दीपम सेठ को मिली उत्तराखंड पुलिस की कमान, डीजीपी की जिम्मेदारी संभाली
उत्तराखंड में पुलिस विभाग के शीर्ष पद पर एक अहम बदलाव हुआ है। एडीजी (एडिशनल डायरेक्टर जनरल) दीपम सेठ को राज्य का 13वां पुलिस प्रमुख (डीजीपी) नियुक्त किया गया है। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। एडीजी दीपम सेठ ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर सोमवार को अपने मूल कैडर को जॉइन किया, और साथ ही उन्हें पुलिस विभाग का प्रमुख बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।
दीपम सेठ: एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी
दीपम सेठ 1995 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं। उनकी सेवाएं लंबी और कड़ी रही हैं, और उन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया है। पिछले कुछ वर्षों से वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे, जहां उन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन किया। 2019 से वह केंद्रीय सेवाओं में कार्यरत थे, लेकिन अब वह उत्तराखंड में वापस लौट आए हैं।
साल 2023 में जब उत्तराखंड के पुलिस प्रमुख पद को लेकर स्थिति असमंजस में थी, तब दीपम सेठ का नाम चर्चाओं में था। जब पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने सेवानिवृत्ति ली थी, तब दीपम सेठ के राज्य में वापस आने की अटकलें तेज हो गई थीं।
उत्तराखंड सरकार ने केंद्र से किया आग्रह
दीपम सेठ की नियुक्ति की प्रक्रिया में कुछ समय से खींचतान चल रही थी। दरअसल, उनके केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उनसे सेठ को राज्य में वापस भेजने की मांग की थी। इस पत्र के अगले ही दिन, केंद्र सरकार ने उन्हें रिलीव कर दिया। राज्य सरकार के इस आग्रह ने उनके वापस लौटने की प्रक्रिया को तेज कर दिया, और अब उन्होंने राज्य में डीजीपी का पद संभाल लिया है।
दीपम सेठ की केंद्रीय सेवाओं में वापसी की प्रक्रिया काफी तेज़ी से हुई। उनके राज्य में लौटने के एक दिन बाद ही उन्हें डीजीपी का कार्यभार सौंप दिया गया, जो एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय था।
उत्तराखंड के 12वें डीजीपी का कार्यभार
दीपम सेठ के पदभार संभालने से पहले, एडीजी अभिनव कुमार उत्तराखंड के 12वें कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यरत थे। वह पिछले साल 30 नवंबर से इस पद पर कार्य कर रहे थे, जब पूर्व डीजीपी अशोक कुमार का कार्यकाल समाप्त हुआ। अभिनव कुमार के कार्यकाल के दौरान राज्य में कई पुलिस सुधारों और प्रशासनिक कार्यों पर ध्यान दिया गया।
हालांकि, पिछले कुछ महीनों से चर्चा चल रही थी कि दीपम सेठ की वापसी को लेकर सरकार गंभीर है, और उनके नाम को डीजीपी के चयन के लिए यूपीएससी के पास भेजा गया था। इस पैनल में दीपम सेठ का नाम था, लेकिन कार्यवाहक डीजीपी के रूप में अभिनव कुमार का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी दीपम सेठ की नियुक्ति पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया था।
डीजीपी चयन प्रक्रिया: यूपी की तर्ज पर सिफारिश
इस बीच, कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार ने गृह सचिव को पत्र लिखकर उत्तराखंड में डीजीपी का चयन यूपी की तर्ज पर करने की सिफारिश की थी। उन्होंने अपने पत्र में राज्य पुलिस एक्ट के नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि डीजीपी का चयन दो साल के लिए शासन की समिति द्वारा किया जा सकता है। अभिनव कुमार का यह सुझाव था कि राज्य में डीजीपी का चयन प्रक्रिया पारदर्शी और नियमों के अनुरूप होनी चाहिए।
इस सिफारिश के बावजूद, गृह विभाग ने एक अप्रत्याशित कदम उठाया और शुक्रवार को केंद्र सरकार से दीपम सेठ को रिलीव करने का अनुरोध किया। इसके बाद, सरकार ने दीपम सेठ को डीजीपी के रूप में नियुक्त करने का फैसला लिया, और वह अब उत्तराखंड पुलिस के 13वें डीजीपी बन गए हैं।
दीपम सेठ की नियुक्ति के फायदे
दीपम सेठ की डीजीपी के रूप में नियुक्ति उत्तराखंड पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके अनुभव और कार्यशैली को देखते हुए यह उम्मीद जताई जा रही है कि वह राज्य पुलिस के कार्यों को और अधिक प्रभावी और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उनके केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के अनुभव से राज्य पुलिस को नई दिशा और नेतृत्व मिल सकता है।
उनकी नियुक्ति से पहले, उत्तराखंड पुलिस की कार्यप्रणाली में कुछ मुद्दों को लेकर आलोचनाएं भी होती रही हैं। दीपम सेठ की अनुभवपूर्ण नीतियों और उनके प्रभावी नेतृत्व की उम्मीद राज्य की पुलिस व्यवस्था को नया रूप देने में मदद कर सकती है।
दीपम सेठ के डीजीपी बनने के बाद, कई संभावित बदलावों की चर्चा हो रही है। उनका कद और अनुभव इस बात की ओर इशारा करता है कि पुलिस बल में सुधार, तकनीकी उन्नति और बेहतर प्रशासनिक कार्यों को लेकर कई नए कदम उठाए जा सकते हैं।
विशेष रूप से, अपराधों की रोकथाम, पुलिस कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, और जनता के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने के लिए उनका नेतृत्व बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसके अलावा, राज्य में बढ़ते साइबर अपराध, नशे की तस्करी, और आतंकवाद जैसी चुनौतियों के मद्देनजर उनकी रणनीतियाँ अहम हो सकती हैं।