BJP सांसद नरेश बंसल ने एम्स ऋषिकेश के विस्तार और निजी अस्पतालों में इलाज की महंगी दरों पर संसद में उठाई चिंता
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य डॉ. नरेश बंसल ने बृहस्पतिवार को संसद में एम्स ऋषिकेश के विस्तार के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले मरीजों के बढ़ते दबाव के कारण एम्स ऋषिकेश में बेडों की कमी हो रही है। सांसद डॉ. बंसल ने यह सवाल उठाया कि जब एम्स ऋषिकेश में मरीजों का दबाव बढ़ रहा है, तो अस्पताल के विस्तार के लिए सरकार क्यों कोई कदम नहीं उठा रही है।
एम्स ऋषिकेश का विस्तार न होने से मरीजों को हो रही समस्याएं
डॉ. नरेश बंसल ने संसद के प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए बताया कि एम्स ऋषिकेश में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन अस्पताल का विस्तार न होने के कारण बेडों की कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी मरीजों की बड़ी संख्या इस अस्पताल में इलाज के लिए आती है, और जब अस्पताल में पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध नहीं होते, तो यह मरीजों के इलाज में रुकावट डालता है।
डॉ. बंसल ने सरकार से अनुरोध किया कि एम्स ऋषिकेश में जल्द से जल्द विस्तार किया जाए, ताकि यहां आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें और किसी भी मरीज को इलाज के लिए तरसना न पड़े।
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने आश्वासन दिया
इस मुद्दे पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने सहानुभूति व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि सरकार इस समस्या पर गंभीरता से विचार करेगी और इसे शीघ्र सुलझाने के लिए कदम उठाएगी। नड्डा ने कहा कि एम्स ऋषिकेश का विस्तार राज्य सरकार के साथ मिलकर किया जाएगा, ताकि मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके और अस्पताल की क्षमता को बढ़ाया जा सके।
निजी अस्पतालों में इलाज की महंगी दरों पर भी उठाई चिंता
सांसद बंसल ने केंद्र से मांग की, निजी अस्पतालों में इलाज की दरें तय की जाएं
संसद में सांसद डॉ. नरेश बंसल ने एम्स ऋषिकेश के विस्तार के अलावा निजी अस्पतालों में इलाज की महंगी दरों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में इलाज आम आदमी के लिए बहुत महंगा हो गया है। यहां तक कि जो लोग प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराते हैं, उन्हें भारी-भरकम बिलों का सामना करना पड़ता है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
सांसद ने इस विषय पर सरकार से अनुरोध किया कि निजी अस्पतालों के इलाज की दरों को युक्तिसंगत और नियंत्रित किया जाए, ताकि आम आदमी के लिए इलाज सुलभ और किफायती हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार को निजी अस्पतालों में इलाज की दरों को नियंत्रित करने के लिए एक नीति बनानी चाहिए, जैसा कि सीजीएचएस (केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना) के तहत सरकारी अस्पतालों के लिए दरें निर्धारित की गई हैं।
निजी अस्पतालों के इलाज की दरों में असमानता पर चिंता
डॉ. बंसल ने आगे कहा कि देश में निजी अस्पतालों के इलाज की दरों में भारी असमानता है। एक ही उपचार के लिए अलग-अलग अस्पतालों में दरें बहुत भिन्न होती हैं, और इसका सीधा असर मरीजों की जेब पर पड़ता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब छोटी-छोटी मेडिक्लेम कंपनियां निजी अस्पतालों से समझौता करके सस्ती दरों पर इलाज करा सकती हैं, तो सरकार क्यों नहीं निजी अस्पतालों के लिए दरें तय करती?
सांसद ने कहा, “सरकार को एक समान दरें तय करनी चाहिए”
सांसद ने केंद्र सरकार से यह भी कहा कि विभिन्न उपचार और प्रक्रियाओं के लिए एक समान दरें निर्धारित की जानी चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि छोटे शहरों और कस्बों में कुछ निजी अस्पताल बहुत कम दरों पर इलाज प्रदान करते हैं, जबकि बड़े शहरों में स्थित बड़े निजी अस्पताल मरीजों से अत्यधिक शुल्क लेते हैं। इस असमानता के कारण मरीजों को इलाज करवाने में कठिनाई होती है, खासकर उन लोगों को जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं।
सरकार को नीति बनाने की आवश्यकता
डॉ. बंसल ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को एक नीति तैयार करनी चाहिए, जिसमें निजी अस्पतालों में इलाज की दरें स्पष्ट रूप से तय की जाएं। इससे अस्पतालों के इलाज के खर्चों में पारदर्शिता आएगी और आम आदमी को महंगे इलाज से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब छोटे निजी अस्पताल मेडिक्लेम कंपनियों के साथ मिलकर सस्ती दरों पर इलाज दे सकते हैं, तो बड़े अस्पतालों के लिए भी यह दरें निर्धारित की जानी चाहिए।
निजी अस्पतालों के मनमाने दरों के कारण बढ़ रही समस्याएं
डॉ. बंसल ने इस विषय पर आगे कहा कि, “निजी अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्चों का सबसे बड़ा कारण दरों का असमान होना है। इससे गरीब वर्ग के लोग इलाज के लिए महंगी फीस चुकाने के लिए मजबूर हो जाते हैं, और उनका आर्थिक संतुलन बिगड़ जाता है। सरकार को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर एक ठोस नीति बनानी चाहिए ताकि निजी अस्पतालों में इलाज के दरों में सुधार हो और इलाज सभी के लिए सुलभ बने।