पंजाब उपचुनाव के बाद AAP सरकार के नए कदम, वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए उठाए गए अहम फैसले
पंजाब के उपचुनावों के नतीजे आने से ठीक पहले, आम आदमी पार्टी (AAP) ने राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए एक अहम कदम उठाया है। राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। अब, पंजाब सरकार राज्य की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए औद्योगिक क्षेत्र में बिजली ड्यूटी बढ़ाने की योजना बना रही है।
यह फैसला पंजाब के वित्तीय संकट को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र की इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को बढ़ाने का ऐलान किया है, जिसका असर राज्य के राजस्व पर पड़ेगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे लगभग 800 से 900 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो सकती है। यह कदम एक ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब पंजाब सरकार की वित्तीय स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है और उसे संतुलन बनाए रखने के लिए अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता है।
औद्योगिक क्षेत्र में बिजली ड्यूटी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव
पंजाब सरकार ने पिछले कुछ समय से औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की दरों में वृद्धि पर विचार किया था। 2022 में सत्ता में आने के बाद, आम आदमी पार्टी सरकार ने अभी तक औद्योगिक क्षेत्र की बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी, हालांकि इस मामले में वित्तीय विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया था।
अब, यह प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में पेश किया जाएगा, जिसके बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बिजली ड्यूटी में तीन प्रतिशत की वृद्धि करने से सरकार को वित्तीय सुधार की दिशा में मदद मिलने की उम्मीद है। यह कदम मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य के आर्थिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी में ईको सेंसिटिव जोन के विस्तार का प्रस्ताव
वहीं, दूसरी ओर पंजाब सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी कुछ बड़े फैसले लेने जा रही है। सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी के इर्द-गिर्द ईको सेंसिटिव जोन (ESZ) के दायरे को बढ़ाने का प्रस्ताव कैबिनेट में चर्चा के लिए भेजा गया है। पहले इस क्षेत्र में केवल 100 मीटर का ईको सेंसिटिव जोन था, जिसे अब बढ़ाकर तीन किलोमीटर करने का प्रस्ताव है।
यदि पंजाब सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो नयागांव, कांसल, करोरा, नाडा और न्यू चंडीगढ़ जैसे इलाके इस जोन में आ जाएंगे। इसका मतलब यह होगा कि इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के भवन निर्माण, व्यावसायिक गतिविधियों या परियोजनाओं को शुरू करने से पहले सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। इससे उच्च-ऊंचाई वाली इमारतों के निर्माण पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी, जो स्थानीय निवासियों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के 2022 में आए आदेश के अनुसार, सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी के आस-पास का ईको सेंसिटिव जोन कम से कम एक किलोमीटर तक होना चाहिए। राज्य सरकार के इस प्रस्ताव से इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ने की संभावना है, हालांकि इसके कारण एक से डेढ़ लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं, जिनके जीवनयापन की राह में इन नए नियमों से रुकावट आ सकती है।
प्राइवेट प्रोजेक्टों में ईडब्ल्यूएस हाउसिंग के लिए आरक्षित भूमि की नीलामी
पंजाब सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है, जो प्राइवेट रियल एस्टेट क्षेत्र को प्रभावित करेगा। सरकार अब ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए आरक्षित भूमि को नीलाम करने की योजना बना रही है। यह निर्णय बड़े प्राइवेट रियल एस्टेट मालिकों के लिए एक फायदे का सौदा साबित हो सकता है, क्योंकि अब वे इन आरक्षित जमीनों को सरकार से पुनः खरीद सकेंगे।
इस फैसले का असर मोहाली, लुधियाना और जालंधर जैसे शहरों में पड़ने वाले 40 से अधिक बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्टों पर हो सकता है, जहां ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए भूमि आरक्षित की गई थी। इस बदलाव से ईडब्ल्यूएस श्रेणी में घर प्राप्त करने की उम्मीद करने वाले लाखों जरूरतमंदों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि प्राइवेट बिल्डर्स अब इन भूमि का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह निर्णय राज्य सरकार के लिए एक कठिन चुनौती हो सकता है, क्योंकि इससे सामाजिक और राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
राज्य सरकार का लक्ष्य: वित्तीय सुधार और विकास
पंजाब की वर्तमान सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने और विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन फैसलों के माध्यम से मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार को स्थिर करने और उसे वित्तीय संकट से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में बिजली ड्यूटी बढ़ाने से राज्य के राजस्व में वृद्धि होने की संभावना है, जो अगले कुछ वर्षों में वित्तीय सुधार की दिशा में मदद कर सकता है।
साथ ही, ईको सेंसिटिव जोन का विस्तार और ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित भूमि की नीलामी के फैसले से राज्य सरकार का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक हित के साथ-साथ वित्तीय और शहरी विकास की दिशा में संतुलन बनाए रखना है। हालांकि, इन निर्णयों से कुछ लोगों को असुविधा हो सकती है, लेकिन राज्य सरकार के लिए यह एक कठिन लेकिन आवश्यक कदम है।