Uttarakhand

भारतीय सैन्य अकादमी से 456 युवा अफसरों की पासिंग आउट, नेपाल के सेना प्रमुख ने दी सलामी

देहरादून, 14 दिसंबर 2024: भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से आज (शनिवार) कुल 456 युवा अफसरों ने पासिंग आउट किया। इस ऐतिहासिक मौके पर 35 मित्र राष्ट्रों के अफसरों ने भी सफलता प्राप्त की और भारतीय सेना के साथ मिलकर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में देश की रक्षा का जिम्मा उठाने के लिए तैयार हो गए। इस मौके पर चेटवुड बिल्डिंग के ड्रिल स्क्वायर पर आयोजित परेड में नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने सलामी ली।

यह दिन भारतीय सैन्य अकादमी के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, क्योंकि इसने अब तक देश और विदेश के लिए 66,119 युवा सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षित कर भेजा है, जिनमें 2988 मित्र देशों के अधिकारी भी शामिल हैं। यह संख्या भारतीय सैन्य अकादमी के गर्व और प्रतिष्ठा को और भी बढ़ाती है।

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर किए गए विशेष इंतजाम

परेड के मद्देनजर, आईएमए के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई थी। इस ऐतिहासिक घटना की सुरक्षा में भारतीय सेना के जवान पूरी तरह से तैनात थे। इसके अलावा, दून पुलिस ने अकादमी परिसर के बाहरी क्षेत्रों की सुरक्षा का जिम्मा लिया था। शनिवार सुबह सात बजे से लेकर दोपहर साढ़े 12 बजे तक पंडितवाड़ी से प्रेमनगर तक का क्षेत्र जीरो जोन घोषित किया गया था।

इस दिन की घटनाओं को सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया था ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न घटे। चप्पे-चप्पे पर सेना के सशस्त्र जवान तैनात थे, जो कि सुरक्षा के मोर्चे पर सतर्क थे।

मुख्य परेड और पुरस्कार वितरण

मुख्य परेड के बाद, नेपाल के सेना प्रमुख जनरल सिगडेल ने परेड के कलर पार्टी और केन ऑर्डलीज को पुरस्कार प्रदान किए। इसके अलावा, उन्होंने रिव्यूइंग ऑफिसर प्लेट और तलवार भी प्रदान किए, जो उन सैन्य अफसरों के लिए सम्मान और सम्मान का प्रतीक थे जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से इस मुकाम को हासिल किया था।

इस मौके पर जनरल सिगडेल ने कहा, “यह अवसर न केवल भारतीय सेना बल्कि अन्य मित्र राष्ट्रों के लिए भी गौरव का पल है। यह परेड हमारी सेना के प्रशिक्षण और एकजुटता का प्रतीक है।” इसके बाद, उन्होंने नेपाली सेना के दो जेंटलमैन कैडेट्स समेत नए कमीशन प्राप्त अधिकारियों से भी बातचीत की, जिनसे उन्होंने सेना के भविष्य को लेकर अपने विचार साझा किए।

नए युवा अफसरों का संदेश और सैन्य परंपरा

आईएमए से पास आउट होने वाले युवा अफसरों ने अपने कोर्स के दौरान कठिन प्रशिक्षण और विभिन्न परिस्तिथियों में संघर्ष किया है। ये युवा अफसर अब अपनी कठिन मेहनत और समर्पण के फलस्वरूप भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं। यह उनके लिए न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि यह उनके परिवारों के लिए भी गर्व का पल है, जिन्होंने इन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए समर्थन दिया।

इन अफसरों में से कुछ की प्रेरणा उनके परिवारों से आई है, जबकि अन्य ने देश सेवा के महान उद्देश्य को अपना आदर्श माना।

एक युवा अफसर ने कहा, “यह सफर कठिन था, लेकिन इस दौरान हमें जो प्रशिक्षण और अनुभव मिला, वह हमारे जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति बन चुका है। आज हम जो भी हैं, उस सफलता का श्रेय हमारे शिक्षकों और सैन्य अधिकारियों को जाता है जिन्होंने हमें सही दिशा दी।”

इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सेना में सेवा करना उनके लिए गर्व की बात है और वे देश की सुरक्षा में अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं।

भारतीय सैन्य अकादमी का गौरवमयी इतिहास

भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना 1932 में हुई थी और तब से लेकर अब तक इसने भारत और विदेश के लिए लाखों युवा अफसरों को तैयार किया है। आईएमए की परेड को एक सैन्य परंपरा और गर्व का प्रतीक माना जाता है। यह परेड न केवल भारत की सैन्य ताकत का प्रतीक है, बल्कि यह देश और विदेश के अफसरों के बीच एकता और सहयोग को भी प्रकट करती है।

अकादमी का शैक्षिक और शारीरिक प्रशिक्षण बहुत ही कठिन है, और यह उसे पूरी तरह से तैयार करने के लिए है, ताकि वे भारतीय सेना की सर्वोत्तम टीम का हिस्सा बन सकें। इसके साथ ही, अकादमी अपने कैडेट्स को न केवल सैन्य मामलों की शिक्षा देती है, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार और समर्पित नागरिक बनाने का भी काम करती है।

मित्र देशों के अफसरों का योगदान

आईएमए में विदेशी अफसरों का प्रशिक्षण भारतीय सेना के साथ सहयोग की एक और मिसाल है। इन मित्र देशों के अफसरों का आईएमए में प्रशिक्षण उनके देशों की सैन्य ताकत को भी मजबूती देता है। आज, 35 मित्र देशों के 2988 अफसरों ने आईएमए से शिक्षा प्राप्त की है और वे अपनी सेनाओं के महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं।

यह सहयोग भारतीय सेना के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सैन्य एकजुटता को प्रदर्शित करता है, जो केवल सैन्य दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि मानवता और सहयोग के स्तर पर भी महत्वपूर्ण है।

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