Uttarakhand

HARIDWAR: पायलट बाबा आश्रम के साधु संतों पर धोखाधड़ी और इलाज में लापरवाही के आरोप, एसआईटी का गठन

हरिद्वार में पायलट बाबा आश्रम के साधु संतों पर इलाज में लापरवाही बरतने और करोड़ों की धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं। इस मामले को लेकर अब एसएसपी के निर्देश पर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जो आरोपों की जांच करेगा और उन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया को गति देगा।

आश्रम के भीतर हो रही इस कथित धोखाधड़ी और लापरवाही के आरोपों की जांच पुलिस ने गंभीरता से शुरू कर दी है, जिसके बाद एसआईटी का गठन किया गया। शिष्य ब्रहमानन्द गिरी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए पायलट बाबा आश्रम के अन्य साधू संतों पर आरोप लगाए थे। इस मामले में जो आरोप लगाए गए हैं, वे न केवल आश्रम के अंदर चल रही गतिविधियों से जुड़ी गंभीर आपत्तियां हैं, बल्कि यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं कि धार्मिक स्थानों पर भी इस तरह के विवाद और धोखाधड़ी कैसे हो सकती है।

शिष्य ब्रहमानन्द गिरी की शिकायत पर हुआ एसआईटी का गठन

जगजीतपुर क्षेत्र में स्थित पायलट बाबा आश्रम के खिलाफ यह शिकायत तब आई जब शिष्य ब्रहमानन्द गिरी ने आश्रम में मौजूद साधू संतों पर गंभीर आरोप लगाए। उनके अनुसार, आश्रम के कुछ साधू संतों ने इलाज में लापरवाही बरती और शिष्य के स्वास्थ्य से संबंधित गंभीर मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि आश्रम में धर्म के नाम पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की जा रही थी। इन आरोपों के बाद पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और एसएसपी के आदेश पर एसआईटी का गठन किया गया।

आश्रम के खिलाफ उठे इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी ने जांच के लिए एक विशेषज्ञ टीम का गठन किया है, जिसमें विभिन्न पुलिस अधिकारी शामिल हैं। एसआईटी में नगर क्षेत्राधिकारी जूही मनराल, कनखल थाना अध्यक्ष मनोज नौटियाल, कनखल थाना के अमित नौटियाल, सीआईयू हरिद्वार के पवन डिमरी, कनखल थाना के जसवीर और सीआईयू हरिद्वार के वसीम को शामिल किया गया है।

एसआईटी द्वारा की जाने वाली जांच

एसआईटी का मुख्य उद्देश्य साधू संतों के खिलाफ लगे आरोपों की पूरी जांच करना है। इसमें विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा कि शिष्य ब्रहमानन्द गिरी द्वारा लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है और क्या आश्रम के भीतर वाकई में इलाज में लापरवाही और धोखाधड़ी हो रही थी। इसके साथ ही, यह भी जांच की जाएगी कि आश्रम के द्वारा एकत्र किए गए धन का इस्तेमाल किस प्रकार किया जा रहा था और क्या यह एक धार्मिक संस्थान के रूप में उचित तरीके से संचालित हो रहा था।

एसआईटी जांच में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि ऐसे मामलों से समाज में कोई गलत संदेश न जाए। एसआईटी की इस जांच में पुलिस उन साधू संतों के बयानों को दर्ज करेगी, जो इस मामले में सीधे तौर पर शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, आश्रम के खातों और अन्य संबंधित दस्तावेजों की भी गहन जांच की जाएगी, ताकि आरोपों के समर्थन में सबूत जुटाए जा सकें।

आरोपों की गंभीरता

यह मामला केवल इलाज में लापरवाही या धर्म से जुड़ी धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे समाज में एक बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है कि क्या इस तरह के धार्मिक स्थल और संस्थान अपने कर्तव्यों और दायित्वों का पालन सही तरीके से कर रहे हैं। पायलट बाबा आश्रम के खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं, और अगर जांच के दौरान इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह धार्मिक और समाजिक दृष्टि से एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि धार्मिक संस्थान, विशेषकर आश्रमों, में श्रद्धालुओं का विश्वास बहुत अहम होता है। जब उन संस्थाओं में कोई धोखाधड़ी या लापरवाही की घटनाएं होती हैं, तो इसका समाज में व्यापक असर पड़ता है। इसके अलावा, पायलट बाबा आश्रम जैसे बड़े धार्मिक स्थलों के खिलाफ ऐसे आरोपों का सामने आना उन स्थानों के संचालन की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।

पुलिस की कार्रवाई और जांच प्रक्रिया

पुलिस अब इस मामले की गंभीरता को समझते हुए पूरी जांच प्रक्रिया में तेजी लाएगी। एसआईटी का गठन किया गया है ताकि आरोपों की निष्पक्ष और सटीक जांच हो सके। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, जांच के दौरान सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा और आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूतों के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह जांच केवल पायलट बाबा आश्रम तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह पूरे हरिद्वार के धार्मिक संस्थानों में पारदर्शिता और प्रबंधन के तरीके पर भी सवाल उठा सकती है। पुलिस इस मामले में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

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