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पंजाब महिला आयोग ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी को किया तलब

चंडीगढ़, 14 दिसंबर 2024 – शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पंजाब राज्य महिला आयोग ने उन्हें एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जगीर कौर को अपशब्द कहने के मामले में चार दिन के भीतर आयोग के सामने पेश होने को कहा है। आयोग की चेयरपर्सन राज लाली गिल ने मोहाली में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस मामले में यह घोषणा की और कहा कि धामी को माफी मांगने के लिए पेश होना होगा।

महिला आयोग ने दी चार दिन का समय

पंजाब राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन राज लाली गिल ने इस मामले को लेकर कहा कि आयोग ने हरजिंदर सिंह धामी को चार दिन के भीतर पेश होकर माफीनामा देने का निर्देश दिया है। गिल ने यह भी कहा कि अगर बीबी जगीर कौर की ओर से कोई बयान नहीं आया, तो भी आयोग इस मामले में अपनी कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा, “उनकी अपनी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन हम काम करेंगे।”

यह मामला उस समय सामने आया जब एसजीपीसी के अध्यक्ष धामी का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें वे एक व्यक्ति से फोन पर बातचीत करते हुए बीबी जगीर कौर के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे। इस बातचीत में धामी ने बीबी जगीर कौर को गालियाँ दीं, जो कि समाज में व्यापक रूप से निंदा का विषय बनीं।

सोशल मीडिया पर हुई आलोचना और माफी की मांग

ऑडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर हरजिंदर सिंह धामी के खिलाफ विरोध का सिलसिला शुरू हो गया। उनके खिलाफ सिख समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया, जिसके बाद उन्हें माफी मांगने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचना पड़ा।

धामी ने श्री अकाल तख्त साहिब में माफी का पत्र पेश किया, जिसमें उन्होंने बीबी जगीर कौर से अपनी गलती के लिए माफी मांगी और कहा कि वह जानबूझकर या अनजाने में ऐसा नहीं चाहते थे। माफी पत्र में उन्होंने लिखा, “मैं बीबी जगीर कौर से, सिख पंथ से और समस्त स्त्री जाति से अपने अपशब्दों के लिए माफी मांगता हूँ।”

धामी ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से कोई सजा तय की जाती है, तो वह उसे स्वीकार करेंगे और तहे दिल से उन आदेशों का पालन करेंगे। उनका यह कदम सिख समुदाय के कुछ वर्गों द्वारा समर्थित तो हुआ, लेकिन बीबी जगीर कौर और उनके समर्थकों द्वारा इसे अपर्याप्त माना गया।

बीबी जगीर कौर का रुख और प्रतिक्रिया

बीबी जगीर कौर, जो कि एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष हैं, ने इस मामले में फिलहाल कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, उनकी ओर से बयान न आने के बावजूद महिला आयोग ने अपने स्तर पर कार्यवाही शुरू कर दी है। इस मामले को लेकर बीबी जगीर कौर के समर्थक और समाज के कुछ वर्गों का कहना है कि धामी का माफी मांगना पर्याप्त नहीं है। उनका मानना है कि धामी को अपने बयानों के लिए अधिक गंभीर तरीके से जिम्मेदारी लेनी चाहिए और एक सख्त दंड की आवश्यकता है ताकि समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा दिया जा सके।

सिख समुदाय और महिला आयोग की भूमिका

इस घटना ने न केवल सिख समुदाय को आहत किया, बल्कि महिला आयोग को भी इस पर सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता महसूस हुई। महिला आयोग का कहना है कि इस तरह के अपशब्दों का इस्तेमाल न केवल एक महिला के खिलाफ अपमानजनक है, बल्कि यह समाज में महिलाओं के प्रति असम्मान को बढ़ावा देने जैसा है।

महिला आयोग ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि हरजिंदर सिंह धामी को चार दिन के भीतर माफी मांगने के लिए पेश होना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो आयोग अन्य कानूनी कार्रवाई पर विचार करेगा। इस मामले को लेकर सिख समाज और विशेष रूप से महिला संगठनों के बीच भी आक्रोश की भावना बनी हुई है, क्योंकि यह घटना उन मूल्यों का उल्लंघन करती है जिन्हें सिख धर्म और समाज में महत्व दिया जाता है।

क्या होगा आगे?

अब देखना यह है कि हरजिंदर सिंह धामी इस मामले में महिला आयोग के समक्ष किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। क्या वह इस मामले में और अधिक सार्वजनिक माफी मांगते हैं या उनका रुख और सख्त होगा? साथ ही, इस घटना के बाद क्या श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से उन्हें सजा दी जाती है, यह भी एक बड़ा सवाल है।

आयोग की ओर से इस मामले में जो कार्रवाई की जाएगी, उससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि महिला अधिकारों को लेकर सरकार और समाज में किस तरह की जागरूकता और संवेदनशीलता है।

इस घटना का सामाजिक और धार्मिक परिपेक्ष्य

हरजिंदर सिंह धामी के बयान और बाद में उनकी माफी के बावजूद यह घटना समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान की आवश्यकता को रेखांकित करती है। समाज के विभिन्न वर्गों में यह बहस हो रही है कि सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के प्रति आदर्श व्यवहार और सम्मान को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह घटना न केवल सिख समाज, बल्कि सम्पूर्ण भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकारों के मुद्दे को एक बार फिर से महत्वपूर्ण बनाती है।

इस तरह के विवादों के बावजूद, समाज के कुछ हिस्से इसे एक व्यक्तिगत गलती मानते हुए इसे सुलझाने की बात कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे एक सामाजिक मुद्दे के रूप में देखते हुए इसके गंभीर परिणामों की मांग कर रहे हैं।

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