उत्तराखंड में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ‘सौर कौथिग’ (ऊर्जा मेला) का आयोजन
देहरादून, 17 दिसंबर 2024: उत्तराखंड में सौर ऊर्जा के बढ़ते उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार ‘सौर कौथिग’ (ऊर्जा मेला) का आयोजन किया गया। यह मेला सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और राज्य में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लाभों के बारे में जनता को जानकारी देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मेले का उद्घाटन किया और सौर वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह वैन अगले 100 दिनों तक राज्य के पहाड़ी इलाकों में पहुंचेगी, जहां लोग सौर ऊर्जा परियोजनाओं और उनसे मिलने वाली सब्सिडी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
इस अवसर पर वित्त एवं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, विधायक खजान दास, और सीएम के सलाहकार विश्वास डाबर भी मौजूद रहे। मेले में लगभग 50 कंपनियों ने अपने सोलर प्रोजेक्ट्स और उत्पादों के बारे में जानकारी देने के लिए स्टॉल लगाए थे। यह मेला उत्तराखंड के उपभोक्ताओं के लिए एक अद्वितीय अवसर था, जहां वे सौर ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं
ऊर्जा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं में प्रमुख है “प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना”, जिसके तहत लोग अपने घरों की छत पर सौर पैनल लगाकर अपनी बिजली खुद उत्पन्न कर सकते हैं। उत्तराखंड में इस योजना के तहत अब तक 28,000 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें से 11,000 संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। इस पहल से राज्य में 37 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू हो चुका है और 2027 तक 2,000 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
साथ ही, राज्य सरकार उद्योगों को भी नेट मीटरिंग की सुविधा दे रही है, जिससे वे अपनी अतिरिक्त उत्पन्न बिजली को ग्रिड में आपूर्ति कर सकते हैं और अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत पहले तीन मेगावाट तक के प्रोजेक्ट्स लगाए गए थे, लेकिन अब नई नीति के तहत 67 मेगावाट के सोलर प्रोजेक्ट्स स्थापित किए जा चुके हैं। इस नीति के तहत 200 मेगावाट के नए प्रोजेक्ट्स के लिए आवेदन भी प्राप्त हो चुके हैं।
सौर ऊर्जा को लेकर राज्य सरकार का कहना है कि उत्तराखंड में सूर्य का बहुत अच्छा प्रभाव है और इसका भरपूर उपयोग करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने भी कहा कि राज्य के पास सूर्य की असीम कृपा है, जिसका इस्तेमाल राज्य को ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सौर ऊर्जा पर दृष्टि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सौर समृद्ध उत्तराखंड अभियान के तहत इस मेले की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि यह मेला प्रदेश में सौर ऊर्जा के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने जीवाश्म आधारित ईंधन के स्रोतों की सीमितता और पर्यावरण पर उनके प्रभाव का उल्लेख करते हुए सौर ऊर्जा को एक असीमित और पर्यावरण के लिए सुरक्षित विकल्प बताया। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में 100 गीगावाट ऊर्जा का उत्पादन लक्ष्य रखा गया है, और उत्तराखंड भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
सीएम धामी ने राज्य की नई सौर ऊर्जा नीति के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 100 करोड़ रुपये की लागत से राज्य के सभी सरकारी भवनों पर सोलर प्रोजेक्ट्स लगाएगी। इसके अलावा, रूफटॉप सोलर पर 70% की सब्सिडी दी जा रही है, जिससे आम नागरिकों को इस योजना का लाभ मिल सके। घरेलू और गैर-घरेलू उपभोक्ताओं को 30% से 50% तक की सब्सिडी सोलर वाटर हीटर पर दी जा रही है।
2026 तक 250 मेगावाट की क्षमता वाले सोलर प्लांट्स की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है, और आवासीय परियोजनाओं के लिए 350 नए वेंडर्स को सूचीबद्ध किया गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सौर ऊर्जा के इस प्रयास से राज्य में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता की दिशा में अहम कदम उठाया जाएगा।
PM सूर्यघर योजना के लाभार्थियों को दी गई सब्सिडी
मुख्यमंत्री ने PM सूर्यघर योजना के लाभार्थियों को स्टेट की सब्सिडी भी वितरित की। इस योजना के तहत, लाभार्थियों को 51,000 रुपये की सब्सिडी दी गई। इसके अलावा, सोलर वाटर हीटर योजना के तहत भी लाभार्थियों को 17,000 रुपये का अनुदान दिया गया। यह कदम सरकार की ऊर्जा योजना को धरातल पर लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण है और लोगों को सौर ऊर्जा के प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरित करेगा।
सौर ऊर्जा को लेकर डॉ. अनिल प्रकाश जोशी की सलाह
पद्मभूषण से सम्मानित पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने इस अवसर पर कहा कि सौर ऊर्जा एक बहुत ही ‘सात्विक’ ऊर्जा है, क्योंकि यह प्रकृति के साथ तालमेल में उत्पन्न होती है। उन्होंने सौर ऊर्जा को एक “पारिस्थितिकी उद्योग” के रूप में देखा, जो कार्बन और मीथेन के मुद्दे को हल करने में सहायक है। उन्होंने मुख्यमंत्री को बधाई दी और कहा कि उत्तराखंड में यदि सरकार और लोग मिलकर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करें, तो यहां की सूरत पूरी तरह से बदल सकती है।
सौर कौथिग का भविष्य और उत्तराखंड की सौर ऊर्जा यात्रा
सौर कौथिग मेला न केवल एक प्रदर्शनी है, बल्कि यह सौर ऊर्जा के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। यह कार्यक्रम राज्य में सौर ऊर्जा की बढ़ती लोकप्रियता और सरकार की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के प्रति समर्पण को दर्शाता है। आने वाले वर्षों में, उत्तराखंड सौर ऊर्जा के मामले में एक प्रमुख राज्य के रूप में उभर सकता है, जो न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।
इस तरह के आयोजनों और योजनाओं से राज्य में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, जो न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से फायदेमंद होगा, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होगा।