Uttarakhand

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी आरक्षण के आधार पर चुनाव की तैयारियां शुरू, इस महीने के अंत तक चुनाव की अधिसूचना जारी होने की संभावना

देहरादून: उत्तराखंड राज्य के 102 नगर निकायों (नगर निगम, नगर पालिका, और नगर पंचायत) में आगामी चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण की नियमावली को मंजूरी मिल गई है। इस मंजूरी के बाद, राज्य में सभी नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण के तहत सीटों का आरक्षण अब आबादी के हिसाब से तय किया जाएगा। इसके साथ ही, आगामी नगर निकाय चुनाव के लिए चुनाव की अधिसूचना इस महीने के आखिरी सप्ताह में जारी किए जाने की संभावना है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिन इस नियमावली को मंजूरी दी, जिसके बाद चुनाव की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने के संकेत मिले हैं। इस बार नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का अनुप्रयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के आधार पर होगा।

ओबीसी आरक्षण के बदलाव

उत्तराखंड में 2018 तक नगर निकाय चुनावों में ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया था। लेकिन, इस बार यह व्यवस्था बदलने जा रही है। अब, ओबीसी आरक्षण को ओबीसी की वास्तविक आबादी के आधार पर निर्धारित किया जाएगा, जो कि एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि इस बार ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया पूरी तरह से जनसंख्या के आधार पर लागू होगी, ताकि आरक्षण का लाभ वास्तविक ओबीसी वर्ग को मिले। इससे पहले, ओबीसी आरक्षण केवल एक समान प्रतिशत के हिसाब से लागू किया जाता था, लेकिन अब यह आबादी के अनुपात में सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।

यह निर्णय राज्य में OBC समुदाय के लिए एक बड़ी राहत हो सकता है, क्योंकि इससे उनके प्रतिनिधित्व में सुधार की संभावना जताई जा रही है।

शहरी विकास निदेशालय का प्रमुख भूमिका

आयोजित नगर निकाय चुनावों के संबंध में शहरी विकास निदेशालय को एक प्रमुख भूमिका सौंपी गई है। इस निदेशालय के द्वारा आरक्षण से संबंधित प्रस्ताव तैयार किया जाएगा और वह सभी जिलों में भेजे जाएंगे। जिलाधिकारी स्तर पर आरक्षण को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसके बाद आधिकारिक अधिसूचना जारी की जाएगी।

इन अधिसूचनाओं में सुझाव और आपत्तियां भी मांगी जाएंगी, जिनका समाधान जिलाधिकारी के द्वारा किया जाएगा। इसके बाद, जिलाधिकारी शहरी विकास विभाग को अंतिम प्रस्ताव भेजेंगे, जो राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। इसके बाद आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा।

यह पूरा प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि सभी आरक्षण नियमों का पालन किया गया है और चुनाव की प्रक्रिया बिना किसी अवरोध के पूरी हो सके।

चुनाव प्रक्रिया का समय

अब तक राज्य में नगर निकाय चुनावों को लेकर कई बार संशय की स्थिति उत्पन्न हुई थी, लेकिन ओबीसी आरक्षण नियमावली के मंजूरी के बाद अब चुनावी प्रक्रिया के शुरू होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, चुनाव की अधिसूचना इस महीने के अंत तक जारी हो सकती है, जिससे उम्मीदवारों के नामांकन और अन्य चुनावी प्रक्रियाओं की शुरुआत होगी।

सूत्रों के अनुसार, ओबीसी आरक्षण के संबंध में सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श किया जा चुका है, और अब इसे लागू करने के लिए राज्य सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है।

ओबीसी आरक्षण के फायदे

उत्तराखंड राज्य में नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि OBC समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व मिले। OBC वर्ग के लोग पहले भी स्थानीय निकायों में हिस्सेदारी निभाते रहे हैं, लेकिन इस बार आबादी के हिसाब से आरक्षण होने से उन्हें ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना जताई जा रही है।

इससे OBC समुदाय के लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अधिक भागीदारी का अवसर मिलेगा, जो उनके सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

इस बदलाव से संबंधित एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आरक्षण के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में यह बदलाव किया गया है, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं में भी पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहेगी।

निकाय चुनाव में बदलाव

पूर्व में निकाय चुनावों में एक केंद्रीकृत आरक्षण प्रणाली का पालन किया गया था, जिसमें ओबीसी को समान रूप से 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता था। अब, आबादी आधारित आरक्षण के द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विभिन्न क्षेत्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आरक्षण का आवंटन किया जाए।

इस बदलाव से यह भी संभावना है कि शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में OBC आबादी का वितरण अलग-अलग होने के कारण आरक्षण सीटों की संख्या में भी परिवर्तन हो सकता है। यह एक लोकतांत्रिक कदम हो सकता है जो सभी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने की दिशा में मदद करेगा।

निकाय चुनाव का महत्व

नगर निकाय चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा होते हैं। इन चुनावों में लोग अपने स्थानीय नेताओं का चुनाव करते हैं, जो कि नगर निगम, नगर पालिका, और नगर पंचायतों में उनके समस्याओं का समाधान करते हैं। इन चुनावों का परिणाम सीधे तौर पर नागरिकों की जीवन शैली और विकास से जुड़ा होता है।

नगर निकाय चुनाव में होने वाली आरक्षण प्रक्रिया का उद्देश्य यह है कि विभिन्न समुदायों को समान रूप से प्रतिनिधित्व मिले और किसी भी समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

ओबीसी आरक्षण के लागू होने से यह सुनिश्चित होगा कि OBC वर्ग के उम्मीदवारों को समान अवसर मिलें और वे चुनावों में बढ़-चढ़ कर भाग लें। इससे चुनावों की निष्पक्षता में भी सुधार होगा, और लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती मिलेगी।

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