ग्रेटर कैलाश में जालसाजों ने ईडी का अधिकारी बन 65 साल के बुजुर्ग से 18.70 करोड़ रुपये ठगे
दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें 65 साल के बुजुर्ग को जालसाजों ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अधिकारी बताकर डिजिटल अरेस्ट का झांसा देते हुए 18.70 करोड़ रुपये ठग लिए। यह मामला दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की आईएफएसओ टीम द्वारा जांच के बाद सामने आया, जिसके तहत अहमदाबाद से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है और मामले में शामिल अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी के प्रयास में है।
निवेश के नाम पर धोखाधड़ी
पीड़ित बुजुर्ग ने पुलिस को बताया कि कुछ अज्ञात लोग एक ऑनलाइन कंपनी के जरिए निवेश करने का लालच दे रहे थे और यह दावा कर रहे थे कि इसमें निवेश से वह अपनी रकम दोगुनी कर सकते हैं। हालांकि, बुजुर्ग ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, लेकिन जालसाजों को यह जानकारी मिल गई कि बुजुर्ग के पास काफी पैसा है। इसके बाद, जालसाजों ने बुजुर्ग को फोन करके खुद को ईडी का अधिकारी बताया और उन्हें वीडियो कॉल पर बात करने के लिए कहा।
डिजिटल अरेस्ट का झांसा
जालसाज ने बुजुर्ग से कहा कि उनका नाम एक धोखाधड़ी मामले में सामने आया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बुजुर्ग को डराते हुए उन्होंने कहा कि अगर वह इस मामले में अपनी सफाई नहीं देंगे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके बाद, आरोपी ने बुजुर्ग से उनके बैंक खाते की जानकारी मांगी। बुजुर्ग ने बताया कि वह ऑनलाइन निवेश करने जा रहे थे और उनके बैंक खाते में बड़ी रकम थी। जालसाजों ने वीडियो कॉल के दौरान बुजुर्ग से उनकी पूरी बैंक डिटेल्स प्राप्त कर लीं।
धोखाधड़ी का खुलासा और पुलिस कार्रवाई
जालसाजों ने कुछ समय बाद बुजुर्ग के बैंक खाते से 18.70 करोड़ रुपये निकाल लिए। जब बुजुर्ग को इस धोखाधड़ी का एहसास हुआ, तो उन्होंने तुरंत पुलिस से मदद मांगी और साइबर क्राइम पोर्टल पर इसकी शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू की।
पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल नंबर और उस बैंक खाते की जांच की, जिसमें पैसे ट्रांसफर किए गए थे। इन जानकारियों के आधार पर पुलिस ने आरोपियों का पीछा किया और उनकी पहचान की। पुलिस ने कई दिनों तक तीन राज्यों में छापे मारे, जिसके बाद अहमदाबाद से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया।
पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों के बैंक खातों का इस्तेमाल ठगी की रकम को ट्रांसफर करने के लिए किया गया था। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है, ताकि यह पता चल सके कि इस धोखाधड़ी के और भी नेटवर्क हैं। पुलिस यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि क्या इन आरोपियों ने अन्य लोगों को भी निशाना बनाया है।
आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है, जिसमें धोखाधड़ी, बैंकिंग धोखाधड़ी, और साइबर अपराध शामिल हैं। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि आगे की जांच के दौरान और गिरफ्तारी भी हो सकती हैं।
साइबर अपराध की बढ़ती घटनाएं
यह घटना एक बार फिर से साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर करती है। खासकर बुजुर्ग नागरिक ऐसे अपराधियों के निशाने पर होते हैं, क्योंकि वे आमतौर पर ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में कम अवगत होते हैं। इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों में जालसाज अत्यधिक कुशल होते हैं और वे लोगों को सरकारी एजेंसियों का नाम लेकर भ्रमित कर देते हैं।
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए और कभी भी अपने व्यक्तिगत या बैंक विवरणों को अनजान कॉल या ईमेल के माध्यम से साझा नहीं करना चाहिए। यदि किसी सरकारी एजेंसी से संपर्क किया जाता है, तो सबसे पहले संबंधित अधिकारी की पहचान की पुष्टि करनी चाहिए।
दिल्ली पुलिस की चेतावनी
दिल्ली पुलिस ने इस घटना के बाद सभी नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल या संदेश से सावधान रहें। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि कोई भी सरकारी अधिकारी कभी भी किसी नागरिक से उनकी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि बैंक विवरण या ओटीपी, फोन कॉल या वीडियो कॉल के माध्यम से नहीं मांगता। यदि किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क किया जाए, तो उसे तुरंत पुलिस या संबंधित एजेंसी को सूचित करना चाहिए।
पुलिस ने यह भी कहा है कि बैंक और वित्तीय संस्थानों को भी ग्राहकों को लगातार जागरूक करने की आवश्यकता है। खासकर बुजुर्गों को साइबर अपराध से बचाने के लिए विशेष जागरूकता अभियानों की जरूरत है।
आगे की जांच और आरोपी गिरफ्तारियों के प्रयास
दिल्ली पुलिस अब इस मामले में और आरोपियों की पहचान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि मामले की जांच जारी है और अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस ने यह भी कहा कि साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए पुलिस और साइबर विभाग के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि साइबर अपराधियों के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों में लगातार बदलाव हो रहा है, और इनसे निपटने के लिए हमें भी अपनी सतर्कता को बढ़ाने की आवश्यकता है।