ONGC चौक एक्सीडेंट पर यातायात निदेशक ने दिए जांच के आदेश , सफेद रंग की कार के गलत दिशा में दौड़ने की शिकायत
11 और 12 नवंबर की दरमियानी रात ओएनजीसी चौक पर एक भीषण दुर्घटना में छह युवाओं की जान चली गई थी। यह हादसा रात 1:19 बजे हुआ था और इसने पूरे देहरादून जिले को हिलाकर रख दिया। हादसे से कुछ देर पहले, एक युवक ने पैसेफिक मॉल के बाहर एक सफेद रंग की कार को गलत दिशा में दौड़ते हुए देखा था। युवक की कार भी दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बची थी, जिसके बाद उसने इस बारे में तत्काल पुलिस को सूचना दी।
वह युवक मसूरी डायवर्जन पर खड़े एएसआई मनवर सिंह नेगी के पास गया और इस गलत दिशा में दौड़ रही कार की जानकारी दी, लेकिन कथित रूप से एएसआई ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और न ही उन्होंने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई की। इसके बावजूद, युवक ने हार नहीं मानी और बाद में कंट्रोल रूम को फोन किया और जिलाधिकारी तथा एसएसपी को एक ई-मेल भेजी, जिसमें उसने इस हादसे के बारे में जानकारी दी थी।
एएसआई की लापरवाही: शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई
मामला गंभीर था, क्योंकि युवक ने कार को गलत दिशा में दौड़ते हुए देखा था और यह संभावना जताई थी कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की जाती, तो एक और बड़ा हादसा हो सकता था। हालांकि, शिकायत के बावजूद एएसआई मनवर सिंह नेगी ने इसे हलके में लिया और न ही उन्होंने कोई मैसेज फ्लैश किया। यह घटना उस समय हुई जब यातायात निदेशक छुट्टी पर थे, लेकिन जब वह वापस लौटे, तो उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दिए।
इसके बाद, जब दुर्घटना हुई, तो युवक ने इसे एक इनोवा कार के बारे में बताया, लेकिन ई-मेल में उसने इसे ह्यूंडई क्रेटा कार के बारे में बताया। पुलिस जांच में यह सामने आया कि हादसे में शामिल कार ह्यूंडई क्रेटा ही थी, जो गलत दिशा में आ रही थी। इसके बावजूद, एएसआई के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
यातायात निदेशक का हस्तक्षेप और जांच के आदेश
यातायात निदेशक अरुण मोहन जोशी ने जब इस मामले की गंभीरता को महसूस किया, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस मामले में जांच की जाए और साथ ही एएसआई मनवर सिंह नेगी की लापरवाही पर भी जांच शुरू की जाए। निदेशक ने इस मामले में जल्द से जल्द एसएसपी देहरादून से आख्या मांगी है और पूरी स्थिति का विश्लेषण करने के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं।
यातायात निदेशक ने इसे जिला पुलिस की लापरवाही माना और आरोप लगाया कि अगर सही समय पर इस शिकायत पर कार्रवाई की जाती, तो यह दुर्घटना टाली जा सकती थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी विभागीय जांच में कोई भी दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की लापरवाही: क्या हुआ था हादसे के बाद?
हादसे के बाद, यह सवाल उठता है कि पुलिस ने क्यों समय रहते इस दुर्घटना को टालने के लिए कदम नहीं उठाए। अगर पुलिस तत्काल कार्रवाई करती, तो इस तरह का बड़ा हादसा शायद टल सकता था। यह भी देखा गया कि एएसआई ने शिकायत के बावजूद कोई सक्रिय कदम नहीं उठाया और न ही कोई चेतावनी जारी की।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एएसआई के खिलाफ अब जांच की जाएगी और यदि पाया गया कि उन्होंने अपनी ड्यूटी में लापरवाही की है, तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस घटना ने सड़क सुरक्षा के सवाल को भी सामने ला दिया है, खासकर उस वक्त जब यातायात विभाग ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे।
सड़क सुरक्षा और पुलिस का कर्तव्य
यह घटना सड़क सुरक्षा के महत्व को उजागर करती है। जब कोई वाहन गलत दिशा में दौड़ रहा होता है, तो यह केवल चालक के लिए नहीं, बल्कि अन्य वाहन चालकों के लिए भी खतरे की घंटी हो सकती है। इस तरह के मामलों में पुलिस की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया बेहद आवश्यक होती है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के हादसों से बचा जा सके।
सड़क सुरक्षा के नियमों को सख्ती से लागू करना और पुलिस द्वारा समय रहते त्वरित कदम उठाना न केवल हादसों को टालने में मदद करता है, बल्कि यह आम लोगों के बीच विश्वास भी कायम करता है। इस मामले में, अगर पुलिस ने सही समय पर उचित कार्रवाई की होती, तो आज हम एक और जीवन के नुकसान की चर्चा नहीं कर रहे होते।
यातायात निदेशक अरुण मोहन जोशी ने इस मामले में जो कदम उठाए हैं, वह यह दर्शाते हैं कि वह सिर्फ घटना की जांच तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इसके बाद सुधारात्मक कदम भी उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस विभाग को और सख्त बनाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में कोई भी लापरवाही न हो।
इस पूरे मामले ने देहरादून पुलिस और यातायात विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। अब यह देखना होगा कि विभाग इस घटना से क्या सबक लेता है और सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।