Uttarakhand

उत्तराखंड में आयोजित हो रहा है पहला विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पहली बार आयोजित होने जा रहे विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो का उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने किया। यह चार दिवसीय सम्मेलन आयुर्वेद चिकित्सा के महत्व को बढ़ावा देने और इसके क्षेत्र में नई खोजों और शोधों को साझा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।

आयुर्वेद का वैश्विक प्रचार-प्रसार

इस सम्मेलन का आयोजन परेड ग्राउंड में किया जा रहा है, जिसमें देश और विदेश से आयुर्वेद विशेषज्ञों की बड़ी संख्या पहुंची है। सम्मेलन में आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने, इसके वैश्विक प्रचार-प्रसार के लिए नई रणनीतियों पर मंथन किया जाएगा। इस मंच पर 600 शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे, जिनमें आयुर्वेद की आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने और उसके लाभों को बढ़ाने के विषय में चर्चा की जाएगी।

इस बार का सम्मेलन विशेष रूप से इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है कि इसमें इंटरनेशनल असेंबली का आयोजन किया जाएगा। 12 से 14 दिसंबर तक चलने वाली इस असेंबली में दुनिया भर के आयुर्वेद विशेषज्ञ एकत्र होकर अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। इस असेंबली का उद्देश्य आयुर्वेद के वैश्विक प्रचार-प्रसार के लिए एक रणनीति तैयार करना है, जिससे यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति दुनियाभर में और भी प्रभावी रूप से फैल सके।

विश्वभर से पहुंचे आयुर्वेद विशेषज्ञ

इस असेंबली में भाग लेने वाले डेलीगेट्स में प्रमुख रूप से उन देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जहां आयुष चेयर की स्थापना की गई है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, कनाडा, नीदरलैंड, पुर्तगाल और सिंगापुर जैसे देशों के आयुष चेयर प्रतिनिधि शामिल होंगे। इन देशों में आयुर्वेद और आयुष चिकित्सा के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, और इस असेंबली में उनके अनुभव और विचारों को साझा किया जाएगा।

आयुर्वेद की वैचारिक दिशा और इसके इलाज के तरीकों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह असेंबली एक अहम भूमिका निभाएगी। इस वैश्विक मंच पर हुए विचार-विमर्श से आयुर्वेद को दुनियाभर में नए आयाम मिल सकते हैं, साथ ही इसके प्रभावी प्रचार-प्रसार की दिशा में भी नई पहल हो सकती है।

6500 डेलीगेट्स का पंजीकरण

विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के इस आयोजन में अब तक 6500 से अधिक डेलीगेट्स ने पंजीकरण कराया है। इसमें आयुर्वेद के विशेषज्ञ, चिकित्सक, शोधकर्ता, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग, और आयुर्वेदिक दवाओं से जुड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस बड़ी संख्या में लोगों का जुड़ना इस बात का प्रमाण है कि आयुर्वेद की लोकप्रियता अब वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है और इसके क्षेत्र में नई खोजों और विचारों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।

इसके साथ ही, इस आयोजन में आयुर्वेदिक उत्पादों से जुड़ी कंपनियों के लिए भी एक बड़े प्लेटफॉर्म का अवसर है। आयुर्वेद फार्मा कंपनियों ने यहां 300 स्टॉल लगाए हैं, जहां वे अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस एक्सपो का उद्देश्य न केवल आयुर्वेद की दवाओं को लोगों तक पहुंचाना है, बल्कि इससे जुड़े शोध और विकास को भी सामने लाना है।

आम जनता के लिए स्वास्थ्य परीक्षण

आयुर्वेद और आरोग्य एक्सपो का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यहां आम जनता के लिए 12 आयुष क्लीनिक खोले गए हैं, जहां लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवा सकते हैं। ये क्लीनिक आयुर्वेदिक उपचार और इलाज के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। इसके माध्यम से लोग आयुर्वेद के लाभ और इसके प्रभावी उपचार के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। आयुर्वेद, जो एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, उसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना और इसके लाभों को समझाना इस एक्सपो का एक मुख्य उद्देश्य है।

स्वास्थ्य परीक्षण के माध्यम से, लोग न केवल अपनी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि आयुर्वेदिक उपचार से जुड़ी सलाह भी ले सकेंगे, जो उनकी सेहत को बेहतर बनाने में सहायक हो सकती है।

आयुर्वेद के भविष्य पर मंथन

इस चार दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धतियों को अधिक प्रभावी और वैज्ञानिक तरीके से प्रस्तुत करना है। आयुर्वेद को वैश्विक चिकित्सा पद्धतियों के साथ समन्वयित करके इसे एक मजबूत जगह देने के लिए रणनीतियां बनाई जाएंगी। इसके अलावा, सम्मेलन के दौरान भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ-साथ अन्य देशों में किए जा रहे प्रयासों को भी साझा किया जाएगा, जिससे यह पद्धति और भी लोकप्रिय हो सके।

इसके अलावा, इस सम्मेलन में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों की चुनौतियों और अवसरों पर भी चर्चा होगी। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मुकाबले आयुर्वेद को किस प्रकार से अधिक स्वीकार्यता मिल सकती है, इस पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

राज्य सरकार का सहयोग

उत्तराखंड सरकार ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरा सहयोग प्रदान किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस आयोजन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आयुर्वेद के महत्व को समझते हुए राज्य सरकार इसके प्रचार-प्रसार के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से आयुर्वेद की मान्यता और उपयोग बढ़ेगा, जो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होगा।

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