी, और शीतकालीन पर्यटन से होने वाली आय से राज्य की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी।