वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (WII) ने शुरू किया धार्मिक स्थलों की श्रद्धालु धारण क्षमता का आकलन
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (WII) ने उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों – हेमकुंड साहिब, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालुओं की धारण क्षमता का आकलन करने के लिए एक अध्ययन शुरू कर दिया है। यह जिम्मेदारी राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा WII को सौंपी गई है। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य इन तीर्थ स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या, उनके रुकने की क्षमता, चिकित्सा सुविधाएं, कूड़ा निस्तारण, खच्चर-घोड़ों की संख्या और उनके प्रबंधन सहित अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं का समग्र विश्लेषण करना है।
अध्ययन का उद्देश्य और इसके प्रभाव
उत्तराखंड के चार प्रमुख धार्मिक स्थल—हेमकुंड साहिब, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री—देशभर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं, खासकर जब यह स्थल अपने श्रद्धालु स्वागत के लिए खुलते हैं। इन स्थलों पर एक निश्चित समय में श्रद्धालुओं की भारी संख्या पहुंचती है, जिससे व्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ जाता है। इस दबाव को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए WII का यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस अध्ययन में धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के रुकने की क्षमता, उपलब्ध चिकित्सा सुविधाएं, कूड़ा निस्तारण, खच्चर और घोड़े की संख्या, और उनके प्रबंधन सहित कई बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह रिपोर्ट भविष्य में इन स्थलों पर बेहतर यात्रा प्रबंधन और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करेगी।
श्रद्धालु धारण क्षमता का आकलन
इस अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य यह पता लगाना है कि इन धार्मिक स्थलों पर कितने श्रद्धालु सुरक्षित रूप से एक साथ रुक सकते हैं, और यात्रा के दौरान किस प्रकार की व्यवस्थाएं होनी चाहिए ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, मौसम के अनुसार यात्रियों की संख्या में उतार-चढ़ाव की स्थिति को भी ध्यान में रखते हुए प्रबंधनों का आकलन किया जाएगा। खासकर यात्रा के शुरू में, बरसात के मौसम में और यात्रा के अंत में श्रद्धालुओं की संख्या में अचानक वृद्धि होती है, जिससे व्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ जाता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का योगदान
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने WII को इस अध्ययन की जिम्मेदारी सौंपते हुए विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि धार्मिक स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं के कारण पर्यावरण पर अधिक दबाव न पड़े। इन स्थलों पर बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटकों की वजह से कूड़े का निस्तारण, जल स्रोतों की रक्षा, और जानवरों के साथ मानव की सुरक्षा संबंधी कई पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
WII का चयनित अध्ययन क्षेत्र
WII ने इस अध्ययन के लिए उन स्थानों का चयन किया है, जहां श्रद्धालुओं को या तो पैदल यात्रा करनी होती है, या घोड़े, खच्चर या अन्य परिवहन का सहारा लेना होता है। इनमें हेमकुंड साहिब, केदारनाथ और यमुनोत्री जैसे स्थल शामिल हैं, जहां यात्रा तुलनात्मक रूप से कठिन है। इन स्थलों पर मौसम, मार्ग की कठिनाई और अन्य बाधाओं को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं की संख्या की सीमा तय करना आवश्यक होगा। वहीं, गंगोत्री को भी इस अध्ययन में शामिल किया गया है, क्योंकि यहां सीधे वाहन से पहुंचा जा सकता है, और इसे अन्य स्थानों से तुलनात्मक रूप से थोड़ा अधिक सुलभ माना जाता है।
अध्ययन के मुख्य बिंदु
- श्रद्धालुओं की संख्या और रुकने की क्षमता: प्रत्येक स्थल पर कितने श्रद्धालु एक समय में रुक सकते हैं, यह इस अध्ययन का मुख्य बिंदु होगा। इसमें साइट के आकार, ढांचे, सुविधाओं और सुविधाओं के विस्तार को ध्यान में रखा जाएगा।
- चिकित्सा सुविधाएं: यह अध्ययन यह भी सुनिश्चित करेगा कि इन स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं हैं, ताकि कोई भी चिकित्सा आपातकाल उत्पन्न होने पर तुरंत सहायता मिल सके।
- कूड़ा निस्तारण: हर साल लाखों श्रद्धालु इन स्थलों पर आते हैं, और इसके परिणामस्वरूप कूड़े का ढेर जमा हो जाता है। अध्ययन में कूड़े के निस्तारण की विधि, और नवीनीकरण के उपायों की जानकारी दी जाएगी।
- खच्चर और घोड़े का प्रबंधन: केदारनाथ, हेमकुंड साहिब और यमुनोत्री जैसे स्थानों पर मवेशियों का प्रयोग अत्यधिक होता है। इस अध्ययन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन जानवरों की संख्या, उनकी देखभाल और यात्रा के दौरान उनकी भलाई की निगरानी की जाए।
पर्यावरणीय असर और यात्रा प्रबंधन
इन धार्मिक स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं का पर्यावरण पर काफी प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की यह प्राथमिक चिंता है कि किस प्रकार से यात्रियों के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है ताकि इन स्थलों पर पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। WII का अध्ययन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
इस अध्ययन से यह भी उम्मीद की जा रही है कि श्रद्धालुओं की संख्या को सही तरीके से नियंत्रित किया जाएगा, और सभी यात्रियों के लिए एक सुरक्षित, व्यवस्थित और साफ-सुथरा अनुभव सुनिश्चित किया जाएगा।
भविष्य में यात्रा संचालन में सुधार
डब्ल्यूआईआई द्वारा इस अध्ययन से मिली जानकारी से भविष्य में यात्रा संचालन में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। यह रिपोर्ट न केवल यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करेगी, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी स्थायी समाधान प्रदान करेगी। इस अध्ययन के परिणाम से स्थानीय प्रशासन, प्रशासनिक अधिकारियों और धार्मिक संस्थाओं को ये जानकारी मिलेगी कि किस प्रकार से यात्रियों के आने-जाने के समय में सुधार किया जा सकता है, ताकि इन स्थलों पर किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो।