संसद परिसर में धक्का-मुक्की दिल्ली पुलिस जांच में जुटी, राहुल गांधी को नोटिस भेजने की तैयारी
दिल्ली में संसद के मकर द्वार के पास 19 दिसंबर को हुई धक्का-मुक्की की घटना के बाद अब मामला गर्माता जा रहा है। इस विवादास्पद घटना में बीजेपी के दो सांसद घायल हो गए थे, और इस घटना को लेकर राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा हुआ है। अब दिल्ली पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और इसके लिए संसद परिसर की सीसीटीवी फुटेज एकत्र करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, सूत्रों के अनुसार, पुलिस राहुल गांधी को भी इस मामले में नोटिस भेजने की तैयारी कर रही है।
दिल्ली पुलिस ने शुरू की जांच
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए संसद परिसर के सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से इस फुटेज को हासिल करने के लिए इजाजत मांगी है। इससे पहले, घटना के समय घटनास्थल पर उपस्थित कुछ सांसदों और सुरक्षाकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने यह कदम घटना के बाद स्थिति को स्पष्ट करने और घटना के सही कारणों का पता लगाने के लिए उठाया है।
इसके साथ ही पुलिस ने घटनास्थल पर सीन रिक्रिएट करने की योजना बनाई है। इस कार्य को पूरा करने के लिए पुलिस अधिकारी घायल हुए सांसदों के बयान लेने की भी तैयारी कर रहे हैं। एक बार फुटेज प्राप्त होने के बाद, पुलिस उन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए घटनास्थल पर सीन रिक्रिएट करेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि घटना किस प्रकार घटित हुई और क्या किसी प्रकार की लापरवाही हुई थी।
राहुल गांधी पर एफआईआर: क्यों हुई कार्रवाई?
धक्का-मुक्की की इस घटना में राहुल गांधी का नाम सामने आया है। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने उनके दो सांसदों—प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत—को धक्का देकर गिराया, जिससे वे घायल हो गए थे। बीजेपी की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी।
बीजेपी नेताओं हेमंग जोशी, अनुराग ठाकुर और बांसुरी स्वराज ने 19 दिसंबर को संसद मार्ग पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। हालांकि, इस शिकायत में शुरुआत में हत्या के प्रयास (धारा 109) की धाराएं जोड़ी गई थीं, लेकिन बाद में उन धाराओं को हटा दिया गया और अन्य धाराएं जोड़ी गईं, जो शिकायत में दी गई थीं। अब, पुलिस ने राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी है और उनके बयान लेने की प्रक्रिया शुरू की है।
हंगामे की वजह: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का विवादास्पद बयान
19 दिसंबर को संसद में जो हंगामा हुआ, उसकी शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान से हुई थी। दरअसल, राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान अमित शाह ने बाबा साहेब अंबेडकर पर एक टिप्पणी की थी, जिसे लेकर विपक्षी दल खासे नाराज हो गए थे। विपक्ष ने इस टिप्पणी को अंबेडकर के सम्मान का अपमान माना और इसके खिलाफ सख्त विरोध जताया।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया। विपक्ष का कहना था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए और साथ ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा भी देना चाहिए। यह मुद्दा न केवल संसद के भीतर, बल्कि संसद के बाहर भी गरमाया हुआ था।
विपक्ष का विरोध और सरकार की जवाबी कार्रवाई के बीच 19 दिसंबर को संसद परिसर में धक्का-मुक्की का माहौल बन गया। बीजेपी सांसदों ने कांग्रेस और विपक्षी दलों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया, और इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। हंगामा बढ़ने के बाद बीजेपी के दो सांसद घायल हो गए और उनके गिरने से यह घटना और भी विवादास्पद हो गई।
पुलिस जांच के अगले कदम
अब दिल्ली पुलिस ने जांच में तेजी लाने का निर्णय लिया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, वह इस मामले की सभी परिस्थितियों को स्पष्ट करने के लिए सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा करेंगे। इसके अलावा, पुलिस ने घायल हुए दोनों बीजेपी सांसदों—प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत—का बयान भी लिया है, जिससे घटना के घटनाक्रम का और बेहतर पता चल सके।
पुलिस अब उन व्यक्तियों से भी पूछताछ करने की योजना बना रही है, जो उस दिन घटनास्थल पर मौजूद थे। इसके अलावा, पुलिस की योजना यह भी है कि वह सीन रिक्रिएट करे, ताकि घटनास्थल पर क्या हुआ था, यह और बेहतर ढंग से समझा जा सके।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि एक बार जब सीसीटीवी फुटेज प्राप्त हो जाएंगे और सभी गवाहों से बयान ले लिए जाएंगे, तब घटना की पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। इसके बाद पुलिस अपनी जांच को और भी तेज कर सकती है, और यदि किसी को दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।