Uttarakhand

उत्तराखंड की मलिन बस्तियों को मिली राहत, राज्यपाल ने 2024 का अध्यादेश किया मंजूर

देहरादून: उत्तराखंड राज्य की मलिन बस्तियों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए राहत की खबर आई है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने मंगलवार को उत्तराखंड (नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2024 को मंजूरी दे दी। इसके तहत राज्य की मलिन बस्तियों को अगले तीन साल तक उजड़ने का खतरा टल गया है। इस अध्यादेश के लागू होने से राज्य की 582 मलिन बस्तियों में निवास करने वाले 12 लाख से अधिक लोगों को बड़ी राहत मिली है, जो अब अगले तीन साल तक बिना किसी चिंता के अपने घरों में रह सकेंगे।

मलिन बस्तियों का संकट: हाईकोर्ट के आदेश के बाद बढ़ी मुश्किलें

उत्तराखंड की मलिन बस्तियों में पिछले कुछ वर्षों से बढ़ती समस्याएं राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुकी थीं। 2018 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद नगर निकायों के तहत आने वाली मलिन बस्तियों को अतिक्रमण हटाने के अभियान के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ा। इन बस्तियों में लाखों लोग रह रहे थे, जो वर्षों से अवैध रूप से सरकारी या निजी भूमि पर बसे हुए थे। उच्च न्यायालय के आदेश के तहत इन बस्तियों में अवैध निर्माणों को हटाने के लिए प्रशासन ने अभियान चलाना शुरू किया था, जिससे इन बस्तियों में रहने वाले लोगों के सामने उजड़ने का संकट खड़ा हो गया।

इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 2018 में पहला अध्यादेश जारी किया था, जिसका उद्देश्य मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों को तीन साल तक राहत देना था। यह अध्यादेश 2021 में फिर से बढ़ाया गया था, लेकिन इस साल अक्टूबर में उसकी अवधि समाप्त हो गई। इसके बाद, राज्य सरकार ने तीसरी बार इस अध्यादेश को लागू किया है, जिससे इन बस्तियों में रह रहे लोगों को अगले तीन साल तक राहत मिलेगी।

2024 का अध्यादेश: तीन साल की राहत

राज्यपाल ने मंगलवार को उत्तराखंड (नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2024 को मंजूरी दी। इसके तहत राज्य में 582 मलिन बस्तियों में रहने वाले लगभग 12 लाख लोग अगले तीन साल तक अपनी बस्तियों से उजड़ने के खतरे से मुक्त होंगे। राज्य सरकार ने इसे अपने जनहित में एक महत्वपूर्ण कदम माना है, जिससे बस्तीवासियों को तुरंत राहत मिलेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बीते दिनों राज्य कैबिनेट ने इस अध्यादेश पर मुहर लगाई थी। इसके बाद राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद अब यह अध्यादेश प्रभावी हो गया है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय केवल बस्तीवासियों को अस्थायी राहत देने के लिए है, और भविष्य में इन बस्तियों के पुनर्वास और विनियमितीकरण पर काम किया जाएगा।

अध्यादेश की मुख्य विशेषताएँ

उत्तराखंड (नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2024 में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिनका उद्देश्य मलिन बस्तियों में रहने वाले नागरिकों को राहत प्रदान करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है:

1. राहत की अवधि का विस्तार

इस अध्यादेश के माध्यम से मलिन बस्तियों के निवासियों को अगले तीन साल तक अपनी बस्तियों से उजड़ने का खतरा नहीं रहेगा। इससे पहले 2018 और 2021 में आए अध्यादेशों की अवधि क्रमशः 3 साल और 2 साल थी। अब इस तीसरे अध्यादेश के माध्यम से बस्तियों के निवासियों को 2027 तक की सुरक्षा मिल गई है।

2. पुनर्वास और विनियमितीकरण की योजना

राज्य सरकार ने मलिन बस्तियों के पुनर्वास और विनियमितीकरण पर भी काम करने की योजना बनाई है। इसके तहत सरकार उन बस्तियों के लिए स्थायी समाधान प्रदान करने के लिए काम कर रही है, ताकि इन बस्तियों में रहने वाले लोग सुरक्षित और वैध आवास में रह सकें। सरकार ने इस दिशा में कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें मलिन बस्तियों का पुनर्वास, वैधकरण और बस्तियों के विकास की योजनाएं शामिल हैं।

3. अतिक्रमण नियंत्रण

अधिकारियों के अनुसार, यह अध्यादेश अतिक्रमण को नियंत्रित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने सुनिश्चित किया है कि आगामी वर्षों में मलिन बस्तियों के मामलों में कोई नई अतिक्रमण समस्या उत्पन्न न हो, और जिन बस्तियों में अवैध रूप से अतिक्रमण हुआ है, वहां प्रशासन कार्रवाई करेगा।

4. सभी वर्गों के लिए समान प्रावधान

अधिकारियों का कहना है कि यह अध्यादेश राज्य के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होगा। इसके तहत राज्य सरकार मलिन बस्तियों के सभी निवासियों को समान अवसर और सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगी।

सरकार का दृष्टिकोण: हर नागरिक को न्याय और सुरक्षा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद कहा, “हमारी सरकार का उद्देश्य राज्य की सभी मलिन बस्तियों के निवासियों को न्याय, सुरक्षा और एक स्थायी आवास प्रदान करना है। इस अध्यादेश के माध्यम से बस्तीवासियों को तीन साल तक राहत मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही हम इस अवधि के दौरान इन बस्तियों के पुनर्वास और विनियमितीकरण के लिए ठोस योजनाएं भी तैयार करेंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है कि वह गरीब और वंचित वर्गों की समस्याओं को प्राथमिकता देती है। “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर नागरिक को वैध और सुरक्षित आवास मिल सके और राज्य में कोई भी बस्ती अतिक्रमण की समस्या से न जूझे,” उन्होंने कहा।

मलिन बस्तियों का पुनर्वास: एक दीर्घकालिक समाधान

मलिन बस्तियों की समस्या केवल अस्थायी राहत से हल नहीं हो सकती है, बल्कि इसके लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर काम करने की योजना बनाई है, जिसमें बस्तियों के पुनर्वास और विनियमितीकरण की दिशा में काम किया जाएगा। यह योजनाएं राज्य के विभिन्न हिस्सों में लागू की जाएंगी, और इसके तहत बस्तियों को वैध रूप से पुनर्निर्मित किया जाएगा।

वर्तमान में राज्य सरकार उन बस्तियों के लिए योजनाएं तैयार कर रही है, जहां रहने वाले लोग अवैध रूप से बसी हुई झुग्गियों में रह रहे हैं। सरकार का उद्देश्य इन लोगों को वैध आवास प्रदान करना है, ताकि वे कानूनी रूप से अपने घरों में रह सकें और उनका जीवन स्तर सुधरे।

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