Uttarakhand

राज्य चिकित्सा शिक्षा में सुधार के लिए नए एसओपी की शुरुआत, डॉक्टरों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय

उत्तराखंड के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में संचालन के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जाएगी। इस एसओपी में प्रत्येक डॉक्टर और कर्मचारी के कार्य दायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा। इसके अलावा, बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली, मरीजों के भोजन से संबंधित मेन्यू को वार्ड के बाहर चस्पा करने की व्यवस्था और अस्पतालों की सफाई संबंधी नए नियमों का पालन भी अनिवार्य होगा। यह नई व्यवस्था नए साल से लागू हो जाएगी। बुधवार को यमुना कॉलोनी स्थित स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के सरकारी आवास पर चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक हुई, जिसमें इन महत्वपूर्ण निर्णयों पर चर्चा की गई।

एसओपी का उद्देश्य

राज्य स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बैठक में बताया कि एसओपी का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में बेहतर संचालन और मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है। इसके तहत, प्रत्येक डॉक्टर और कर्मचारी के कार्य दायित्वों को साफ-साफ तय किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो।

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि एसओपी के तहत कार्य न करने या उसके उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम राज्य के सरकारी चिकित्सा संस्थानों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एसओपी के मुताबिक, डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से बायोमेट्रिक उपस्थिति लगानी होगी। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि सभी कर्मचारी अपनी उपस्थिति समय पर दर्ज करें और कार्य में पूरी ईमानदारी से योगदान दें।

अस्पतालों में खानपान की व्यवस्था

नए एसओपी के तहत एक और महत्वपूर्ण नियम यह है कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों को प्रतिदिन दिए जाने वाले भोजन का मेन्यू अब वार्ड के बाहर चस्पा किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि मरीजों और उनके परिवारों को उनके भोजन के बारे में स्पष्ट जानकारी रहे। यह कदम मरीजों को और अधिक पारदर्शिता प्रदान करेगा और उन्हें यह सुनिश्चित करने का अवसर मिलेगा कि वे स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्राप्त कर रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि यह व्यवस्था नए साल से लागू की जाएगी, जिससे अस्पतालों में भोजन की गुणवत्ता और विविधता पर निगरानी रखी जा सकेगी। उनका कहना था कि यह कदम अस्पतालों की व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा और मरीजों को सही तरीके से इलाज और भोजन मिलेगा।

मरीजों की सफाई और स्वच्छता के मानक

डॉ. धन सिंह रावत ने बैठक में यह भी स्पष्ट किया कि मरीजों को किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाने के लिए प्रत्येक दिन उनके बेड की चादर बदलने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया कि अस्पतालों में प्रत्येक दिन बेड की चादर बदलने का एक नया सिस्टम लागू किया जाएगा। इसके लिए सात अलग-अलग रंग की चादरों का निर्धारण किया जाएगा, जिससे हर दिन बेड की चादर बदलने में कोई भ्रम न हो और एक साफ-सुथरी वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।

साथ ही, मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सफाई व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वार्डों की सफाई की जिम्मेदारी नर्सिंग इंचार्ज और कॉलेज के अधीक्षक की होगी। यह कदम अस्पतालों में स्वच्छता और सफाई के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो और संक्रमण फैलने का खतरा कम हो।

एसओपी की निगरानी

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि एसओपी का पालन सख्ती से किया जाएगा। राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट किया कि एसओपी के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। डॉ. रावत ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एसओपी का पूरी तरह पालन हो और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो।

यह व्यवस्था केवल चिकित्सा क्षेत्र में सुधार के लिए नहीं, बल्कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके तहत, मरीजों को बेहतर इलाज, उच्च गुणवत्ता वाले खानपान और स्वच्छ वातावरण मिलेगा, जिससे उनके इलाज में सुधार होगा।

बैठक में प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति

चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में कई प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएल ब्रह्म भट्ट, अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा नमामि बंसल, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना, दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन, हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य रंगील सिंह रैना, अपर निदेशक डॉ. आरएस बिष्ट, और संयुक्त निदेशक डॉ. एमसी पंत प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

इस बैठक में सभी अधिकारियों ने एसओपी के मसौदे पर चर्चा की और इसके विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अंतिम रूप से इसे मंजूरी दी। यह भी तय किया गया कि सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को एसओपी के बारे में जल्दी से जल्दी जानकारी दी जाएगी और उन्हें इसके पालन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

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