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भारत की ऑस्कर उम्मीदें टूटी किरण राव की ‘लापता लेडीज़’ की एंट्री हुई असफल

भारत की ओर से ऑस्कर 2025 में विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी के लिए भेजी गई किरण राव की फिल्म ‘लापता लेडीज़’ ऑस्कर की दौड़ से बाहर हो गई है। इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा में अपनी खास पहचान बनाई थी और घरेलू स्तर पर इसे बेहद पसंद किया गया था, लेकिन अब यह फिल्म अपने लिए एक जगह भी नहीं बना पाई है। ‘लापता लेडीज़’ 15 चयनित फिल्मों की सूची में भी जगह बनाने में असफल रही है। इसके साथ ही भारत की ऑस्कर की उम्मीदें भी फिलहाल टूट गई हैं।

‘लापता लेडीज़’ की थी उम्मीदें

‘लापता लेडीज़’ का चयन फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा 23 सितंबर को किया गया था, और इसे ऑस्कर 2025 की विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी में भारत की ओर से भेजा गया था। इस फिल्म में अभिनेता रवि किशन, स्पर्श श्रीवास्तव, प्रतिभा रांटा, और नितांशी गोयल जैसे कलाकारों ने अहम भूमिकाएं अदा की हैं। फिल्म का निर्देशन किया है किरण राव ने, जो कि इस फिल्म से बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म प्रस्तुत कर रही थीं।

इसके अलावा, फिल्म के निर्माता आमिर खान थे, जिनके प्रोडक्शन हाउस में यह फिल्म बनी थी। आमिर खान की प्रोडक्शन कंपनी, जो आम तौर पर उच्च बजट और बड़े सितारों वाली फिल्मों के लिए जानी जाती है, ने इस बार एक छोटे बजट की फिल्म को प्रस्तुत किया था, जो समाज में मौजूद महिलाओं के मुद्दों को केंद्र में रखती है। इस फिल्म की स्टोरीलाइन और स्टारकास्ट ने दर्शकों को खासा प्रभावित किया था, और इसने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी कमाई की थी।

15 फिल्मों में से नहीं बना स्थान

हालांकि ‘लापता लेडीज़’ को ऑस्कर के लिए बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन यह फिल्म विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी के लिए चुनी गई 15 फिल्मों में भी अपनी जगह बनाने में नाकाम रही। इस श्रेणी में दुनियाभर से भेजी गई फिल्मों का गहन मूल्यांकन किया गया था, जिसमें कई फिल्में तकनीकी और कलात्मक दृष्टि से बेहतर साबित हुईं। अब, इन 15 फिल्मों में से टॉप 5 फिल्मों का चयन किया जाएगा, जो ऑस्कर 2025 की अंतिम सूची में जगह बनाएंगी।

भारत में इस फिल्म की लोकप्रियता और प्रशंसा को देखते हुए इसकी असफलता ने ऑस्कर की दौड़ में भारतीय सिनेमा की एक और उम्मीद को चकनाचूर कर दिया। भारत में सिनेमाई उत्कृष्टता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाती रही है, और ‘लापता लेडीज़’ ने इन चर्चाओं को नई दिशा दी थी।

‘संतोष’ की एंट्री: ब्रिटिश-भारतीय फिल्म को मिला मौका

जहां एक ओर किरण राव की ‘लापता लेडीज़’ ऑस्कर की दौड़ से बाहर हो गई, वहीं यूके की ओर से भेजी गई ब्रिटिश-भारतीय फिल्म ‘संतोष’ को इस साल ऑस्कर में चयनित किया गया है। इस फिल्म का निर्देशन किया है संध्या सूरी ने, और इसमें मुख्य भूमिका में शहाना गोस्वामी और सुनीता राजवर जैसी प्रतिभाशाली अभिनेत्रियां हैं। ‘संतोष’ की कहानी भी भारतीय समाज के कुछ अहम मुद्दों को उठाती है, और इसे समीक्षकों से भी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।

शॉर्ट फिल्म में भारत की एंट्री: ‘अनुजा’ की बढ़ी उम्मीदें

भारत की एक और फिल्म, ‘अनुजा’, जो कि एक लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म है, ने ऑस्कर 2025 की शॉर्ट फिल्म कैटेगरी में अंतिम 15 फिल्मों में अपनी जगह बनाई है। इस फिल्म के निर्देशक हैं एडम जे. ग्रेव्स और सुचित्रा मित्ताई, और इसकी एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं गुनीत मोंगा, जो पिछले साल ‘द एलिफ़ेंट विस्परर्स’ फिल्म की निर्माता थीं, जिसने ऑस्कर 2024 में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म का पुरस्कार जीता था।

‘अनुजा’ को 180 से अधिक फिल्मों के बीच से चुना गया था, और इसने अब शॉर्ट फिल्म श्रेणी में अपनी जगह बना ली है। इसकी सफलता भारत में फिल्म निर्माताओं और शॉर्ट फिल्म निर्माता समुदाय के लिए एक प्रेरणा बन सकती है, खासकर गुनीत मोंगा के नेतृत्व में भारतीय फिल्म उद्योग की सफलता को देखते हुए। पिछले साल के ऑस्कर में भारत को मिल रही सफलता के बाद, अब सभी की नज़रें ‘अनुजा’ पर हैं, और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि यह फिल्म भी भारत को फिर से ग्लोबल सिनेमा में सम्मान दिलाएगी।

भारत के सिनेमा के लिए ऑस्कर का महत्व

ऑस्कर का भारतीय सिनेमा के लिए हमेशा एक विशेष महत्व रहा है। भारत को ऑस्कर की विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी में कभी भी स्थायी सफलता नहीं मिल पाई है, हालांकि कई भारतीय फिल्में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुकी हैं। इस बार ‘लापता लेडीज़’ के बाहर होने के बावजूद, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की कई नई और संभावनाओं से भरी फिल्मों की ओर ध्यान आकर्षित हुआ है। इन फिल्मों ने दर्शकों और आलोचकों के बीच अपनी जगह बनाई है, और ऑस्कर की रेस में उनका हिस्सा बनना भारतीय सिनेमा की वैश्विक पहचान को और भी मजबूत करता है।

भारत की फिल्म इंडस्ट्री को लेकर लगातार बढ़ती उम्मीदें और सिनेमा की बढ़ती वैश्विक पहुंच इसे एक ऐसी दिशा में ले जा रही हैं जहां भारतीय फिल्में न सिर्फ अपनी पहचान बना रही हैं, बल्कि उन फिल्मों को एक नई तरह की कला और तकनीकी उत्कृष्टता की ओर भी आगे बढ़ाया जा रहा है।

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