HARIDWAR: गंगा तट पर 5100 कुंडीय महायज्ञ, वैदिक संस्कृति और संस्कारों का अद्भुत संगम
हरिद्वार के गंगा तट पर आर्य समाज की 150वीं जयंती के अवसर पर 5100 कुंडीय राष्ट्रभृत महायज्ञ का भव्य आयोजन किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार और आहुति की पवित्र सुगंध से पूरा वातावरण आध्यात्मिक और दिव्य हो उठा। इस आयोजन में आर्य युवा समाज और उत्तराखंड के डीएवी स्कूलों के 5100 छात्र-छात्राओं ने पीले वस्त्र धारण कर आहुति दी। इन युवाओं ने न केवल वैदिक ज्ञान का प्रचार किया, बल्कि भारतीय संस्कारों और ऋषि परंपरा की महत्ता को भी सजीव किया।
जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने नमामि गंगे घाट पहुंचकर इस महायज्ञ में भाग लिया और इसे भारतीय संस्कृति और ऋषि परंपरा का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन युवाओं को हमारी समृद्ध परंपराओं से जोड़ने और वैदिक संस्कृति को संरक्षित करने में सहायक हैं। महायज्ञ में गूंजते वैदिक मंत्र और यज्ञ की पवित्रता ने सनातन परंपरा का अद्भुत दर्शन कराया।इस महायज्ञ ने गंगा की महत्ता को भी रेखांकित किया और यह संदेश दिया कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह आयोजन न केवल युवाओं को वैदिक ज्ञान और भारतीय संस्कारों से जोड़ने का माध्यम बना, बल्कि गंगा और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने का भी प्रयास है