Uttarakhand

निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद के आरक्षण पर भारी विवाद, शहरी विकास विभाग में दर्ज की गईं 1000 से अधिक आपत्तियां

उत्तराखंड में आगामी निकाय चुनाव से पहले नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद के आरक्षण पर भारी आपत्तियां उठ रही हैं। शहरी विकास विभाग ने 14 दिसंबर को राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के मेयर एवं अध्यक्ष पदों के आरक्षण की अनन्तिम अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद से अब तक 1000 से अधिक आपत्तियां विभाग के पास पहुंच चुकी हैं। यह आंकड़ा राज्य में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में देखा गया है।

विभाग ने इन आपत्तियों का निस्तारण शुरू कर दिया है, और यह प्रक्रिया आगामी 23 दिसंबर तक पूरी करने की योजना बनाई गई है। साथ ही, इन आपत्तियों को लेकर शहरी विकास विभाग के अफसर भी हैरान-परेशान हैं, क्योंकि इस प्रकार की भारी संख्या में आपत्तियां पहले कभी नहीं आईं।

आपत्तियों का समय सीमा

शनिवार, 16 दिसंबर, 2023 तक आपत्तियां दर्ज कराने का आखिरी दिन था, लेकिन विभाग को यथासंभव 22 दिसंबर तक आपत्तियां स्वीकार करने का समय मिला है। इसके बाद कोई और आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। विशेषकर नैनीताल जिले में अधिसूचना एक दिन देरी से जारी होने के कारण वहां की आपत्तियां 22 दिसंबर तक दर्ज की जा सकती हैं।

विभाग ने आपत्तियों का निस्तारण प्रारंभ कर दिया है, और यह काम 23 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद इन आपत्तियों पर विचार करके अंतिम रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी।

हरिद्वार में सबसे ज्यादा आपत्तियां

अगर हम जिलों के हिसाब से देखें, तो हरिद्वार जिला इस मामले में सबसे आगे है। हरिद्वार जिले में कुल 14 नगर निकाय हैं, जिनमें दो नगर निगम भी शामिल हैं। इस जिले के ढंडेरा नगर पंचायत से रिकॉर्ड संख्या में आपत्तियां आई हैं, जिससे यह क्षेत्र विवादों के केंद्र में आ गया है।

पूरे जिले से करीब 300 आपत्तियां प्राप्त हुई हैं, जो इस प्रक्रिया में सर्वाधिक हैं। यह आंकड़ा हरिद्वार को इस समय सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। वहीं, कुछ अन्य जिलों और निकायों में आपत्तियां अपेक्षाकृत कम आई हैं।

यह घटनाक्रम राज्य के राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचाए हुए है। आरक्षण की प्रक्रिया में इस प्रकार की आपत्तियां उठने से चुनावी रणनीतियों और स्थानीय राजनीति पर भी असर पड़ सकता है।

विभाग की भूमिका और निस्तारण प्रक्रिया

शहरी विकास विभाग ने आपत्तियों का निस्तारण शुरू कर दिया है। विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इतनी बड़ी संख्या में आपत्तियां आने के बाद निस्तारण की प्रक्रिया में काफी समय और मेहनत लग सकती है। विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि सभी आपत्तियों का गहनता से अध्ययन किया जाएगा, और जिनमें वैध कारण होंगे, उन्हें सही तरीके से निस्तारित किया जाएगा।

इन आपत्तियों के समाधान के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि सभी आपत्तियां सही तरीके से देखी जाएं और जल्द से जल्द निस्तारित की जाएं। इसके बाद जो संशोधन किए जाएंगे, उनका संज्ञान लेकर अंतिम आरक्षण सूची तैयार की जाएगी।

चुनावी दबाव और स्थानीय राजनीति

निकाय चुनावों की तैयारियां तेजी से चल रही हैं, और इस बीच अध्यक्ष पद के आरक्षण पर उठ रहे विवादों ने चुनावी माहौल को और भी गरम कर दिया है। इस समय राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। खासकर उन नगर निकायों में जहां अधिक आपत्तियां आई हैं, वहां राजनीतिक दल अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

हरिद्वार जिले में आरक्षण के खिलाफ आए आपत्तियों का मुद्दा स्थानीय नेताओं के लिए चुनावी मुद्दा बन चुका है। इस स्थिति में, चुनाव से पहले इन विवादों का समाधान पार्टी उम्मीदवारों की स्थिति पर असर डाल सकता है।

इसके अलावा, राज्य के अन्य जिलों में भी जहां कम आपत्तियां आई हैं, वहां भी आरक्षण के फैसले के बारे में समीक्षाएं जारी हैं। विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की हड़बड़ी नहीं की जाएगी और प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा।

राज्य में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में आपत्तियां

उत्तराखंड में पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में आपत्तियां नहीं आईं थीं। इससे यह साफ संकेत मिलता है कि आरक्षण प्रक्रिया में कोई न कोई असंतोषजनक तत्व मौजूद हो सकता है। विभाग और चुनाव आयोग के अधिकारियों का मानना है कि अधिकतम विवादों का समाधान पहले से निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा, जिससे चुनाव के बाद कोई विवाद न रहे।

साथ ही, इस बार की आपत्तियों का आंकड़ा शहरी विकास विभाग के लिए भी एक चुनौती साबित हो रहा है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे पूरी कोशिश करेंगे कि इन विवादों का समाधान सही समय पर किया जा सके, ताकि चुनाव में किसी भी प्रकार की देरी या समस्या न हो।

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